कैंसर की बीमारी में वास्तु की भूमिका

☸ वास्तुशास्त्र के बारे में बात करें तो यह एक ऐसी विद्या है जो किसी निर्माण से सम्बन्धित चीजों के शुभ और अशुभ फलों को बताता है। यहाँ तक की यह किसी निर्माण के कारण होने वाली समस्याओं के कारण और निवारण को भी बताता है। यह भूमि, दिशाओं और ऊर्जा के सिद्धान्त पर कार्य करता है। इसमें भी पाँच तत्वों को संतुलित करने का सिद्धान्त कार्य करता है। यह एक ऐसी प्राचीन विद्या है जिसको वर्तमान आधार पर समझना आवश्यक है। आजकल के समय में बढ़ती कीमतों और घटते हुए कम जगह के कारण अब भवन निर्माण पुराने जमाने की तरह आयतकार में नहीं हो पाता है। अतः कम जगह में अत्यधिक सुविधायें देने के लिए भवन में जिस जगह जो उचित लगता है बना दिया जाता है ऐसे घरों में रहने वाले सभी जातको को वास्तुदोष होने के कारण कई बार कैंसर जैसी बीमारियों का सामना भी करना पड़ सकता है अतः ऐसी ही घर की अनियमित बनावट के कारण घर में सकारात्मक और नकारात्मक ऊर्जा के बीच असंतुलन पैदा हो जाता है। इसी कारणवश दुनियाँ में हर प्रकार के रोग बढ़ते जा रहे हैं क्योंकि वास्तु का रोगों से अभिन्न सम्बन्ध है इसी कारणवश घरों के वास्तुनुकूल का निर्माण न होने के कारण ही कैंसर ने महामारी का रूप ले लिया है।

☸ जिस घर में किसी भी प्रकार के कैंसर के मरीज हैं उनके घर में दो या दो से अधिक वास्तुदोष अवश्य होते हैं जिसमें से एक वास्तुदोष ईशान कोण वाले भाग में अवश्य होता है। इस कोण में में घर का ईशानकोण गोल होना, कटा हुआ होना, दबा हुआ होना या जरूरत से ज्यादा ईशानकोण का बड़ा होना या फिर घर की अन्य दिशा की तुलना में ईशान कोण का ऊँचा होना इत्यादि जबकि ईशान कोण का भाग 90 डिग्री में होना चाहिए और इस भाग का फर्श भी बाकी फर्श के समान समतल या फिर उससे नीचा होना चाहिए। ऐसे में शरीर के किस भाग में कैंसर है या हो सकता है यह निर्भर करता है घर के दूसरे वास्तुदोषों पर जो कि घर की दक्षिण पश्चिम दिशा या आग्नेय, वायव्य और नैऋत्य कोण में ही कहीं न कहीं होता है जो की इस प्रकार से है।

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घर में वास्तुदोष होने के कारण कौन-कौन से कैंसर की बीमारी का खतरा बढ़ सकता है
पेट का कैंसर होना

किसी भी जातकों में पेट के कैंसर की बीमारी घर के वास्तु दोष के अनुसार तब होता है, जब घर के पश्चिम और पश्चिम नैऋत्य में भूमिगत पानी का किसी प्रकार से स्त्रोत होना इसके अलावा घर का यही भाग किसी भी प्रकार से घर के ईशान कोण की तुलना में नीचा होना या बढ़ा हुआ होने पर पेट का कैंसर होने की संभावना ज्यादा हो सकती है।

भवन निर्माण करते समय जगह की कमी, जरूरत था फिर डिजाइन के हिसाब से घर के कुछ जगहों को ऊँचा और कुछ जगहों को सुविधानुसार नीचा बना दिया जाता है इसी कारण से घर में नकारात्मक और सकारात्मक दोनो ही ऊर्जाओं का असंतुलन- बन जाता है जिसके कारण एक व्यक्ति में कैंसर जैसी बीमारी के जन्म होने का खतरा बढ़ जाता है जिससे कैंसर से सम्बन्धित अलग-अलग बीमारियों उत्पन्न होती है जिनकी जानकारी नीचे दी गई है।

ब्लड कैंसर का होना

किसी जातक को ब्लड कैंसर जैसी बीमारी घर के वास्तुदोष के अनुसार तब होती हैं। जब घर के नैऋत्य से कोण में भूमिगत पानी का स्त्रोत होना इसके अलावा घर का नैऋत्यकोण बहुत नीचा होना या बढ़ा हुआ होना साथ ही घर की अन्य दिशाएं ईशान कोण की तुलना में बहुत नीचा होना एक व्यक्ति में ब्लड कैंसर होने की संभावना उत्पन्न करता है।

छाती और फेफड़े का कैंसर होना

किसी जातक को छाती और फेफड़े का कैंसर घर के वास्तुदोष के अनुसार तब होता है जब घर का उत्तर और उत्तर वायव्य बन्द हो या फिर घर के पश्चिम और पश्चिम नैऋत्य कोण में भूमिगत पानी का स्त्रोत किसी प्रकार से हो इसके अलावा घर का नैऋत्यकोण किसी प्रकार से नीचा या बढ़ा हुआ हो तो ऐसी स्थिति में छाती और फेफड़े में कैंसर होने की संभावना बढ़ जाती है।

आंत का कैंसर होना

किसी जातक को आंत में कैंसर घर के वास्तुदोष के अनुसार तब होता है जब घर के पश्चिम नैऋत्यकोण में भूमिगत पानी का स्त्रोत किसी प्रकार से होना या फिर घर का नैऋत्यकोण किसी प्रकार से नीचा या बढ़ा हुआ हो तो जातक को आंत का कैंसर होने की संभावना होती है।

ब्रेस्ट का कैंसर होना

किसी जातक को ब्रेस्ट का कैंसर घर के वास्तुदोष के अनुसार तब होता है जब घर की पूर्व दिशा और आग्नेय कोण यानि (पूर्व-दक्षिणा का कोना) में पानी का किसी प्रकार से स्त्रोत होना जैसे टंकी, कुआँ, बोरिंग इत्यादि नही होना चाहिए तथा घर की पूर्व दिशा या आग्नेय कोण नीचा हो साथ ही घर का ईशान कोण ऊँंचा या नीचा होने पर भी ब्रेस्ट कैंसर होने की संभावना हो सकती है।

सिर वाले और मुंह का कैंसर होना

किसी जातक को सिर और मुंह का कैंसर घर के वास्तुदोष के अनुसार तब होता है जब उसके घर का ईशानकोण आवश्यकता से अधिक ऊँचा और बढ़ा हुआ और उसके घर का पश्चिम दिशा किसी प्रकार से अधिक नीचा हो तो ऐसी स्थिति में जातक को सिर, गले और मुँह का कैंसर होने की संभावना होती हैं।

किडनी का कैंसर होना

किसी जातक को किडनी का कैंसर घर के वास्तुदोष के अनुसार तब होता है जब घर के पश्चिम दिशा और नैऋत्यकोण पानी का किसी भी प्रकार का स्त्रोत हो या फिर घर की यह दिशा किसी प्रकार जी नीचा था बढ़ा हुआ हो तो ऐसे में जानक को किडनी में कैंसर होने की प्रबल संभावना होती है।

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ब्रेन कैंसर का होना

किसी जातक में ब्रेन कैंसर होने की संभावना घर के वास्तुदोष के अनुसार तब होती है जब घर का वायव्य कोण, उत्तर, ईशान कोण व पूर्व दिशा ऊँचा हो तथा आग्नेय दक्षिण, नैऋत्य कोण तथा घर के पश्चिम दिशा में भूमिगत पानी का स्त्रोत हो या फिर घर की यह दिशा नीची हो या बढ़ा हुआ हो तो यह स्थिति इस कैंसर का संकेत देती है।

यूट्रस कैंसर का होना

किसी जातक में यूट्रस कैंसर होने की संभावना घर के वास्तुदोष के अनुसार तक्ष होती है जब घर की दक्षिण दिशा या दक्षिण नैऋत्यकोण में भूतिगत पानी के का किसी प्रकार से स्रोत हो या घर की यह दिशा किसी भी प्रकार से नीची या बढ़ी हो तो ऐसी स्थिति में जातक यूट्रस के कैंसर से बुरी तरह से पीड़ित हो सकता है।

गर्भाशय से कैंसर का होना

किसी स्त्री जातकों में गर्भाशय का कैंसर घर के वास्तुदोष के अनुसार तब होता है जब घर के दक्षिण दिशा या घर के दक्षिण नैऋत्य कोण में भूमिगत पानी का स्त्रोत होता है। इसके अलावा घर के दक्षिण या दक्षिण नैऋत्य कोण का भाग किसी भी प्रकार से नीचा या फिर बढ़ा हुआ हो साथ ही घर के पूर्व आग्नेय भाग में भूमिगत पानी का स्त्रोत जैसे टंकी, बोरिंग, कुआं या तालाब इत्यादि हो या वह भाग ऊँचा या नीचा हो तो ऐसी स्थिति में गर्भाशय कैंसर होने की प्रबल संभावना होती हैं।

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