आषाढ़ अमावस्या 2023

आषाढ़ महीने में आने वाली अमावस्या आषाढ़ अमावस्या कहलाती है। शुक्ल पक्ष में चन्द्रमा का आकार बढ़ता है परन्तु कृष्ण पक्ष में चन्द्रमा का आकार धीरे-धीरे घटता है। पूर्णिमा तिथि को चन्द्रमा पूरे गोल आकार में उदित होकर आकर्षक रुप में दिखाई देता है जबकि अमावस्या की रात्रि पूरा अन्धकार होता है। अमावस्या को हलधारिणी अमावस्या भी कहते है। इस अमावस्या को अपने पितरो को भी प्रसन्न करने के लिए पवित्र जल से स्नान करके उन्हें जल अर्पित किया जाता है। इस दिन वरुण देवता की भी पूजा की जाती है। आषाढ़ अमावस्या के दिन यज्ञ करने से फसल अच्छी होती है तथा इससे वरुण देवता भी प्रसन्न होते है । अमावस्या को शुभ नही माना जाता है इससे अशुभ असर पड़ता है। जब सूरज और चन्द्रमा एक ही राशि में प्रवेश करते है तब उस दिन अमावस्या होती है। अमावस्या के दिन हल व उपकरणों की पूजा की जाती है।

आषाढ़ अमावस्या कथा

आषाढ़ अमावस्या की बहुत सी विशेषताएं है। अमावस्या के दिन जाने अनजाने में किये गये पापों से मुक्ति पाने के लिए  स्नान करके पितरों को जल अर्पित करते है और पुण्य की प्राप्ति के लिए पीपल, नीम, आंवला, अशोक, तुलसी, बेल आदि का पेड़ लगाना चाहिए। पितरों का आशीर्वाद पाने के लिए उनको निमित्त तर्पण अवश्य करें। इस दिन पितृ तर्पण नदी स्नान और दान पुण्य आदि करना ज्यादा फलदायी होता है। यह अमावस्या तिथि पितृ दोष से मुक्ति दिलाने में सहायक होती है इसलिए पितृ कर्म के लिए यह तिथि बहुत ही शुभ मानी जाती है। यह वर्ष का चौथा महीना होता है। इसके समाप्त होने के बाद इस दिन दान पुण्य किया जाता है जिससे पितरो की आत्मा को शांति मिलती है।

आषाढ़ अमावस्या का महत्व

अमावस्या का पुण्य फल प्राप्त करने के लिए किसी पवित्र जल तीर्थ पर अगर ना जा सके तो स्नान करते समय अपने पितरों का ध्यान करे और नहाने वाले जल में गंगाजल मिला लें। अमावस्या के दिन यदि कोई कुछ मांगे तो उसे कभी खाली हाथ वापस नही लौटाना चाहिए। इस दिन स्नान और दान का विशेष महत्व होता है।
कुछ लोगो को राहु-केतू से बनने वाले पितृदोष के कारण मानसिक तनाव रहता है और साथ ही कामों में बाधा उत्पन्न रहती है इसलिए निवारण हेतू अमावस्या के दिन की जाने वाली पूजा से पितरों को प्रसन्न किया जाता है और उनका आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है।

आषाढ़ अमावस्या व्रत विधि

☸ अमावस्या को अपने घर की साफ-सफाई करें तथा स्नान से पहले जल को प्रणाम करें।
☸ अमावस्या के दिन दीप पूजा का रिवाज है यह पूजा पंचमहाभूत के पिता को समर्पित है इसमे वायु, अग्नि, जल आकाश और पृथ्वी को प्रमुख घटक माना गया है।
☸ इस दिन स्नान के बाद मंदिर मे दीप प्रज्वलित किया जाता है।
☸ सूर्य देव को अर्घ देना इस दिन लाभकारी माना जाता है।
☸ अगर आप उपवास रखें सकते तो इस दिन उपवास भी रखें।
☸ इस दिन पितर सम्बन्धित कार्य करने चाहिए। पितरों कोे निमित्त तर्पण और दान करें।
☸ अमावस्या की रात को घर के चारों ओर दिये रखें जाते है।
☸ अमावस्या के दिन देवी सरस्वती, देवी पार्वती या देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है।
☸ इस पावन दिन पर भगवान विष्णु जी की भी पूजा का विशेष महत्व होता है।
☸ इस दिन विधि-विधान से शंकर भगवान की पूजा अर्चना भी करें।

उपाय

☸ अमावस्या के दिन पूर्वजों को पिण्डदान किया जाता है। पितरों को पानी में अक्षत और काला तिल मिलाकर तर्पण दें।
☸ ब्राह्मणों को दान और दक्षिणा देना चाहिए।
☸ कौआ, गाय, कुत्तें को भी भोजन का अंश दे इससे पितर प्रसन्न होते है।
☸ अमावस्या की शाम घर के ईशान कोण में एक दीपक जलाएं उसमें गाय के घी, केसर के लाल धागें वाली बत्ती का उपयोग करें। इससे माता लक्ष्मी का आशीर्वाद मिलेगा और धन सम्पत्ति का लाभ व वृद्धि होगी।
☸ पीपल के पेड़ में भगवान विष्णु सहित कई देवों का वास होता है। अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ की पूजा करें पूजा में उनको फल, फूल, जनेऊ, धूप, दीप एवं जल अर्पित करें।

ध्यान देने योग्य बातें

☸ अमावस्या के दिन सदाचार का पालन करें, क्रोध, हिंसा तथा कोई भी अनैतिक कार्य करने से बचें।
☸ मांस और शराब का सेवन ना करें।
☸ घर में किसी भी प्रकार की गन्दगी के ना होने का विशेष ध्यान दिया जाता है।
☸ इस दिन कोई भी शुभ कार्य और क्रय-विक्रय का कार्य नही करना चाहिए।
☸ अमावस्या के दिन किसी दूसरे के घर भोजन नही करनी चाहिए।
☸ इस दिन गुड़ का दान करना बहुत शुभ होता है। नमक का दान करना भी कल्याणकारी होता है।

आषाढ़ अमावस्या शुभ तिथि एवं मुहूर्तः- 17 जुन 2023 शनिवार
आषाढ़ः कृष्ण पक्ष का आरम्भः- 17 जून को 09ः11
समापनः- 18 जून को 10ः06 पर

 

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