कन्या संक्रान्ति

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार प्रत्येक राशि एक निर्धारित समय पर एक राशि से दूसरी राशि में गोचर करते है। इसी प्रकार संक्रान्ति वह दिन है जब सूर्य एक राशि का चक्र पूरा करके दूसरी राशि में प्रवेश करता है। सूर्य का सिंह राशि से निकलकर कन्या राशि में प्रवेश करना ही ‘कन्या-संक्रान्ति’ कहलाता है। मान्यता है कि कन्या संक्रान्ति के दिन सूर्यदेव को प्रसन्न करने से जीवन में खुशियों का आगमन होता है और सभी खुशियों का आगमन होता है और कष्ट दूर हो जाते है। कन्या संक्रान्ति के दिन स्नान-दान और पितरों की आत्मशांति के लिए पूजन भी किया जाता है।

कन्या संक्रान्ति पर करें ये विशेष कार्य

☸ कन्या संक्रान्ति के दिन पवित्र पेड़-पौधे लगाना चाहिए। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पीपल के पेड़ में पितरों का वास होता है। इसलिए इस दिन पीपल का पौधा मन्दिर या बगीचे मे लगाना चाहिए।
☸ कन्या संक्रान्ति के दिन तुलसी अथवा विल्प का पौधा लगान से भगवान दिवाकर अत्यन्त प्रसन्न होते है और साथक के सभी मनोरथों को पूर्ण करते है।
☸ कन्या संक्रान्ति के दिन गौशाला में धन या अनाज का दान करने सभी सूर्य देव अत्यन्त प्रसन्न होते है।
☸ कन्या संक्रान्ति के दिन सूर्यदेव को तांबे के लोटे से जल-अर्पित करना चाहिए।
☸ जल अर्पित करते समय सूर्य देव को लाल पुष्प और अक्षत अवश्य डाले तथा ओम सूर्यायः नमः मंत्र का जाप करें।

कन्या संक्रान्ति का बारह राशियों पर प्रभाव

मेष;- कन्या राशि में गोचर करते हुए सूर्य का गोचर मेष राशि में षष्टम भाव में होगा और उसके प्रभाव से आपके सभी कार्य पूर्ण होंगे। स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से कन्या संक्रान्ति आपके लिए अच्छा रहेगा। विद्यार्थी वर्ग जो प्रतियोगी परीक्षा या सरकारी नौकरी की तलाश में है उनके लिए यह सूर्य का गोचर बहुत अच्छा परिणाम देने वाला है।

वृषः- वृष राशि में सूर्य देव का गोचर पंचम भाव में होगा। जिसके प्रभाव से वृष राशि के जातकों को अत्यधिक कष्ट का सामना करना पड़ेगा। इस गोचर काल में आपको कोई भी निर्णय जल्दबाजी में नही लेना चाहिए अन्यथा नुकसान उठाना पड़ सकता है। परिवार के सदस्यों के बीच वाद-विवाद की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। जिसके कारण आपको मानसिक तनाव का सामना करना पड़ सकता है।

मिथुनः- मिथुन राशि में सूर्य के गोचर से जातकों के अन्दर आत्मविश्वास बढ़ेगा। किसी भी कार्य को आरम्भ करने से पहले आपको बड़ो से सलाह लेना चाहिए। सूर्य के इस गोचर के फलस्वरुप आपके पारिवारिक सम्बन्ध मजबूत होंगे। इस अवधि में आपके फॅसे हुए पैसे मिलने की संभावना भी बन रहा है।

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कर्क;- कर्क राशि में सूर्य देव तृतीय भाव में संचरण करेंगे। जिसके फलस्वरुप आपके सेहत में सुधार आयेगा। इस गोचर काल में आपको मानसिक समस्या से राहत भी मिलेगा। कार्य-व्यवसाय में भी आपको उन्नति मिलेगी तथा जहाँ आप कार्य कर रहे है। वहाँ पर भी आपको सहकर्मियों य वरिष्ठों का सहयोग मिलेगा। जिसके फलस्वरुप उनके साथ आपके सम्बन्ध अच्छे होंगे।

सिंहः- सूर्य देव को यह गोचर आपके राशि के वित्तीय भाव में हो रहा है। इसलिए आपको कोई भी निर्णय लेने से पहले इस पर विचार करना चाहिए। वाणी पर संयम बनाकर रखें अन्यथा कार्य बिगड़ सकता है। सूर्य के इस संक्रान्ति से आपको मानसिक तथा शारीरिक तनाव उत्पन्न हो सकता है। जिसके लिए आपको पहले से ही सावधान रहना चाहिए।

कन्याः- सूर्य का गोचर ही कन्या राशि में हो रहा है। जिसके फलस्वरुप सूर्य का यह गोचर आपके स्वभाव में नकारात्मक प्रभाव देगा जिससे आपके अन्दर अहंकार की वृद्धि होगी और आपका सम्बन्ध अपनों के साथ खराब हो जायेगा। लेन-देन मे सतर्क रहें अन्यथा हानि भी उठाना पड़ सकता है। सूर्य के इस गोचर से आपको नत्र विकार का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए आप पहले से सतर्क रहें।

तुलाः- सूर्य के गोचर में आपको बड़े अवसर प्राप्त होंगे परन्तु इस अवधि में आपके परिवार के किसी सदस्य का सेहत खराब हो सकता है। इसलिए आप पूर्व से ही सावधान रहे। यात्रा का योग बन रहा है। कन्या संक्रान्ति के प्रभाव से विद्यार्थी वर्ग के लिए अनुकूल परिणाम देने वाला रहेगा। शेयर-बाजार से जुड़े लोगों को लाभ मिलने की सम्भावना है।

वृश्चिकः- वृश्चिक राशि के एकादशी में सूर्य देव गोचर करते हुए संचरण करेंगे। जिसके प्रभाव से आपके सेहत मे सुधार आयेगा। मानसिक परेशानियों से राहत मिलेगा। कार्य-व्यवसाय में आपको सफलता मिलेगी एवं कार्यस्थल पर आपके अपने सहकर्मियों और वरिष्ठों का सहयोग मिलेगा। जिसके फलस्वरुप उनके साथ आपके सम्बन्ध अच्छे होंगे।

धनुः- धनु राशि में सूर्य देव गोचर करते हुए दशम भाव में विराजमान रहेंगे। जिसके फलस्वरुप आपको कार्य-व्यवसाय से अच्छा परिणाम प्राप्त होगा। नौकरी कर रहे लोगों का इस गोचर काल में पदोन्नति का योग भी बन रहा है। व्यापार से जुड़े लोगों को अच्छा अवसर प्राप्त होगा। यदि आपको नेत्र से जुड़ा कोई समस्या है तो सूर्य देव इस गोचर काल में उससे भी छुटकारा दिलायेंगे।

मकरः- सूर्य देव के मकर राशि में प्रवेश करने के फलस्वरुप इस राशि के जातकों को अपने कार्यों के प्रति विवादों से बचकर रहना चाहिए तथा अपने सेहत का भी ख्याल रखना चाहिए। इस गोचर काल में आपको मानसिक तनाव का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए जितना हो सके आपको मानसिक तनाव से दूर रखना चाहिए।

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कुंभः- कन्या राशि में गोचर करने के साथ सूर्य देव आपके राशि के अष्टम भाव में उपस्थित रहेंगे। जिससे आपको कई प्रकार का वाद-विवाद का सामना करने का संभावना बना हुआ है इसलिए स्वयं पर संयम रखें बेहतर रहेगा। सेहत की दृष्टिकोण से इस गोचर काल में आपको कोई पुरानी बीमारी उत्पन्न हो सकती है। इसलिए आप खान-पान पर विशेष ध्यान दें। इस समय आपको गैर-कानूनी गतिविधियों से दूर रहना चाहिए।

मीनः- मीन राशि में सूर्य देव के गोचर से जातक को शेयर मार्केट से अच्छा लाभ मिलेगा। कार्य-व्यवसाय से सम्बन्धित नयें अवसर प्राप्त होंगे तथा आपका रुका हुआ कार्य भी पूरा होगा। सूर्य के गोचर काल में आपको क्रोध पर नियंत्रण रखना चाहिए अन्यथा कार्य बिगड़ सकता है।

सूर्य देव के कन्या में गोचर से जुड़े कुछ मुख्य तथ्य

सूर्य बुध की युतिः- कन्या राशि में गोचर कर सूर्य का वक्री होना बुध के साथ युति। जिस समय सूर्य देव कन्या में गोचर करेंगे तो वहाँ पर वक्री बुध पहले से विराजमान होगा। जिसके फलस्वरुप सूर्य-बुध की युति भी होगी। सूर्य-बुध की युति के कारण रुई, चांदी, घी व बैंकिग शेयर में तेजी बनी रहेगी।

सूर्य शुक्र की युतिः- ज्योतिष विद्या के अनुसार 17 सितम्बर को सूर्य का कन्या राशि में गोचर होगा उसके कुछ दिन पश्चात 24 सितम्बर को शुक्र का भी कन्या राशि में गोचर होगा जो वहां पर पहले से उपस्थित सूर्य देव के साथ युति करेंगे। इन दोनो ग्रहों के शत्रुता के कारण कन्या राशि के विवाहित जातकों के साथी को स्वास्थ्य सम्बन्धित परेशानियां उत्पन्न हो सकती है।

षडाष्टक योग का निर्माणः- कन्या राशि में गोचर करते हुए सूर्य मेष में उपस्थित राहु के साथ षडाष्टक सम्बन्ध बनाएगा। ज्योतिष विद्या में षडाष्टक योग को अशुभ माना जाता है। जिसका निर्माण दो ग्रहों के योग से बनता है। षडाष्टक योग के निर्माण के दौरान कोई दो ग्रह छठें व आठवें भाव में विराजमान होते है। जिसके कारण उन ग्रहों के मध्य एक दूसरे से 6 और 8 का अशुभ सम्बन्ध का निर्माण हो जाता है। राहु-सूर्य के मध्य में सम्बन्ध होने से देश के किसी बड़े हस्ती के निधन होने का संभावना है। बाढ़, भूकम्प, चक्रवात आदि की स्थिति बनेगा तथा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कई देशों के मध्य तनाव की स्थिति रहेगी।

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केतु सूर्य से बनेगा द्वविद्वादश योगः- कन्या में गोचर करते हुए सूर्य तुला उपस्थित केतु के साथ द्विर्दवादश योग अशुभ व दरिद्रता का सूचक माना जाता है। जिसका निर्माण दो ग्रहों के योग से बनता है। इसके दौरान दो ग्रह एक-दूसरे से दूसरे तथा बारहवें स्थान पर होते है। जिसके फलस्वरुप तूफान आने की संभावना बनेगी। देश में सरकार तथा अपने विपक्षी पक्ष से विवाद की स्थिति भी उत्पन्न होगी।

गुरु के साथ सूर्य देव निर्माण करेंगे सम सप्तक दृष्टि सम्बन्धः- 17 सितम्बर को सूर्य देव गोचर करते हुए मीन में वक्री गुरु के साथ सूर्य का सम सप्तक दृष्टि सम्बन्ध बनेगा। विद्वान ज्योतिषियों के अनुसार वक्री गुरु पर वक्री शनि की दृष्टि भी पड़ेगी। जिसके फलस्वरुप तेल, तिल, सुपारी, लाल वस्त्र, सोना, तांबा, नारियल और सूई में तेजी और बाद में मंदी देखने को मिलेगी।

कन्या संक्रान्ति का महत्वः- सभी संक्रान्ति का अपना-अपना महत्व होता है। उसी प्रकार कन्या संक्रान्ति का भी विशेष महत्व होता है। मान्यताओं के अनुसार कन्या संक्रान्ति के दिन भगवान विश्वकर्मा जी की पूजा आराधना की जाती है। कन्या संक्रान्ति के दिन भगवान जरुरतमंदों की सहायता करने का भी विधान है। कन्या राशि में बुध और सूर्य का मिलन होता है। जिसके फलस्वरुप बुधादित्य योग का निर्माण होता है। कन्या संक्रान्ति विशेष रुप से उड़ीसा और पश्चिम बंगाल में मनाई जाती है।

कन्या संक्रान्ति पूजा विधि

☸कन्या संक्रान्ति के दिन नदी, तालाब या जलाशय में स्नान करते समय जल में थोड़ा सा काला तिल प्रवाहित करें।
☸सम्भव हो तो इस दिन उपवास भी रखें।
☸स्नान के पश्चात तांबे के लोटे में जल लाल पुष्प, अक्षत, गुड़ और हल्दी डालकर सूर्यदेव को अर्पित करें।
☸सूर्य देव को जल चढ़ाते समय ओम सूर्याय नमः का 3 बार जाप अवश्य करें।
☸जल चढ़ाने के पश्चात आटा, तिल के लड्डु, चावल, दाल अवश्य दान करें।
☸कन्या संक्रान्ति के दिन रात्रि में भगवान विश्वकर्मा की पूजा का आयोजन भी करें।

कन्या संक्रान्ति शुभ तिथि एवं मुहूर्त

कन्या संक्रान्ति का त्यौहार साल 2023 में 17 सितम्बर दिन रविवार को मनाया जायेगा।
कन्या संक्रान्ति पुण्य कालः- दोपहर 01ः43 से सायं 06ः24 तक
कन्या संक्रान्ति महा पुण्य कालः- दोपहर 03ः46 तक