भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को श्री कृष्ण भगवान के जन्म का उत्सव पूरे भारत में मनाया जाता है। भक्त मध्यरात्रि को कृष्ण कन्हैया का श्रृंगार करते है उन्हें माखन चढ़ा के भोग लगाते है और पूजा आराधना करते है। इसी के साथ सभी भक्त मध्य रात्रि में उत्सव मनाकर नृत्य तथा भजन कीर्तन करते है। कृष्ण जन्माष्टमी को गोकुलाष्टमी के रुप में भी जाना जाता है। भगवान विष्णु जी के दशावतारों में से आठवें और चौबीस अवतारों में से बाईसवें अवतार श्री कृष्ण के जन्मोत्सव के आनन्दोत्सव के लिए मनाया जाता है। जब धरती पर पाप और अधर्म हद से ज्यादा बढ़ जाता है तब भगवान ने धरती पर अवतार लिया करते है। विष्णु जी का एक अवतार भगवान श्री कृष्ण है। जिन्होंने देवकी और वासुदेव के आठवें पुत्र के रुप में अवतार लिया।
जन्माष्टमी व्रत कथा
स्कन्द पुराण के अनुसार मथुरा में उग्रसेन नाम के एक राजा थें जो स्वभाव से बहुत ही सीधे-साधे थे यही वजह थी की उनके पुत्र कंस ने ही उनका राज्य हड़प् लिया और स्वयं मथुरा का राजा बन गया। कंस की एक एक बहन थी जिनका नाम देवकी था। कंस उनसे बहुत स्नेह करता थें देवकी का विवाह वासुदेव से तय हुआ तो विवाह सम्पन्न होेने के बाद कंस स्वयं ही रथ हांकते हुए बहन को ससुराल छोड़ने के लिए जा रहे थे तभी एक आकाशवाणी हुई की जिस बहन को वो इतने प्रेम से विदा करने जा रहे है। उसी बहन का आठवां पुत्र तेरा संहार करेगा यह सुनते ही कंस क्रोधित हो गया और देवकी और वासुदेव को जैसे ही मारने के लिए आगे बढ़ा तभी वासुदेव ने कहा की वह देवकी को कोई नुकसान न पहुंचाए वह स्वयं ही देवकी की आठवीं संतान कंस को सौप देगा इसके बाद कंस ने देवकी और वासुदेव और देवकी को मारने के बजाए कारागार में डाल दिया। कारागार में ही देवकी ने सात संतानों को जन्म दिया और कंस ने सभी को एक-एक करके मार दिया इसके बाद जैसे ही देवकी फिर से गर्भवती हुई तभी कंस ने कारागार का पहरा और भी कड़ा कर दिया तब भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी की रोहिणी नक्षत्र में कन्हैया का जन्म हुआ तभी श्री विष्णु ने वासुदेव को दर्शन देकर कहा की वह स्वयं ही उनके पुत्र के रुप में जन्मे है। उन्होंने यह भी कहा की वासुदेव जी उन्हें वृन्दावन में अपने मित्र नंदबाबा के घर पर छोड़ आएं और यशोदा जी के गर्भ से जिस कन्या का जन्म हुआ है। उसे कारागार में ले आये यशोदा जी के गर्भ से जन्मी कन्या कोई और नही बल्कि स्वयं माया थी। यह सबकुछ सुनने के बाद वासुदेव जी ने वैसा ही किया। वासुदेव जी ने जैसे ही कन्हैया को अपनी गोद में उठाया कारागार के ताले स्वयं ही खुल गयें पहरेदार अपने आप ही नींद के आगोश में आ गये फिर वासुदेव जी कन्हैया की टोकरी में रखकर वृन्दावन की ओर चल कहते है की उस समय यमुना नदी पूरे ऊफान पर थी तब वासुदेव जी ने टोकरी को सिर पर रखा और यमुना नदी का पार करके नंद बाबा के घर पहुंचे वहां कन्हैया को यशोदा जी के साथ पास रखकर कन्या को लेकर वापस मथुरा लौट आयें। जब कंस को देवकी की आठवी संतान के बारे में पता चला तो वह कारागार पहुंचा वहा उसने देखा की आठवी संतान तो कन्या है। वह उसे जमीन पर पटकने ही वाला था की वह माया रुपी कन्या आसमान में पहुंचकर बोली अरे मूर्ख मुझे मारने से कुछ नही होगा तेरा काल तो पहले ही वृन्दावन पहुंच चुका है और वह जल्दी ही तेरा अंत करेगा। इसके बाद कंस ने वृन्दावन में जन्में सभी नवजातों का पता लगाया। जब यशोदा के लाला का पता चला तो उसे मारने के कई प्रयास किए गयें परन्तु श्री कृष्ण को मारने मे कंस हमेशा असफल रहा अंत में श्री कृष्ण ने कंस का वध करके धरती से पाप और बुराई का अंत किया।
जन्माष्टमी का महत्व
जन्माष्टमी व्रत को व्रतो का राजा महाव्रत कहा जाता है। विष्णु जी के दशावतारों मे से आठवें और चैबीस अवतारों मे से बाइसवें अवतार श्री कृष्ण के जन्म के आनन्दोत्सव के लिए मनाया जाता है। भगवान का अवतार होने के कारण से श्री कृष्ण जी में ही सिद्धियां उपस्थिति थी यह वर्ष भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। कृष्ण की कथा के अनुसार वह अपनी माता देवकी से जन्म लेने वाले आठवें बच्चे है। जन्माष्टमी का संदेश है। इच्छुक बनाना और खुद को एक व्यक्ति (जानकार व्यक्ति) में बदलना जैसे की जीवन क्या है। यदि आप इन सब गुणों से पूर्ण एक आदर्श पुरुष का उदाहरण देखना चाहते है तो भगवान श्री कृष्ण को देखिए क्योंकि भगवान श्री कृष्ण को ज्ञान के क्षेत्र में पूर्णता हासिल थी। कई भक्त इस विशेष दिन पर कर्मकाण्ड का व्रत रखते है। जबकि कुछ लोग निर्जला व्रत का विकल्प चुनते है। कुल लोग केवल फल ग्रहण करते है।
दही हांडी का महत्व और कथा
यह भविष्यवाणी की गई की भगवान विष्णु का आठवां अवतार जो मथुरा को बुराई के चंगुल से बचायेंगा और कंस का अंत करने वाला होगा। जब कंस ने देखा की उसका अपना भांजा ही उसके पतन का कारण होगा तो उसने अपनी बहन देवकी की सभी संतानों को खत्म किया। एक मुवा लड़के के रुप में भगवान श्री कृष्ण को अपनी उच्च साहसी और शरारती व्यवहार के लिए जाने जाते थे मक्खन और दही के साथ-साथ अन्य सभी प्रकार के दूध से प्राप्त उत्पादो के लिए उनकी लालसा हमेशा उन्हें वृन्दावन रहने वाले लोगो से चोरी करने के लिए प्रेरित करती थी मगर उनकी पालक मां यशोदा उन्हें अपने पड़ोसियों से चोरी करने से हमेशा रोकती थी लेकिन माखन चोर के पास भगवान विष्णु की शक्ति थी माखन चोरी से परेशान वृन्दावन की महिलाओं ने अपने ताजे मक्खन को उंचाई पर बांधना शुरु कर दिया ताकि भगवान श्री कृष्ण वहां तक न पहुंच सके हालांकि भगवान श्री कृष्ण उतने ही साधन थे। जितने की व शरारती थे वे और उनके सखा माखन को चुराने के लिए साथ मिलकर एक के उपर एक चढ़कर एक पिरामिड जैसा आकार बना लेते थे और आसानी से माखन चोरी कर लेते थे।
जन्माष्टमी व्रत करने के नियम
☸भगवान श्री कृष्ण को प्रसन्न करने के लिए शुभ दिनों में से एक है क्योंकि इस दिन भगवान कृष्ण पक्ष का जन्म हुआ था।
☸कृष्ण जन्माष्टमी व्रत के अनुष्ठानों में चूंकि भगवान श्री कृष्ण ने आधी रात को जन्म लिया इसलिए भक्त भक्ति पूर्वक ने आधी रात को जन्म लिया इसलिए भक्त भक्ति पूर्वक उपवास करते है और उनके जन्म के वास्तविक क्षण का सम्मान करने के लिए बाल गोपाल या भगवान कृष्ण के बाल रुप को स्नान और श्रृंगार करते है।
☸उसके बाद मूर्ति को एक झूले में रखा जाता है और झुलाया जाता है।
☸घी और मक्खन जैसी सामग्री से तैयार भोग चढ़ाया जाता है। जिसे भगवान कृष्ण बचपन में खाते है।
☸उसके बाद भगवान कृष्ण की पूजा आराधना करते है। भगवान की रेगती हुई छवि भक्तो को सर्वव्यापी प्रेम के साथ नम्र करती है।
☸भगवान के भजन गाकर और हरे राम हरे कृष्ण मंत्र के साथ-साथ इस मंत्र के साथ-साथ मंत्र ओम नमो भगवते वासुदेवाय के असंख्य बार उनके जन्म का जश्न मनाते है।
जन्माष्टमी का शुभ मुहूर्त 2023
कृष्ण जन्माष्टमी प्रारम्भ तिथि:- दोपहर 03 बजकर 37 मिनट से
कृष्ण जन्माष्टमी समाप्ति तिथि:- 7 सितम्बर को सुबह 10ः25 मिनट तक