आमलकी एकादशी 10 मार्च 2025: महत्व, विधि और शुभ फल
आमलकी एकादशी हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है। यह व्रत विशेष रूप से भगवान विष्णु और आंवला वृक्ष को समर्पित है। 10 मार्च 2025 को यह पवित्र व्रत मनाया जाएगा। आमलकी एकादशी को न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि आध्यात्मिक और स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से भी अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है।
- आइए, इस पवित्र व्रत के महत्व, पूजा विधि और इससे प्राप्त होने वाले शुभ फलों के बारे में विस्तार से समझते हैं।
आमलकी एकादशी का महत्व
आमलकी एकादशी का नामकरण आंवला वृक्ष (आमलकी) के महत्व को ध्यान में रखते हुए किया गया है। यह व्रत भगवान विष्णु की आराधना के साथ-साथ प्रकृति और पर्यावरण की रक्षा का संदेश देता है। आंवला को आयुर्वेद में अमृत के समान माना गया है और इसे जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और स्वास्थ्य प्रदान करने वाला माना जाता है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन व्रत रखने और भगवान विष्णु की पूजा करने से व्यक्ति को सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती है और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह व्रत भक्ति, सेवा और त्याग का प्रतीक है।
आमलकी एकादशी की पूजा विधि
- व्रत का संकल्प:
प्रातः काल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें और व्रत का संकल्प लें। भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए व्रत को सफलता से पूर्ण करने का संकल्प करें। - आंवला वृक्ष की पूजा:
- आंवला वृक्ष के नीचे स्वच्छ स्थान पर भगवान विष्णु की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
- आंवला वृक्ष को जल चढ़ाएं और उसके चारों ओर दीपक जलाएं।
- आंवले के फल, फूल, चंदन, धूप और नैवेद्य अर्पित करें।
- भगवान विष्णु की आराधना:
- विष्णु सहस्रनाम और विष्णु चालीसा का पाठ करें।
- भगवान विष्णु को तुलसी दल और पंचामृत अर्पित करें।
- श्रीमद्भगवद्गीता का पाठ करें।
- भजन और कीर्तन:
परिवार और अन्य भक्तों के साथ मिलकर भजन और कीर्तन करें। - दान और सेवा:
- जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र और धन का दान करें।
- गायों को हरा चारा और पक्षियों को दाना खिलाएं।
आमलकी एकादशी का व्रत कथा
प्राचीन कथा के अनुसार, एक बार भगवान विष्णु ने राजा चित्ररथ के राज्य में प्रकट होकर सभी लोगों को धर्म और भक्ति का महत्व समझाया। राजा ने आंवला वृक्ष की पूजा कर भगवान विष्णु को प्रसन्न किया। भगवान ने राजा को धन-धान्य और मोक्ष का आशीर्वाद दिया। इस कथा से यह स्पष्ट होता है कि आमलकी एकादशी व्रत करने से व्यक्ति के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है।
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आमलकी एकादशी का पुण्य फल
- सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती है।
- जीवन में सुख-शांति और समृद्धि का आगमन होता है।
- मानसिक शुद्धि और आध्यात्मिक प्रगति होती है।
- स्वास्थ्य लाभ मिलता है, क्योंकि आंवला को आयुर्वेद में अत्यंत गुणकारी माना गया है।
विज्ञान और स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से आंवला का महत्व
आंवला विटामिन सी का प्रमुख स्रोत है और यह रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में सहायक है। यह पाचन शक्ति को सुधारता है और शरीर से विषाक्त पदार्थों को निकालता है। आमलकी एकादशी के दिन आंवले का सेवन स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभकारी होता है।
आमलकी एकादशी पर विशेष सुझाव
- इस दिन अपने मन और वचन को पवित्र रखें।
- झूठ, आलस्य और क्रोध से बचें।
- भगवान विष्णु की आराधना में पूरी श्रद्धा और भक्ति से मन लगाएं।
- प्रकृति और पर्यावरण की रक्षा के लिए आंवला या अन्य पौधे लगाएं।
आमलकी एकादशी 2025 के शुभ मुहूर्त
- आमलकी एकादशी सोमवार, मार्च 10, 2025 को है।
11वाँ मार्च को, पारण (व्रत तोड़ने का) समय – 06:35 ए एम से 08:13 ए एम के मध्य !
पारण तिथि के दिन द्वादशी समाप्त होने का समय – 08:13 ए एम पर !
एकादशी तिथि प्रारम्भ – मार्च 09, 2025 को 07:45 ए एम बजे से,
एकादशी तिथि समाप्त – मार्च 10, 2025 को 07:44 ए एम बजे पर !
निष्कर्ष
आमलकी एकादशी व्रत भगवान विष्णु और प्रकृति की उपासना का अद्वितीय अवसर प्रदान करता है। 10 मार्च 2025 को मनाया जाने वाला यह व्रत न केवल धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व रखता है, बल्कि पर्यावरण और स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता फैलाने का भी संदेश देता है।
इस पवित्र व्रत को पूरे श्रद्धा और भक्ति के साथ करें और भगवान विष्णु की कृपा से अपने जीवन को आनंद और समृद्धि से भरपूर बनाएं।