Site icon Kundali Expert

अश्विन अमावस्या

चन्द्रमा की महादशा में अन्य ग्रहों की अन्तर्दशा का फल

भाद्रपद महीने में आने वाली अमावस्या को ही अश्विन अमावस्या या अहालय अमावस्या कहते है। इस अमावस्या को दुर्गा पूजा के उत्सव की शुरुआत का प्रतीक माना जाता है। इस दिन ब्राह्मण को भोजन खिलाएं एवं दान-पुण्य का कार्य करना चाहिए। जिससे पितृ तृप्त होते है और अपने पुत्रों को आशीर्वाद देते है। अश्विन अमावस्या का श्राद्धकर्म के साथ-साथ तांत्रिक दृष्टिकोण से भी बहुत है। देवी माँ के उपासक जो तंत्र साधना करते है वह इस रात्रि को विशेष तांत्रिक साधनाएं भी करते है। अमावस्या की शाम को मृत पूर्वजों के लिए श्राद्ध अनुष्ठान और तर्पण भी किया जाता है।

अश्विन अमावस्या श्राद्ध विधि

☸ आज के दिन जलाशय अथवा कुंड में स्नान करे उसके बाद सूर्यदेव को अर्ग दें।
☸ शाम के समय दीपक जलाएं और घर के दरवाजे पर पूड़ी एवं अन्य मिष्ठान भी रखें।
☸ यदि आप पूरे श्राद्ध की तिथि में पितरों का तर्पण नही कर पायें है तो आज के दिन श्राद्ध कर सकते है।
☸ श्राद्ध करने के बाद गरीबों और ब्राह्मणों को भोजन अवश्य खिलाएं।

आश्विन अमावस्या का मुहूर्त

अमावस्या प्रारम्भ तिथिः- 25 सितम्बर 2022 को 03ः14 से
अमावस्या समापन तिथिः- 26 सितम्बर 2022 को 03ः26 तक

237 Views
Exit mobile version