कजरी तीज 2023

भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की तृतीया को कजरी तीज का पर्व बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। यह तीज छोटी तीज के रुप में भी माना जाता है तथा इसे बादी तीज की भी संज्ञा दी गई है। यह त्यौहार पूरे भारत में बड़े पैमाने पर मनाया जाता है। कजरी तीज पर भगवान शिव और माता पार्वती की आराधना की जाती है। कुवारी लड़कियाँ यह व्रत अच्छे वर की प्राप्ति के लिए करती है।

कजरी तीज के दिन लोग झूला भी डालते है तथा घरों में पकवान एवं मिष्ठान बनाया जाता है। महिलाएं अपने सुहाग की सलामती और लम्बी उम्र के लिए यह व्रत रखती है। इस दिन महिलाएं दिन भर निर्जला व्रत रखती है और प्रार्थना करती है कि उनके पति की आयु लम्बी हों। यह त्यौहार जन्माष्टमी से पाँच दिन पहले और रक्षाबंधन के तीन दिन बाद मनाया जाता है।

कजरी तीज की पूजा विधि 

☸ इस दिन महिलाएं सभी कार्यों को पूर्ण कर स्नान आदि कर लें। इसके पश्चात माँ का स्मरण करते हुए निर्जल व्रत का संकल्प लें।
☸ इसके पश्चात माँ के लिए भोग मे मालपुआ बनायें ।
☸ कजरी तीज व्रत के पूजन के लिए मिट्टी या गोबर से एक छोटा सा तालाब बना लें ।
☸ उसके बाद तालाब मे नीम की डाल पर चुनरी चढ़ाकर नीमड़ी माता की स्थापना करें।
☸ उसके बाद धूप-दीपक जलाकर आरती करें और शाम के समय चन्द्रमा को अर्घ्य देकर व्रत का पारण करें।

कजरी तीज व्रत कथा 

पौराणिक मान्यता के अनुसार, एक गांव में एक ब्राह्मण रहता था जो बहुत गरीब था। उसके साथ उसकी पत्नी ब्राह्मणी भी रहती थी। इस दौरान भाद्रपद महीने की कजरी तीज आई। ब्राह्मणी ने तीज का व्रत किया। उसने अपने पति यानी ब्राह्मण से कहा कि उसने तीज माता का व्रत रखा है। उसे चने का सत्तु चाहिए कहीं से ले आओ। ब्राह्मण ने ब्राह्मणी को बोला कि वो सत्तु कहां से लाएगा। इस पर ब्राह्मणी ने कहा कि उसे सत्तु चाहिए फिर चाहे वो चोरी करे या डाका डालें। लेकिन उसके लिए सत्तु लेकर आए। रात का समय था ब्राह्मण घर से निकलकर साहूकार की दुकान में घुस गया। उसने साहूकार की दुकान से चने की दाल, घी, शक्कर लिया और सवा किलो तौल लिया फिर इन सब से सत्तु बना लिया। जैसे ही वो जाने लगा वैसे ही आवाज सुनकर दुकान के सभी नौकर जाग गए। सभी जोर-जोर से चोर-चोर चिल्लाने लगे।

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आवाज सुनकर साहूकार जाग गया और चोर को पकड़ लिया। ब्राह्मण ने अपनी सफाई देते हुए कहा कि मैं चोर नही हूँ बल्कि एक गरीब ब्राह्मण हूं मेरी पत्नी ने आज कजरी तीज का व्रत रखा है। इसलिए मैने केवल सवा किलो सत्तु लिया है तब साहूकार ने ब्राह्मण की तलाशी ली और साहूकार को सत्तु के अलावा कुछ नही मिला।

तब साहूकार ने कहा कि आज से मैं अपनी धर्म बहन मानूंगा और साहूकार ने ब्राह्मण को सत्तु, गहने, रुपये, मेंहदी तथा बहुत सारा धन देकर विदा किया और सभी ने मिलकर कजरी माता की आराधना की जिससे कजरी माता की कृपा सभी पर बनें।

कजरी तीज का महत्व

कजरी का त्यौहार मानसून से भी सम्बन्ध रखता है तथा इस शब्द की उत्पत्ति लोक परम्परा में हुई जो इस बात का संकेत देता है कि एक महिला अपने पति से थोड़े समय के अलगाव का दर्द कैसे महसूस करती है। महिलाएं अनुष्ठान करने के लिए अपने पैतृक घर जाती है और चन्द्रमा की पूजा भी करती है।
कजरी तीज के दिन लगभग महिलाएं झूला-झूलती है तथा अपने महिलाओं मित्रों के साथ एक समूह में भजन, कीर्तन एवं झूला के गीतों के साथ नाच-गाने करती है। कुआरी लड़कियाँ अच्छा वर पाने के लिए यह व्रत रखती है।

कजरी तीज पर चन्द्रमा को अर्घ्य देने के नियम

☸ कजरी तीज के दिन शाम के समय नीमड़ी माता की आराधना करने के बाद चन्द्रमा को अर्घ्य दिया जाता है।
☸ चन्द्रमा को जल के छींटे देकर, रोली, मोली, अक्षत चढ़ाएं।
☸ उसके पश्चात चन्द्रमा को भोग लगाएं।
☸ अब चाँदी की अंगूठी और गेहूं के दानें हाथ में लेकर जल से अर्घ्य दें और एक स्थान पर खड़े होकर चार बार परिक्रमा करें।

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कजरी तीज का शुभ मुहूर्त 2023

वर्ष 2023 में कजरी तीज 01 सितम्बर 2023 को रात्रि 11 बजकर 52 मिनट से आरम्भ होकर 02 सितम्बर को रात्रि 05 बजकर 51 मिनट पर समाप्त होगा।