बात करें यदि हम सूर्यदेव की तो हमारे ब्रह्माण्ड में स्थित सूर्यदेव को राजा ग्रह माना जाता है। ज्योतिष शास्त्र में सूर्य को पिता, पुत्र, यश, तेज, प्रसिद्धि, आरोग्य, आत्मविश्वास तथा इच्छा शक्ति का कारक ग्रह माना गया है। ऐसे में जिस पर भी सूर्य की कृपा होती है वह व्यक्ति अपने जीवन में प्रगति के पथ पर आगे बढ़ता है, उसके चेहरे पर एक अलग प्रकार की तेज देखने को मिलती है, साथ ही उस व्यक्ति के जीवन में आने वाली सभी समस्याएं दूर हो जाती है।
यदि आप भी सूर्यदेव की विशेष कृपा प्राप्त करना चाहते है तो प्रत्येक रविवार के दिन स्नानादि करके उन्हें जल अर्पित करने के बाद आदित्य हृदय स्त्रोत का पाठ कर सकते है। आपको बता दें कि आदित्य हृदय स्त्रोत का पाठ श्रद्धापूर्वक करने से सूर्यदेव जल्द ही प्रसन्न होते हैं तथा नियमित रुप से इस स्त्रोत का पाठ करने से व्यक्ति के जीवन में सफलता के द्वार खुल जाते हैं। तो आइये इस लेख में हम योग्य ज्योतिषाचार्य के. एम. सिन्हा जी के द्वारा आदित्य हृदय स्त्रोत की विधि और उससे मिलने वाले फायदे के बारे में जानते है और अपनी कुण्डली में सूर्य की स्थिति मजबूत करना चाहते हैं।
इन विधियों से करें आदित्य हृदय स्त्रोत का पवित्र पाठ
☸ सुबह जल्दी उठकर स्नानादि से निवृत होकर साफ-सुथरे वस्त्र धारण करें एक तांबे के कलश में जल, चंदन, रोली और लाल पुष्प डालकर सूर्य देव को अर्घ्य दें इस तरह अर्घ्य देनाअत्यधिक शुभ माना जाता है और यदि कोई जातक ऐसा प्रतिदिन करता है तो उसे मनोवांछित फलों की प्राप्ति होती है।
☸ सूर्य देव को अर्घ्य देते समय योग्य ज्योतिषी के अनुसार गायत्री मंत्र का जाप करना भी सर्वश्रेष्ठ माना जाता है साथ ही आदित्य हृदय स्त्रोत का पाठ करना भी अत्यधिक फलदायी होता है।
☸ आदित्य हृदय स्त्रोत जैसे पवित्र पाठ का शुरुआत शुक्ल पक्ष के किसी भी रविवार के दिन से करना सर्वोत्तम माना जाता है।
☸ जो जातक मनोवांछित फलों को जल्दी प्राप्त करना चाहता है, वह रविवार के दिन के अलावा प्रतिदिन भी इस पवित्र स्त्रोत का पाठ कर सकता है।
☸ आदित्य हृदय स्त्रोत के पूरे पाठ के दौरान सूर्यदेव का ध्यान करना चाहिए।
☸ आदित्य हृदय स्त्रोत का पाठ वह व्यक्ति बिल्कुल भी ना करें जो मांस, मदिरा का सेवन करते हैं इस पाठ को करने वाले व्यक्ति को खासकर रविवार के दिन इन चीजों का सेवन बिल्कुल भी नही करना चाहिए।