कुण्डली में बना काहल योग दिलाता है मान-सम्मान और शोहरत

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार बात करें यदि हम काहल योग कि तो इस सृष्टि पर जितने भी जातक हैं उन सभी की कुण्डली में कोई न कोई शुभ या अशुभ योग अवश्य बनते हैं। अतः इन्हीं शुभ योगों में से एक होता है काहल योग इस योग का भी अपना एक विशेष महत्व होता है। मान्यता के अनुसार जिस किसी जातक की कुण्डली में यह योग बनता है उस जातक में बहुत ही शानदार नेतृत्व क्षमता होती है। ये जातक अपने जीवन में एक प्रसिद्धि, पद और सफलता की प्राप्ति करते हैं तो आइए काहल योग के बारे में हमारे योग्य ज्योतिषाचार्य के. एम. सिन्हा जी के द्वारा विस्तार से जानते हैं।

काहल योग क्या है

शास्त्रों के अनुसार यदि बात करें हम काहल योग कि तो यह योग एक अत्यन्त ही दुर्लभ योगों में से एक माना जाता है। आपको बता दें इस योग का संबंध जातक के पराक्रम से जोड़कर देखा जाता है। अतः जिन जातकों की कुण्डली में इस योग का निर्माण होता है तो वह जातक सेना या फिर पुलिस में होते हैं इसके अलावा ऐसे जातक अपने जीवन में अत्यधिक जोश और आत्मविश्वास से खूब धन समृद्धि और सफलता की प्राप्ति करते हैं।

कब बनता है कुण्डली में काहल योग

किसी जातक की कुण्डली में काहल योग का निर्माण तब होता है जब कुण्डली में स्थित चौथे भाव के स्वामी ग्रह कुण्डली के नौवे भाव के स्वामी ग्रह के साथ युति कर रहे हो, इसके अलावा यदि कुण्डली में लग्न भाव का स्वामी या तो कुण्डली के चौथे भाव में स्थित हो या अपनी ही राशि में मौजूद हों तो ऐसी स्थिति में  कुण्डली में काहल योग का निर्माण होता है। काहल योग ज्यादातर कुंभ लग्न की कुण्डली में बने हुए दिखाई देते हैं।

काहल योग का महत्व

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार काहल योग के महत्वों कि बात करें तो जिन जातकों की कुण्डली में यह योग बनता है उस जातक के जीवन में हमेशा स्थिरता बनी रहती है। जो जातक अपने जीवन में आयी हुई किसी भी कठिन परिस्थितियों का सामना किये बिना स्वयं को असफल मान लेते हैं। वह जातक भी कुण्डली में बने हुए इस योग से धीरे-धीरे सफल होने लगते हैं। इसके अलावा यह योग जातक के जीवन में खूब मान-सम्मान की प्राप्ति कराते है साथ ही अपने जीवन में यह जातक डाॅक्टर, इंजीनियर जैसे अन्य क्षेत्रों में पेशेवर के रुप में कार्य करके खूब तरक्की हासिल करते हैं।

जातक की कुण्डली में यह योग यदि अत्यधिक प्रबल हो जाये तो ऐसा जातक अपने स्वभाव से बहुत ही ज्यादा क्रोधित और अक्रामक होता है जिसके कारण उस जातक को अपने जीवन में बहुत से उतार-चढ़ाव का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा कुछ मामलों में इस योग के बनने से जातक एक लोकप्रिय नेता बनकर पूरे देश-दुनिया में शासन भी स्थापित करते हैं।

कुण्डली में काहल योग कब फलदायी नही होता है

☸ शास्त्रों के अनुसार बात करें कुण्डली में काहल योग कब फलदायी नही होता तो आपको बता दें किसी जातक की कुण्डली में यदि तीसरे घर का स्वामी और दसवें घर का स्वामी अशुभ होकर एक दूसरे से यदि प्रथम, चतुर्थ, सप्तम और दशम भाव में स्थित हो तो कुण्डली में ऐसे योग के बन जाने से यह योग प्रभावहीन हो जाता है। अतः ऐसी स्थिति में जातक अपराधी बन जाता है।

☸ काहल योग एक ऐसा योग होता है जो जातक को कुछ परिस्थितियों में महान बनाता है तथा कभी-कभी इस योग से जातक को वित्तीय संकटों का सामना करना पड़ता है। जब कभी भी जातक की कुण्डली में इस योग का निर्माण होता है वह जातक अवश्य रुप से अपने जीवन में उतार-चढ़ाव का सामना करता हैं।

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