चंद्र ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाएं क्या करें और क्या न करें
गर्भवती महिलाओं के लिए ग्रहण काल विशेष रूप से ध्यान देने योग्य होता है। भारतीय संस्कृति और परंपराओं के अनुसार ग्रहण के समय कुछ विशेष सावधानियां बरतनी चाहिए ताकि गर्भस्थ शिशु और मां पर कोई नकारात्मक प्रभाव न पड़े। इस ब्लॉग में हम विस्तार से जानेंगे कि गर्भवती महिलाएं चंद्र ग्रहण के दौरान क्या करें और क्या न करें।
वैदिक पंचांग के अनुसार 18 सितंबर को भाद्रपद पूर्णिमा है और एक दिन पूर्व इसका व्रत रखा जाएगा। इसी दिन साल का आखिरी चंद्र ग्रहण भी लगेगा। शास्त्रों के अनुसार ग्रहण के दौरान शुभ कार्य करने की मनाही होती है, क्योंकि इस को अनदेखा करने से व्यक्ति पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
चंद्र ग्रहण का समय (Time of Lunar Eclipse)
ज्योतिषाचार्य के.एम.सिन्हा के अनुसार वर्ष का दूसरा चंद्र ग्रहण 18 सितंबर को लगेगा। यह भारतीय समयानुसार सुबह 06:12 बजे शुरू होकर 10:17 बजे समाप्त होगा। हालांकि भारत में यह दृश्य नहीं होगा इसलिए सूतक काल मान्य नहीं है। फिर भी ग्रहण के समय कुछ बातों का पालन करना आवश्यक है, जैसे ग्रहण के बाद स्नान करके भगवान विष्णु की पूजा करना और अपनी आर्थिक स्थिति के अनुसार दान करना।
चंद्र ग्रहण के दौरान क्या न करें
- घर से बाहर न निकलें: ग्रहण के समय गर्भवती महिलाओं को घर के भीतर रहना चाहिए। बाहर जाने से ग्रहण के प्रभाव का डर माना जाता है।
- खाना पकाने और खाने से बचें: ग्रहण के दौरान खाना पकाना और खाना वर्जित माना जाता है, क्योंकि ग्रहण काल में खाना दूषित हो सकता है। ग्रहण से पहले ही भोजन कर लें।
- धारदार वस्तुओं का उपयोग न करें: ग्रहण के समय चाकू, कैंची या किसी भी धारदार वस्तु का प्रयोग न करें। यह माना जाता है कि इसका नकारात्मक प्रभाव गर्भस्थ शिशु पर पड़ सकता है।
- फल और सब्जियां न काटें: ग्रहण के दौरान फल और सब्जियां काटने से बचना चाहिए। माना जाता है कि इस समय ऐसी गतिविधियों से नकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न होती है।
- नंगी आंखों से ग्रहण न देखें: चाहे सूर्य ग्रहण हो या चंद्र ग्रहण इसे नंगी आंखों से देखना हानिकारक हो सकता है। इस दौरान गर्भवती महिलाओं को विशेष रूप से सतर्क रहना चाहिए।
- सोने से परहेज करें: ग्रहण के दौरान सोने से बचें, हालांकि इस समय आराम करना आवश्यक है। सोने के बजाय शांत मुद्रा में ध्यान करें या आरामदायक स्थिति में बैठें।
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चंद्र ग्रहण के बाद क्या करें
- नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें: ग्रहण समाप्त होने के बाद शुद्धि के लिए स्नान करना आवश्यक माना जाता है। गंगाजल मिलाकर स्नान करने से शुद्धिकरण होता है और ग्रहण के नकारात्मक प्रभावों से बचाव होता है।
- ग्रहण के समय पहने गए कपड़े दान करें: ग्रहण काल में पहने गए कपड़ों को दान करना शुभ माना जाता है। इससे मां और शिशु की सेहत पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता और परिवार में समृद्धि आती है।
- मंत्र और पूजा का ध्यान करें: ग्रहण के दौरान धार्मिक मंत्रों का जाप और पूजा करने से सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न होती है। विशेषकर गर्भवती महिलाओं को अपने और अपने शिशु के लिए प्रार्थना करनी चाहिए।
यह ब्लॉग गर्भवती महिलाओं के लिए एक मार्गदर्शिका है, जिसमें परंपरागत मान्यताओं के आधार पर चंद्र ग्रहण के समय की जाने वाली सावधानियों का वर्णन किया गया है।
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