ग्रहों के मुख्य कारकतत्व

सूर्य के कारकतत्व (Significator of Sun)

वृश्चिक संक्रान्ति 2023

सूर्य पुरुष तत्व प्रधान ग्रह है जो आत्मा, पिता, पुत्र, राजा, उच्चपदस्थ, मंत्री आदि का कारकतत्व हैं सूर्य प्रकाश का प्रतीक है तथा शक्ति भी माना जाता है। किला, ऊष्मा, साहस, अग्नि, भूमि, वन, दाहिनी आँख, शेर, पत्थर, पूर्व दिशा का अधिपति, माणिक्य, नारंगी रंग, आत्म बोध, सत्य, गुण, राज्य, गुफा एवं औषधि आदि का कारक है।

सुबह का सूर्य ब्रह्मा, दोपहर का सूर्य शिव, सायं का सूर्य विष्णु के समान माना जाता है क्योंकि जब संसार के जीव सो रहे होते है तो सूर्य पिता की भाँति जीवों की रक्षा करते हैं।

काल पुरुष कुण्डली में सूर्य पंचमेश होता है इसलिए नाड़ी ज्योतिष में सूर्य को संतान का कारक ग्रह माना गया है।

चन्द्रमा का कारकतत्व (Significator of Moon)

ग्रहों के मुख्य कारकतत्व 1

चन्द्रममा को माँ का कारक माना जाता है तथा माँ के गुणों को दर्शाता है अर्थात चन्द्रमा किसी भी जातक के लिए माँ निरुपण करता है। चन्द्रमा पृथ्वी का भी कारक है इसलिए पृथ्वी को धरती माँ कहते है। चन्द्रमा, दूध एवं धरती तथा समुद्र से पैदा हाने वाले भोज्य पदार्थों का कारक है। मन का आवेग, कफ, कंपन, गति, यात्रा, दूध, क्षीर सागर के ज्वार भाटा नियंत्रक-मन के आवेग, प्रसिद्धि, दूरी, खून पानी के स्त्रोत का प्रतीक, चरित्र, भावना, जल तत्विय रोग, नींद झील, तालाब आदि का कारक है।

काल पुरुष कुण्डली में चन्द्रमा चौथे भाव का स्वामी होता है इसलिए यह माता एवं माता की कई विशेषताओं का प्रतीक है। चौथा भाव स्त्री भाव होता है इसलिए यह महिलाओं का प्रतिनिधित्व करता है।

मंगल का कारकतत्व (Significator of Mars)

03 अक्टूबर मंगल का राशि परिवर्तन

मंगल एक पुरुष प्रधान ग्रह है। मंगल क्रूर ग्रहों की श्रेणी में आता है जो शस्त्र, ठोस पदार्थ, अहंकार, पुरुष जातकों की कुण्डली में भाई का कारक, बंदूक की गोली, मशीन, कमांडर, पहाड़, छोटी पहाड़ियाँ, धातु आदि को निरुपित करता है।

अग्नि, कैंची त्रिकोणीय आकार, खंभे, दांत भी मंगल के अधीन माना गया है क्योंकि काल पुरुष कुण्डली में मंगल अष्टमेश होता है इसलिए पुरुष का पौरुष तत्व भी मंगल से देखा जाता है एवं मंगल पराक्रम का भी सूचक है।

कालपुरुष कुण्डली में मंगल प्रथम भाव का प्रतिनिधित्व करता है तथा सातवां भाव शुक्र जातक की पत्नी को सूचित करता है। स्त्री की कुण्डली में सातवां भाव पति का माना गया है।

बुध का कारकतत्व (Significator of Mercury)

(7 जून) बुध का राशि परिवर्तन | zodiac change of mercury |

बुध को बुद्धि एवं विवेक का प्रतीक माना जाता है। बुध, चन्द्र पुत्र, सूर्य का उत्तराधिकारी, ललाट, बुद्धि, विद्या, अध्ययन, खेल के मैदान, खेती एवं व्यवसायिक भूमि आदि का सूचक माना जाता है। काल पुरुष की कुण्डली में बुध पराक्रमेश होता है जिसके परिणाम स्वरुप ये मित्र, नौकर, आस-पड़ौसी, हरियाली हरा रंग, छोटे चाचा, छोटे भाई-बहन, छोटे पेड़-पौधे, चर्म, व्यापार, ट्रेड़िग, लेन-देन, स्वभाव, राजकुमार, दीवार इत्यादि का कारक माना गया है।

विशेषः- मंगल एवं बुध ग्रह परस्पर शत्रु होते हैं तथा इनकी युति शिक्षा क्षेत्र में रुकावटें उत्पन्न करती है। मंगल अहंकार है इसलिए जातक को विद्याध्ययन एवं चिंतन में अहंकार हो जाता है।

गुरु के कारकतत्व (Significator of Jupiter)

ग्रहों के मुख्य कारकतत्व 2

गुरु पुरुष जातक की कुण्डली में जीव का कारक माना जाता है। गुरु को सम्मानित ग्रह माना जाता है। अतः गुरु अध्यापक, पुजारी, सलाहकार, चिकित्सक आदि का कारक है साथ ही धार्मिक कार्यों पर भी गुरु का शासन होता है। पीला एवं सुनहरी रंग, सोना, समभुज आकार धार्मिक स्थान, विद्यालय, अस्पताल अनुसंधान केन्द्र आदि।

पूजा योग्य वृक्ष, वामनावतार, टिन धातु, पुखराज, मीठा स्वाद, मोटा चना, पीपल का पेड़, ब्राह्मण का श्राप, धार्मिक गुरु मंत्री भगवान ब्रह्माजी, धार्मिक अध्ययन एवं हल्दी पर गुरु का शासन होता है।

विशेषः- लगभग सभी ग्रह, आदर, ताकत, पद, स्थिति आदि अपने कारकतत्व अनुसार देते हैं। अतः ग्रहों की कौन सी पद है इसका पूर्ण ध्यान रखना चाहिए।

सूर्य ग्रह राजा जैसा स्थान एवं स्वभाव देता है तथा स्वाभिमानी बनाता है। इस प्रकार चन्द्रमा रानी जैसा, मंगल, पुलिस, नेता, अहंकार जैसा स्वभाव प्रदान करता है। बुध राजकुमार की भाँति स्वभाव देता है तथा शुभ स्थिति शांति प्रिय बनाता है व अशुभ स्थिति में विचारों और मन में तनाव उत्पन्न करता है। देवगुरु बृहस्पति की संज्ञा गुरु को दी जाती है। शुक्र राजकुमारी एवं राजसिक रुप में सहायता प्रदान करता है तथा इसे दैत्य गुरु शुक्राचार्य की संज्ञा दी गई है।

शनि दास,नौकर, चपरासी, निम्न जाति के लोग जैसे स्वभाव देता है।

राहुः- झूठ, विश्वासघात, नीच, चालाकी इत्यादि का स्वभाव देता है।

केतुः- केतु को मोक्ष एवं अध्यात्मिकता का प्रतीक माना जाता है। राहु तांत्रिक और केतु वैदिक माध्यमों का कारक है। इसलिए राहु तांत्रिक, कला, ज्ञान एवं केतु वैदिक कल्याण कारी ज्ञान प्रदान करते है तथा मंत्रों का नाता है। राहु नरक द्वार पर ले जाता है साथ ही केतु स्वर्ग में एवं धार्मिक मोक्ष के द्वार पर ले जाता है।

शुक्र का कारकतत्व (Significator of Venus)

ग्रहों के मुख्य कारकतत्व 3

पौराणिक रुप से शुक्राचार्य ने वामन अवतार के समय बलि को अपना राज्य एवं भूमि देने से मना किया था और वैदिक नियमों का विरोध हुआ जिसके फलस्वरुप शुक्राचार्य की एक आँख खराब हो गई, इनको सूर्य रुपी विष्णु एवं कमंडल से जलरुपी त्रिस्कार के कारण ऐसा दुख भोगना पड़ा। अतः शुक्र को आँख का कारक भी माना जाता है।

शुक्र स्त्री जातकों की कुण्डली में जीव का कारक माना जाता है। देवी महालक्ष्मी, धन, सुख-सुविधाओं की वस्तुएं, सजावट के समान, घर, बड़ी बहन, ननद, पुत्र वधू कमल का फूल, अंडकार, आकृति, राक्षस गुरु इत्यादि का भी कारक माना जाता है।

विशेषः- बुध बुद्धि एवं शिक्षा है तथा शुक्र को उच्च पढ़ाई की संज्ञा दी गई है। फलतः बुध एवं शुक्र की युति जातक को कुशाग्र बुद्धि वाला बनाता है लेकिन ज्ञान का देवता गुरु होता है फलतः बहुत से जातकों की उच्च शिक्षा की प्राप्ति तो होती है परन्तु ज्ञान नही हो पाता है।

यदि इन तीनों ग्रहों की युति हो तो जातक बुद्धिमान ज्ञानी एवं चालाक होता है। इसीलिए इन ग्रहों का योग सरस्वती विद्या योग कहलाता है।

शनि का कारकतत्व (Significator of Saturn)

ग्रहों के मुख्य कारकतत्व 4

काल पुरुष की कुण्डली में शनि द्वादश एवं एकादश भाव का स्वामी है। शनि नौकर, दास को प्रदर्शित करता है अर्थात शनि मूल रुप से निम्न स्तर या निम्न स्तर के कार्यों को दर्शाता है। जैसे उच्च के सूर्य और शनि की युति हो तो पुरातत्व महत्व बढ़ता है। शनि पूर्व या इस जन्म के कर्मों के अनुरुप फल देने वाला कारक माना जाता है। ये कर्म एवं उसकी विशेषता को प्रदर्शित करता है।

विलम्ब से कार्यों को पूर्ण करना, आलस्य, वायु तत्व, गैस के कारण, आयु कारक, लोहा, नीलम, दास और नौकर, कार्य सम्बन्धित स्थान आदि का कारक शनि होता है। इसे न्यायधीश की संज्ञा दी जाती है। पश्चिम दिशा पर शनि का शासन होता है तथा वायु से सम्बन्धित रोगों का प्रमुख शनि है।

राहु का कारकतत्व (Significator of Rahu)

ग्रहों के मुख्य कारकतत्व 5

राहु एवं केतु को सर्प की संज्ञा दी गई है तथा राहु सर्प का मुख एवं केतु सर्प की पूंछ को प्रदर्शित करता है। उदाहरण स्वरुप मकान का जो बड़ा दरवाजा होगा वह राहु तथा जो पीछे छोटा दरवाजा होता है वह केतु कहलाता है। इसी प्रकार तोप का मुँह जहाँ से गोला निकलता है वह राहु है तथा तोप की नाल केतु है।

विशेषः- राहु एवं केतु दोनों साथ-साथ ही रहते है अर्थात जहाँ राहु होगा वहाँ दूसरी तरफ केतु भी उपस्थित होगा।

राहु को भ्रम एवं प्रेतात्मा भी माना जाता है राहु चिता, हथियारों से या गन्दगी से होने वाला धुआं है तथा हवन मंत्र से निकलने वाला धुआं केतु है।

महत्वपूर्ण बातेंः- शनिदेव का आयु का कारक माना गया है तथा राहु को यमराज एवं इन दोनों का वाहन भैंसा भी माना जाता है।

केतु का कारकतत्व (Significator of Ketu)

जानिये राहुकाल के दौरान क्यों नही करते शुभ काम

 

केतु को मोक्ष का देवता माना जाता है। जहाँ कहीं भी दूरी, परिवार में अलग होना केतु कारक बनता है। कालपुरुष की कुण्डली में नवम भाव धर्म एवं गुरु का होता है। साथ ही 12 वें भाव का स्वामी गुरु होता है तथा बारहवां भाव मोक्ष है। धर्म का कारक गुरु है केतु मोक्ष के लिए भगवान के चरणों मे जाता है। इसके अलावा 12 वाँ भाव काल पुरुष की कुण्डली में प्रभु का पैर माना जाता है। केतु के कारण ही किसी क्षेत्र में संतुष्टि नही मिलती है। फलतः धर्म (गुरु) केतु (पताका, ध्वजा, झंडा) का संबंध है।

🌟 Special Offer: Buy 1 Get 10 Astrological Reports! 🌟

Unlock the secrets of the stars with our limited-time offer!

Purchase one comprehensive astrological report and receive TEN additional reports absolutely free! Discover insights into your future, love life, career, and more.

Hurry, this offer won’t last long!

🔮 Buy Now and Embrace the Stars! 🔮