आलस्य आने में किन ग्रहों की भूमिका होती हैं तथा आलस्य आने के कुछ ज्योतिषीय उपाय

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस पूरी दुनिया में जितने भी लोग हैं उन सभी व्यक्तियों का अपना एक स्वभाव होता है। अक्सर करके हमने यह देखा है कि कुछ व्यक्ति भगवान के द्वारा मिले हुए इस जीवन में बहुत ही ऊर्जावान तथा सक्रिय होते हैं वहीं कुछ जातक ऐसे भी होते हैं जो बहुत ही ज्यादा आलसी स्वभाव के होते हैं उन्हें अपने जीवन में आगे क्या करना है, कैसे बढ़ना है इन सभी चीजों की कोई परवाह नही होती है। आखिर ऐसा क्यों होता है ? हम अपने जीवन में कभी सक्रिय और कभी इतने आलसी क्यों हो जाते हैं ? इसको जानने और समझने के लिए हमारे ज्योतिष शास्त्र में सबसे सटीक जानकारी बताई गई है।

अतः ज्योतिष शास्त्र के अनुसार आपकी जन्म कुण्डली में स्थित ग्रहों की कुछ विशेष दशा और अवस्था भी आपको पूरी तरह से आलसी बनाने के लिए जिम्मेदार होती है तो ऐसे कौन से ग्रह हैं जिनकी शुभ या अशुभ दशा से जातक को आलस्य आने लगता है इनके बारे में हमारे योग्य ज्योतिषाचार्य के. एम. सिन्हा जी के द्वारा जानते हैं।

इन ग्रहों की दशाओं के कारण जातक होते हैं आलसी
कुण्डली में सूर्य की दशा

बात करते हैं आपके कुण्डली में उपस्थित सूर्य कि तो हमारे ब्रह्माण्ड में स्थित सूर्य को ऊर्जा प्रदान करने का सबसे बड़ा स्त्रोत माना जाता है परन्तु यदि किसी जातक की जन्म कुण्डली में सूर्य अशुभ या कमजोर अवस्था में उपस्थित हो तो अपनी इस अवस्था में होने के कारण सूर्य व्यक्ति को बहुत ही ज्यादा आलसी बना देता है। सूर्य के कमजोर हो जाने पर व्यक्ति इस हद तक आलसी हो जाता है कि उस व्यक्ति का अपने बिस्तर पर से उठने तक का मन नही करता है। अतः व्यक्ति इस आलस भरे स्वभाव के कारण ही अपने जीवन में कुछ कर पाने में असमर्थ रहता है।

कुण्डली में चन्द्रमा की दशा

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार बात करें यदि हम चन्द्रमा कि तो आपकी जन्म कुण्डली में उपस्थित चन्द्रमा अपने केन्द्र स्थान यानि कुण्डली के पहले, चौथे, सातवें या फिर दसवें घर के स्वामी हों, साथ ही जिनकी जन्म कुण्डली के इन घरों में कर्क राशि उपस्थित हो तो उन जातकों में आलस्य का भाव अत्यधिक देखने को मिलता है ऐसे जातक अपने जीवन में हर चीज की कल्पना तो करते हैं परन्तु उसे पूरा करना नही जानते हैं। ऐसे जातक हमेशा आलस्य में रहते हैं और किसी काम को करने या लक्ष्य प्राप्ति के लिए मेहनत करने से भी दूर भागते हैं।

कुण्डली में शनि की दशा

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार बात करते हैं हम शनि ग्रह कि तो हमारे ब्रह्माण्ड में उपस्थित सभी ग्रहों में शनि ग्रह को बहुत ही ज्यादा धीमी गति से चलने वाला ग्रह माना जाता है। ऐसे में जिन जातकों की जन्म कुण्डली में शनि की दशा अशुभ होती है साथ ही शनि यदि कुण्डली में अपनी कमजोर अवस्था में होता है तो ऐसी स्थिति में जातक अपने जीवन में बहुत ही ज्यादा आलसी बन जाते हैं। शनि देव अपनी इस स्थिति में जातक के आलस्य को बढ़ाने का काम करते हैं परन्तु इस बात का केवल यह अर्थ ही नही हैं कि शनिदेव केवल आलस्य बढ़ाते हैं बल्कि शनिदेव अपनी शुभ स्थिति में जातक को अनुशासन में रहना साथ ही व्यक्ति को मेहनत करना भी सिखाते हैं। यह केवल कुण्डली में अपने शत्रु भाव में होने के कारण ही व्यक्ति को सुस्त बना देते हैं।

कुण्डली में राहु की दशा

शास्त्रों के अनुसार राहु की बात करें तो यदि किसी जातक कि जन्म कुण्डली में राहु लग्न भाव में उपस्थित हो तो ऐसा जातक आलसी स्वभाव का होता है। लग्न भाव में होने के कारण इनका आलस्य इतना ज्यादा बढ़ जाता है कि इनकी सोचने समझने की क्षमता तक कम हो जाती है जिसके कारण व्यक्ति सही और गलत का अन्तर नही कर पाता है। राहु के लग्न भाव में होने के कारण जातक का दिमाग बहुत धीरे काम करता है इसी कारण से जातक उस दशा में एकदम आलस होने जैसा बर्ताव करने लगता है।

कुण्डली में गुरु की दशा

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार बात करें अगर गुरु ग्रह कि तो यदि किसी जातक की कुण्डली में गुरु ग्रह अपनी अशुभ दशा या कमजोर स्थिति में हो तो ऐसी स्थिति में जातक के शरीर में धीरे-धीरे आलस्य की वृद्धि होने लगती है। गुरु ग्रह की इस दशा में आने के कारण व्यक्ति अपनी आलस्य वाली स्थिति में ही ऐसा सोचने लगता है कि उसने अपने जीवन में सब कुछ पा लिया है अब उसे अपने किसी भी जरुरतों को पूरा करने के लिए मेहनत करने की आवश्यकता नही है। इन्हीं कारणों से जातक अपने जीवन में एक ही स्थान पर जमे रहते हैं और उनके जीवन में सब कुछ उनके पास है यह सोचकर कभी आगे नही बढ़ पाते हैं।

आलस्य दूर करने के कुछ ज्योतिषीय उपाय
दिन की शुरुआत योगा से करें

यदि कोई जातक अपने आप में यह महसूस कर रहा है कि उसे बहुत आलस्य आ रहा है या शरीर में सुस्ती आ रही है तो उसे अपने दिन की शुरुआत 15 मिनट के योगा से करना चाहिए। योगा से दिन की शुरुआत करना व्यक्ति के शरीर के साथ-साथ दिमाग के लिए भी अत्यधिक फायदेमंद होता है। प्रतिदिन सूर्योदय होने के समय में 15 मिनट का योगा करने से जीवन में आलस्य दूर हो जाता है। साथ ही आप अपने आपको हर दिन एनर्जी से भरा हुआ महसूस करेंगे इसलिए आप अपने प्रतिदिन की दिनचर्या में योगा अवश्य शामिल करें।

किसी काम को बोझ न समझें

यदि कोई जातक अपने आलसी स्वभाव के कारण अपने किसी भी काम चाहे वह छोटा हो या बड़ा उसे बोझ मानने लगे हैं  तो ऐसा करने से उनका पूरा महत्वपूर्ण कार्य रुका रह जायेगा। यदि आपको अपना काम बोझ लग रहा है तो उन्हें अपने काम से कभी मुँह नही मोड़ना चाहिए बल्कि उसे पूरा करके ही रहना चाहिए। यदि आपने अपने काम को पूरा करने के लिए ठान लिया हैं तो ऐसा करने से आप काफी हद तक आलस्य से छुटकारा पा सकते हैं।

प्रतिदिन के खाने में हल्का डाइट शामिल करें

अक्सर लोग अपने प्रतिदिन की दिनचर्या में भारी खाना खाने के आदि होते हैं जिसमें की फैट, शुगर और कार्बोहाइड्रेट की मात्रा बहुत ही ज्यादा होती हैं। जिसको खा लेने से आपका शरीर पूरी तरह से सुस्त हो जाता है और आपका शरीर पूरी तरह से सुस्त हो जाने के कारण आप अपने आपको बहुत ज्यादा थका हुआ महसूस करते हैं। ऐसे में आपको अपने प्रतिदिन कि दिनचर्या में बहुत ही हल्का खाना खाने की आदत डालनी चाहिए। ऐसा करने से आपका शरीर ऊर्जा से भरा रहेगा जिससे आप अपने जीवन में पूरी तरह से ऊर्जावान और स्वस्थ रहेंगे।

अपना आज का काम दूसरे दिन पर न डालें

अक्सर करके ऐसे बहुत लोग होते हैं जो अपने आज के लिए पूरा करने के लिए सोचे गये काम को दूसरे दिन पर डाल देते हैं परन्तु इसमें आपकी कोई गलती नही होती क्योंकि आलस्य की अधिकता के कारण ही आपको ऐसा मजबूरन करना पड़ता है परन्तु यदि इन बुरी आदतों को जल्दी नही सुधारा गया तो यह आदत धीरे-धीरे करके एक लत बन जाती है। इसका सीधा और सबसे बड़ा कारण होता है आलस्य यदि आप अपने आलस्य भरे इस जीवन से बचना और कोसो दूर जाना चाहते हैं तो आपको अपना काम कल के लिए छोड़ने की आदत को पूरह तरह से सुधार लेना चाहिए।

समय पर नींद पूरी करने की आदत डालें

आजकल के आधुनिक समय के लोग रात भर कई-कई घंटों तक टी.वी और मोबाइल देखने के बहुत ज्यादा शौकीन होते हैं ऐसे में उन्हें नींद बहुत अच्छी नही आ पाती है वहीं यदि जातक को यदि 8 घंटे सोना चाहिए तो वह पाँच या चार घंटे की ही नींद ले पाते जिसका उनके स्वास्थ्य पर बहुत बुरा असर पड़ता हैं साथ ही जातक बहुत सी बीमारियों का शिकार भी हो जाता है। अतः नींद से जुड़ी हुई ऐसी आदतें जातक के शरीर में काफी ज्यादा आलस्य भी बढ़ा देती है।इसलिए अपने आलसपन को दूर करने के लिए पर्याप्त मात्रा में नींद अवश्य लेना चाहिए।

दही का सेवन करें

वास्तव में दही जातक को ऊर्जावान बनाये रखने के लिए बहुत ही ज्यादा सहायक होता है। इसमें कार्बोहाइड्रेट और प्रोटीन काफी मात्रा में होने के कारण यह जातक के शरीर में ऊर्जा प्रदान करने में मदद करता है साथ ही इसका सेवन करने से जातक के शरीर में थकान और सुस्ती को पूरी तरह से दूर करता है।

प्रतिदिन ग्रीन टी का इस्तेमाल करें

वास्तव में ग्रीन टी हमारे शरीर के लिए अत्यधिक फायदेमंद होता है यह हमारे शरीर में एकाग्रता को बढ़ाता है। आलस्य और सुस्ती को पूरी तरह से दूर करने के लिए ग्रीन टी का सेवन अवश्य करना चाहिए। इसका सेवन करने से काम के बोझ के कारण तनाव भी कम हो जाता है साथ ही शरीर में एक अलग प्रकार की ऊर्जा भी मिलती है।

सौंफ और मिश्री का सेवन करें

सौंफ की बात करें तो इसमें आयरन, सोडियम, पोटैशियम और कैल्शियम काफी मात्रा में पाये जाते है इसका प्रतिदिन सेवन करने से जातक के जीवन में आयी हुई आलस्य और सुस्ती कोसों दूर चली जाती है जिससे जातक हर समय ऊर्जावान रहता है।

दलिया का सेवन करना होता है उचित

यदि कोई जातक अपने जीवन में आलस्य और सुस्ती से बुरी तरह से प्रभावित हैं तो ऐसे में जातक को दलिया का सेवन करना चाहिए। आपको बता दें दलिया में कार्बोहाइड्रेट और ग्लाइकोजन काफी मात्रा में पाये जाते हैं जो कि जातक के शरीर को हमेशा ऊर्जावान बनाने में सहायक होते है। इसके सेवन से जातक का आलस्य कोसो दूर हो जाता है।

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