जन्म कुण्डली में दो ग्रह जब एक साथ विद्यमान हों तो एक विशेष योग का निर्माण करते हैं यहां मुख्य रुप से सूर्य से सूर्य के साथ युति बनाने पर अलग-अलग ग्रहों के फल इस प्रकार बताये गये हैं। द्विग्रह योग एक प्रकार के कुण्डली के योग का संदर्भित करता है। वृहत्संहिता अध्याय- 2 के अनुसार द्वि ग्रह योग पुरुषों के भाग्य को प्रभावित करता है।
जिस जातक की जन्म कुण्डली में सूर्य और चन्द्रमा एक साथ विद्यमान हो तो वह जातक स्त्री के वश में रहने वाला अल्प मन, अनुशासन हीन व परिश्रम करने वाला होता है।
जन्मकुण्डली में सूर्य और मंगल की युति वाला पराक्रमी, साहसी व बलवान होने के साथ-साथ क्रूर स्वभाव वाला पाप क्रिया में रहने वाला व मिथ्या चारी होता है।
सूर्य व बुध की युति होने पर जातक परम विद्वान, वक्ता, विद्यवानों का आदर करने वाला धर्म-कर्म में रुचि रखने वाला सांसारिक भोगों को भोगने वाला होता है।
सूर्य के साथ गुरु देव की युति होने पर जातक विद्यवान, धनवान, पुत्रवान व धर्म-कर्म में रुचि रखने वाला राजा से सम्मान प्राप्त करने वाला तथा सर्वत्र यश प्राप्ति के साथ-साथ अध्ययन में रुचि रखने वाला विद्यवान होता है।
सूर्य के साथ शुक्र विद्यमान होने पर जातक स्त्रियों में अशक्ति रहने वाला रहस्मयी बातों को जानने वाला अपराधी प्रवृत्ति का होता है।
सूर्य के साथ शनि की युति होने पर जातक धीर गंभीर व वृद्धों सा व्यवहार करने वाला, धातु का ज्ञान रखने वाला, कठोर परिश्रम करने वाला तथा पुत्रहीन भी होता है।
सूर्य के साथ राहु अथवा केतु की युति होने पर जातक पाप कर्म से कार्यरत रहने वाला, गुप्त रहस्य को जानने वाला व क्रूर प्रवृति का होता है।
द्विग्रह योग और अजीविका
द्विग्रह योग और अजीविका का विचार किया जा सकता है जिसका प्रयोग अत्यन्त सावधानी से करना चाहिए। प्रयोग करते समय ये देखना आवश्यक होता है जो ग्रह यह योग बना रहे हैं वे किन भावों के स्वामी हैं तथा फल देने में कितने सक्षम हैं।
सूर्य -चन्द्र की युति
जातक बाध्य यंत्रो को बजाने या बनाने का कार्य करता है। वह शिल्पकार भी हो सकता है तथा इस योग से राजनेता, मनोवैज्ञानिक तथा इतिहासकार भी बन सकता है।
सूर्य मंगल की युति
जातक क्रूर झूठ बोलने वाला, प्रपंचक आदि हो सकता है। इस योग के होने से जातक राजनयिक, पुलिस या सेना, सरकारी नौकरी, फैक्ट्री में कार्य करने वाला बड़ी सम्प्रदा, फार्म हाउस चलाने वाले होते हैं। यह योग उद्योगपतियों, राजनीतिज्ञों तथा लकड़ी के व्यापारियों को बनाने में सक्षम होता है।
सूर्य-बुध की युति
यह योग जिसे बुधादित्य योग भी कहते हैं। सामान्यतः पाये जाने वालों मे है क्योंकि बुध की सूर्य से अधिक दूरी 27 अंश मात्र हो सकती है। यह जातक को निपूर्ण बनाती है। सुयोग्य, शिक्षक, अद्वितीय, उपदेशक, प्रचाकर, वक्ता, राजनैयिक, गणितज्ञ तथा समाचार पत्र पत्रिकाओं में नियमित स्तम्भ लेखने इसी योग की देन होता है।
सूर्य-गुरु की युति
इस योग के होने से जातक राजा से सम्मानित पवित्र शिक्षक दूसरों की सेवा में रत उपदेशक, आश्रम, मंदिर के कर्मचारी आदि बनता है।
सूर्य-शुक्र की युति
रंगमंच अथवा अस्त्र-शस्त्र से धन अर्जित करना स्त्रियों के साथ अथवा उनके द्वारा भी धन की प्राप्ति।
सूर्य-शनि की युति
धातु का काम, शराब, बर्तन बनाने वाला।
सूर्य-राहु की युति
वकील, दवाईयां, वैकल्पिक चिकित्सा जैसे आयुर्वेद आदि।
सूर्य-केतु की युति
जासूस, पराविद्या का जानकार, धार्मिक कार्यकर्ता आदि।
चन्द्र-मंगल की युति
रसायन तथा रसायन शास्त्री लेखक, इंजीनियर युद्ध के इतिहास का लेखक अथवा चमड़े का व्यापारी बनता है।
चन्द्र-बुध की युति
कवि, शराब विक्रेता, द्रव्यों के व्यापारी, नाविक, जहाजों के स्वामी उनके एजेन्ट आदि होते हैं ऐसा जातक अत्यन्त धनी व सुखी होता है।
चन्द्र-गुरु की युति
पुजारी, धैर्य सम्बन्धी कार्य विज्ञापन, अपनी धर्म शाखा के प्रमुख आयोजन कर्ता वित्तीय विशेषज्ञ समाज सेवी होता है।
चन्द्र-शुक्र की युति
ऐसा जातक सिनेमा या टेलीविजन का कलाकार, स्त्री मनोरोग विशेषज्ञ होता है।
चन्द्र-शनि की युति
शिक्षक पुरातत्व, घोड़े तथा हाथी का पशुशाला रखने वाले, आश्रमों में किसी पक्ष विशेष की अनुयायी, धार्मिक आदि से जुड़ा होता है।
चन्द्र-राहु की युति
अत्यन्त संवेदनशीलता, मनोवैज्ञानिक पथोलाॅजिस्ट आदि होता है।
चन्द्र-केतु की युति
ऐसा जातक मनोचिकित्सक पराविद्या विशेषज्ञ आदि के क्षेत्रों से जुड़ा होता है।