अपरा एकादशी 2023

अपरा एकादशी कृष्ण पक्ष के एकादशी तिथि को पड़ता है। इस एकादशी को अचला एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस एकादशी को करने से जातक को अपार पुण्य की प्राप्ति होती। इसलिए इसे ‘अपरा एकादशी’ की प्राप्ति होती है। इसलिए इसे ‘अपरा एकादशी’ की संज्ञा दी गई है। अपरा एकादशी का व्रत करने से साधकों को अनजाने मे किये गए पापों से छुटकारा मिलता है तथा उन्हें सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। मान्यता है कि अपरा एकादशी की कथा सुनने या पढ़ने मात्र से ही भक्तों के सभी कष्ट दूर हो जाते है और उनको भौतिक सुख की प्राप्ति होती है।

अपरा एकादशी व्रत कथा

द्वापर युग में युधिष्ठिर के पूछने पर श्री कृष्ण जी ने उन्हें बताया कि जो एकादशी ज्येष्ठ माह में पड़ती है उसे ही ‘अपरा एकादशी’ कहा जाता है। अपरा एकादशी का व्रत करने से प्रेत योनि ब्रह्म हत्या तथा पापों से मुक्ति मिलती है। कृष्ण जी ने युधिष्ठिर को बताया कि एक समय की बात है एक राज्य में महीध्वज नाम के राजा शासन करते थे, उनका एक छोटा भाई था जो जिसका नाम वज्रध्वज था वह बहुत बड़ा पापी एवं अधर्म करने वाला था तथा वह अपने बड़े भाई महीध्वज से घृजा करता था। इसलिए उसने एक साजिश के तहत रात्रि में अपने बड़े भाई की हत्या कर दी और शव को जंगल में एक पीपल के नीचे धँसा दिया अकाल मृत्यु के कारण राजा महीध्वज प्रेत योनि मे चले गए और प्रेत के रुप मे ही वह पीपल के पेड़ पर निवास करने लगे, राजा का प्रेत रुप सभी को परेशान करने लगा था। एक दिन की बात है उसी रास्ते से एक ऋषि गुजर रहे थे जिनका नाम ‘धौम्य’ था, उन्होंने उस प्रेत को पीपल के पेड़ पर देखकर अपने तपोबल से उस प्रेत राजा के बारे में सब कुछ पता कर लिया, उन्होंने प्रेम-पूर्वक उस प्रेम-आत्मा को पेड़ से नीचे उतारा और उन्हे परलोक विद्या के बारे में ज्ञान दिया, ऋषि ने राजा को प्रेत योनि से मुक्ति दिलाने के लिए स्वयं अपरा एकादशी का व्रत रखा और पूरी श्रद्धा तथा विधिपूर्वक भगवान विष्णु की पूजा अर्चना की और उनसे प्रार्थना कि इस व्रत का सम्पूर्ण पुण्य उस प्रेतात्मा राजा को मिल जाए। जिससे उसे प्रेत-योनि से मुक्ति मिल जाए। भगवान हरि ने उस व्रत का पुण्य प्रेत राजा को दिया जिससे वह राजा प्रेत योनि से मुक्त हो गए और एक दिव्य शरीर धारण किये, राजा ने ऋषि को प्रणाम किया तथा उन्हें धन्यवाद दिया उसके बाद राजा पुष्पक विमान में सवार होकर स्वर्ग की ओर प्रस्थान कर गए।

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अपरा एकादशी व्रत का महत्व

अपरा एकादशी का व्रत करने से साधकों से अनजाने मे हुई गलतियों और पापों का नाश हो जाता है और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है, अपरा एकादशी पर साथक सम्पूर्ण दिन व्रत रखते है और सायं के समय भगवान हरि (विष्णु) की पूजा अर्चना करते है, इस एकादशी पर पूरी श्रद्धा एवं विधिपूर्वक पूजा-अर्चना करने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है। अपरा एकादशी के दिन विष्णु यंत्र की पूजा अर्चना करने का भी महत्व है।

अपरा एकादशी के दिन क्या करें क्या नही

☸ एकादशी व्रत करने के एकदिन पूर्व से ही व्रती को प्याज और लहसुन का सेवन नही करना चाहिए।
☸ एकादशी के दिन आप किसी की निदा और चुगली ना करें।
☸ एकादशी के दिन चावल का सेवन वर्जित माना जाता है। इसलिए आप इस दिन चावल का सेवन ना करें।
☸ दशमी औश्र एकादशी दोनों तिथियों को ब्रह्मचर्य का पालन करें नही तो आपका तप व्यर्थ साबित हो जायेगा।
☸ एकादशी के दिन काले कपड़े धारण नही करें और सम्भव हो तो आप पीले कपड़े धारण करें।
☸ एकादशी व्रत के एक दिन पूर्व से ही किसी को मांस, मदिरा का सेवन नही करना चाहिए।

अपरा एकादशी मंत्र उपरोक्त मंत्रो में से किसी एक का ही जाप करें। 

ओम विष्णवे नमः
ओम नमो हूं विष्णवे नमः ।
ओम नमो नारायण। श्री मन नारायण हरि हरि।
श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारे। हे नाथ नारायण वासुदेवाय।।
ओम नायणाय विद्यहे। वासुदेवाय धीमहि। तन्नो प्रचोदयात्।।

अपरा एकादशी पूजन विधि

☸ एकादशी के दिन प्रातः काल स्वच्छ क्रिया से निवृत्त होने के बाद स्नान करें और साफ-सुथरा वस्त्र धारण करके एकादशी व्रत का संकल्प लें।
☸ तत्पश्चात घर के मन्दिर में एक बंदी बनाए और उस पर सात प्रकार का अनाज (उड़द, चना, जौ, गेहूं, चावल, मूंग, बाजरा) रखें।
☸ उसके बाद वेदी पर कलश की स्थापना करे तथा कलश के ऊपर आम या अशोक के वृक्ष के 5 संयुक्त पत्तों को रखें।
☸ अब भगवान विष्णु के समक्ष अगरबत्ती, धूप-दीप आदि जलाएं तथा उनको पीले फूल और तुलसी दल अर्पित करें।
☸ सायंकाल में भगवान हरि की आरती करें और उनको भोग अर्पित करने के बाद ही स्वयं फलाहार ग्रहण करें।
☸ एकादशी के अगले दिन अपने सामर्थ्य अनुसार ब्राह्मणों या जरुरतमंदों को दान-दक्षिणा दें।

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अपरा/अचला एकादशी शुभ तिथि एवं मुहूर्त

साल 2023 में अपरा एकादशी 15 मई 2020 दिन सोमवार को पड़ रहा है।
एकादशी तिथि का आरम्भ 15 मई 2023 को दोपहर 02ः50 से हो रहा है तथा एकादशी तिथि का समापन 16 मई 2023 को दोपहर 01ः05 पर होगा।
एकादशी की पारण तिथि 16 मई दिन मंगलवार को प्रातः 06ः41 से 08ः13 के बीच में बन रहा है।