अनंत चतुर्दशी 2023

अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु जी के अनंत रुपो की पूजा की जाती है। इस व्रत के प्रभाव से जातक को अनंत फलो की प्राप्ति होती है। अनंत चतुर्दशी के दिन गणेश विसर्जन किया जाता है। यह पर्व 10 दिनों तक चलने वाले गणेशोत्सव का आखरी दिन होता है। शास्त्रों की मान्यता के अनुसार इस दिन भगवान विष्णु ने सृष्टि की शुरुआत में चौदह लोको तक, अतल, वितल, सुतल, तलातल, रसातल, पाताल, भू, भूवः स्वः जन, तप, सत्य यह की रचना की थी एवं इन लोकों की रक्षा और पालन के लिए भगवान विष्णु स्वयं चौदह रुपों मेे प्रकट हो गये थे जिससे वह अनंत प्रतीत होने लगे इस लिए आज के दिन भगवान विष्णु के अनंत रुपो की पूजा की जाती है। इस दिन भगवान विष्णु की निर्मित व्रत रखकर एवं उनकी पूजा करके अनंत सूत्र बांधने से समस्त बाधाओं से मुक्ति मिलती है।

अनंत चतुर्दशी की कथा

एक बार महाराज युधिष्ठिर ने राजसूय यज्ञ किया उस समय यज्ञ मंडप का निर्माण सुंदर तो था ही अद्भुत  भी था वह यज्ञ मंडप इतना मनोरम था की जल व थल की भिन्नता प्रतीत ही नही होती थी जल में स्थल तथा स्थल में जल की भांति प्रतीत होती थी बहुत सावधानी करने पर भी बहुत से व्यक्ति उस आहुत मंडप मे धोखा खा चुके थे। एक बार कही से टहलते-टहलते दुर्योधन भी उस यज्ञ मंडप मे आ गया और एक तालाब को स्थल समझ उसमें गिर गया। द्रौपदी ने यह देखकर अंधो की संतान अंधी कह कर उनका उपहास किया इससे दुर्योधन चिढ़ गया। यह बात उसके हृदय में बाण की तरह लगी उसके मन में द्वेष उत्पन्न हो गया और उसने पाण्डवों से बदला लेने के लिए पांडवो को धूत-क्रीडा में हरा कर उस अपमान का बदला लेने कीे सोची उसने पाण्डवों को जूएं मे पराजित कर दिया। पराजित होने पर प्रतिज्ञानुसार पांडवो को बारह वर्ष के लिए वनवास भोगना पड़ा वन में रहते हुए पांडव अनेक कष्ट सहते रहे एक दिन भगवान कृष्ण जब मिलने आये तब युधिष्ठिर ने उनसे अपना दुख कहा और दुख दूर करने का उपाय पूछा तब श्री कृष्ण ने कहा हे युधिष्ठिर तुम विधि पूर्वक अनंत भगवान का व्रत करो इससे तुम्हारा सारा संकट दूर हो जाएगा और तुम्हारा खोया राज्य पुनः प्राप्त हो जाएगा। तब भगवान श्री कृष्ण ने इस संदर्भ में उन्हें एक कथा सुनायी। बहुत समय पहले सुमंत नाम का एक नेक तपस्वी ब्राह्मण था उसकी पत्नी का नाम दिया था उसकी एक परम सुन्दरी धर्म परायण तथा ज्योतिर्मयी कन्या थी जिसका नाम सुशीला था सुशीला जब बड़ी हुई तो उसकी माता दीक्षा की मृत्यु हो गई पत्नी के मरने के बाद सुमंत ने कर्कसा नामक स्त्री से दूसरा विवाह कर लिया सुशीला का विवाह ब्राह्मण सुमंत ने कौडिन्य ऋषि के साथ कर दिया विदाई में कुछ देने की बात पर कर्कशा ने दामाद को कुछ ईटें और पत्थर के टुकड़े बांध कर दें दिये। कौडिन्य ऋषि दुखी हो अपनी पत्नी को लेकर अपने आश्रम की ओर चल दिये परन्तु रास्ते में ही रात हो गयी। वह दोनो एक नदी के किनारे ठहर गये। सुशीला ने देखा वहां पर बहुत सी स्त्रियां सुंदर वस्त्र धारण कर किसी देवता की पूजा कर रही थी। सुशीला के पूछने पर उन्होंने विधिपूर्वक अनंत व्रत की महत्ता बतायी सुशीला ने वही उस व्रत का अनुष्ठान किया और चौदह गांठों वाला डोरा हाथ में बांधकर ऋषि कौडिन्य के पास आ गई। कौडिन्य ने सुशीला से डोरे के बारे में पूछा तो उसने सारी बात बता दीे। उन्होंने डोरे को तोड़कर अग्नि में डाल दिया इससे भगवान अनंत का अपमान हुआ। जिसके परिणाम से ऋषि कौडिन्य दुखी रहने लगे उनकी सारी सम्पत्ति नष्ट हो गयी इस दरिद्रता का उन्होंनेे अपनी पत्नी से कारण पूछा तो सुशीला ने अनंत भगवान का डोरा जलाने की बात कही पश्चात करते हुए ऋषि कौडिन्य अनंत डोरे की प्राप्ति के लिए वन चले गये वन में कई दिनो तक भटकते-भटकते निराश होकर एक दिन भूमि पर गिर पड़े ।तब भगवान अनंत प्रकट हुए और बोले हे कौडिन्य तुमने मेरा तिरस्कार किया था उसी से तुम्हे इतना कष्ट भोगना पड़ा तुम दुखी हुए अब तुमने पश्चात किया है। मै तुमसे प्रसन्न हूं। अब तुम घर जाकर विधिपूर्वक अनंत व्रत करो चौदह व्रत करने से तुम्हारा दुख दूर हो जाएगा तुम धन-धान्य से सम्पन्न हो जाओगे कौडिन्य ने वैसा ही किया और उन्हें सारे क्लेशों में मुक्ति मिल गई। श्री की आज्ञा से युधिष्ठिर ने भी अनंत भगवान का व्रत किया जिसके प्रभाव से पांडव महाभारत के युद्ध में विजयी हुए तथा चिरकाल तक राज्य करते रहें।

अनंत चतुर्दशी महत्व

भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को अनंत चतुर्दशी कहा जाता है। अनंत चतुर्दशी का हमारे धर्म में बड़ा महत्व है। इसे अनंत चौदस के नाम से भी जाना जाता है। इस व्रत में भगवान के अनंत रुपों की पूजा होती है। अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान नारायण की पूजा की जाती है और उपवास रखा जाता है। यह उपवास व्यक्ति को अभाव रोग मुक्त रखता है। पूजा के बाद बाजू पर अनंत सूत्र बांधा जाता है। जिन लोगों के रोग वर्षों से ठीक नही होते उन लोगो को यह व्रत रखना चाहिए तथा जिस घर में क्लेश होता हो तो उस घर के लोगो को अनंत चतुर्दशी के उपवास के बाद जायफल अपने हाथ से भगवान विष्णु को अर्पण करना चाहिए।

अनंत चतुर्दशी शुभ मुहूर्त

अनंत चतुर्दशी प्रारम्भः- 27 सितम्बर 2023 दिन बुधवार 10ः18 से
अनंत चतुर्दशी समापनः- 28 सितम्बर 25 दिन गुरुवार 06ः49 तक

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