चन्द्रमा की नकारात्मकता से प्रत्येक भाव वाले जातकों पर कैसा रहेगा प्रभाव

शास्त्रों के अनुसार हमारे ब्रह्माण्ड में स्थित जितने भी ग्रह हैं उन सभी ग्रहों का जातक के जीवन पर नकारात्मक और सकारात्मक प्रभाव पड़ता ही पड़ता है। ठीक इसी प्रकार से यदि किसी जातक की कुण्डली में चंद्रमा इसके नकारात्मक परिणाम दे रहा है तो सामान्य रूप से इसकी नकारात्मकता जातक का मति भ्रष्ट कर देने वाली होती है ऐसे में जातक एक अनिर्णय लेने की स्थिति में फंस जाता है। इसके अलावा चंद्रमा की कुण्डली में नकारात्मक प्रभाव से जातक का मानासिक संतुलन पूरी तरह से बिगड़ने लगता है साथ ही जातक धीरे-धीरे झूठ बोलने वाली स्थिति में भी आ जाता है जिसके कारण बहुत से जातक आगे चलकर एंजाइटी के शिकार भी हो जाते हैं। तो चंद्रमा के नकारात्मक प्रभाव हमारी कुण्डली के सभी भावों पर कैसा असर दिखाते हैं इन सब के बारे में विस्तार से हमारे योग्य ज्योतिषाचार्य के. एम. सिन्हा जी के द्वारा समझते हैं।

कुण्डली के प्रत्येक भाव में चंद्रमा की नकारात्मकता के परिणाम
प्रथम भाव में चंद्रमा नकारात्मक हो तो

कुंण्डली के प्रथम भाव में चन्द्रमा यदि नकारात्मक हो तो ऐसा जातक अपनी सारी चिंताओं से हमेशा के लिए मुक्त हो जाता है। यह व्यक्ति किसी भी स्त्री जातकों से हमेशा अपमानित होता है। चंद्रमा की नकारात्मकता से जातक को संताने बहुत विलम्ब से प्राप्त होती हैं। यह व्यक्ति मानसिक रूप से बीमार तथा रोगी होता है इसके अलावा ऐसे जातकों के डूबकर मर जाने का भय सदैव लगा रहता है।

द्वितीय भाव में चंद्रमा नकारात्मक हो तो

कुण्डली के द्वितीय भाव में चन्द्रमा यदि नकारात्मक स्थिति में हो तो ऐसे जातकों के विद्या अध्ययन के क्षेत्र में हर समय बाधा आती रहती है इन जातकों को अपने जीवन में पैतृक सम्पत्ति का लाभ प्राप्त नही हो पाता है। इसके अलावा चन्द्रमा की नकारात्मकता में यह जातक जितना धन कमाता नही है उससे अधिक उन्हें अपना धन व्यय करना पड़ता है। इस भाव में चंद्रमा के नकारात्मक प्रभाव से जातक मदिरा पान तथा नशीली वस्तुओं को सेवन करने का आदि हो जाता है यह जातक अपने पिता के लिए एक रोगकारक के रूप में होते हैं। यदि स्त्री की कुण्डली के द्वितीय भाव मे चंद्रमा नकारात्मक हो तो ऐसी स्त्री बहुत ही अल्पायु जीवन जीने वाली होती हैं।

तृतीय भाव में चंद्रमा नकारात्मक हो तो

कुण्डली के तृतीय भाव में चन्द्रमा नकारात्मक प्रभाव में हो तो ऐसा जातक अपने जीवन में किसी न किसी मानसिक चिन्ताओं से पीड़ित रहता है। नकारात्मक होने के कारण इनके अन्दर भय की स्थिति हमेशा बनी रहती है। इस भाव में नकारात्मक प्रभाव से कई बार जातक अनिद्रा की बीमारी से भी पीड़ित रहता है। इसके अलावा जातक अपने भाई-बहनों से बहुत ज्यादा अपमानित होता है। इनकी यात्राएं सुखद नही होती हैं। इन जातकों के पिता की आयु लम्बी होती है तथा अपने पड़ोसी तथा रिश्तेदारों से इनका विरोध होता रहता है।

चतुर्थ भाव में चन्द्रमा नकारात्मक हो तो

यदि कुण्डली के चतुर्थ भाव में चंद्रमा नकारात्मक प्रभाव दे रहा हो तो ऐसे जातकों के पैतृक सम्पत्ति का नाश हो जाता है। दाम्पत्य जीवन जी रहे जातक अपने गृहस्थ जीवन में हमेशा दुखी रहते हैं। चन्द्रमा की नकारात्मकता से जातक स्त्री और अपनी माता का बहुत बड़ा विरोधी होता है। इसके अलावा चन्द्रमा के नकारात्मक प्रभाव से जातक को हर समय वाहन दुर्घटना होने का भय लगा रहता है।

पंचम भाव में चंद्रमा नकारात्मक हो तो

यदि कुण्डली के पंचम भाव में चंद्रमा नकारात्मक हो तो ऐसा जातक चंद्रमा के प्रभाव से अस्थिर मन वाला, हमेशा दुखी रहने वाला तथा माता के द्वारा अपमानित भी होते हैं। इसके अलावा चंद्रमा के नकारात्मक प्रभाव से जातक की होने वाली संतानें विरोधी होती हैं, इनके व्यापार क्षेत्र में अत्यधिक हानि होती है साथ ही इनकी विद्या में हमेशा विघ्न पड़ता ही रहता है जिसके कारण इनकी शिक्षा अधूरी ही रह जाती है।

षष्ठम भाव में चंद्रमा सकारात्मक हो तो

यदि कुण्डली के षष्ठम भाव में चन्द्रमा नकारात्मक हो तो ऐसा जातक बहुत ही ज्यादा दुबले पतले शरीर वाला होता है। चन्द्रमा के नकारात्मक प्रभाव से जातक को कोई गम्भीर बीमारी जैसे लकवा, गुर्दे का रोग, आंत का रोग तथा मूत्र रोग इत्यादि होने की आशंका रहती है। यदि यह जातक अपने घर में कोई पालतू पशु और मुर्गीखाने का व्यापार खोलने के बारे में सोच रहे हैं तो उसमें उन्हें अत्यधिक हानि झेलनी पड़ती हैं। यहाँ चन्द्रमा शनि के साथ कुण्डली में स्थित हो तो ऐसे जातक का विवाह बहुत विलम्ब से होता है या फिर कभी विवाह होता ही नही है। इसके अलावा चन्द्रमा के नकारात्मक प्रभाव से जातक अपने जीवन में कर्जदार होता है, अत्यधिक धन व्यय होता रहता है, माता से किसी न किसी बात पर झगड़ा होता रहता है साथ ही गैस और अतिसार जैसे अन्य रोगों से भी पीड़ित रहता है।

सप्तम भाव में चन्द्रमा नकारात्मक हो तो

यदि कुण्डली के सप्तम भाव में चन्द्रमा नकारात्मक हो तो यह जातक भी बहुत ज्यादा दुबले पतले शरीर वाला होता है। ऐसा जातक दूसरे व्यक्तियों से बहुत ज्यादा ईष्र्या रखने वाला होता है। माता से इनका कलह हमेशा होता रहता है। इसके अलावा चन्द्रमा के नकारात्मक प्रभाव से जातक हर समय नशीली वस्तुओं का सेवन करने में लगा रहता है। स्त्री जातकों का मन हमेशा अस्थिर रहता है। यदि कुण्डली में चन्द्रमा किसी पाप ग्रहों को पीड़ित हो तो ऐसे स्त्री जातकों की मृत्यु हो जाती है जिसके कारण पुरुष जातकों को दूसरा विवाह करना पड़ता है।

अष्टम भाव में चन्द्रमा नकारात्मक हो तो

यदि कुण्डली के सप्तम भाव में चन्द्रमा नकारात्मक हो तो ऐसे जातकों को अल्पायु की प्राप्ति होती है तथा जातक किसी न किसी गुप्त रोगों से पीड़ित रहता है। चन्द्रमा का नकारात्मक प्रभाव माता के लिए भी बहुत ज्यादा अशुभ होता है। इसके अलावा यह जातक केवल स्त्रियों पर धन नाश करने वाला होता है तथा अपने जीवन में अकाल मृत्यु की प्राप्ति करता है।

नवम भाव में चन्द्रमा नकारात्मक हो तो

यदि कुण्डली के नवम भाव में चन्द्रमा नकारात्मक हो तो ऐसे जातक के पिता की अल्पायु होती है इसके अलावा चन्द्रमा का नकारात्मक प्रभाव जातक की माता के लिए रोगकारक होता है। ऐसा जातक विदेश जाकर अपना कार्य- व्यवसाय तो करता है परन्तु उन्हें इस क्षेत्र में अपेक्षित सफलता नही मिल पाती है।

दशम भाव में चन्द्रमा नकारात्मक हो तो

यदि कुण्डली के दशम भाव में चन्द्रमा का प्रभाव नकारात्मक हो तो ऐसे जातक का मन हर समय स्थिर रहता है यदि यह जातक इसके प्रभाव में अपना व्यापार बदलने की सोच रहे हैं तो उसमें उन्हें हानि उठाना पड़ता है इसके अलावा जातक को अपने पिता के द्वारा पैतृक धन प्राप्त करने में अड़चनें आती रहती हैं। स्त्री जातकों से हमेशा कलह रहता है तथा इनकी माता की अल्पायु में ही मृत्यु हो जाती है। यदि आप राजनीतिक क्षेत्रों में है और चुनाव लड़ने की सोच रहे हैं तो उसमें उन्हें पराजय प्राप्त होता है। चन्द्रमा के नकारात्मक प्रभाव से स्त्री पक्ष से किसी प्रकार के धन लाभ की प्राप्ति नही होगी इसके अलावा जातक किसी न किसी रोग का शिकार होता है।

एकादश भाव में चन्द्रमा सकारात्मक हो तो

यदि कुण्डली के एकादश भाव में चन्द्रमा का प्रभाव बहुत ज्यादा नकारात्मक हो तो ऐसे जातकों को अपने जीवन में संतान सुख बहुत कम मात्रा में प्राप्त होते. हैं। इसके अलावा जातक को संतान के रूप में पुत्र प्राप्ति कम होती है, इनका अपनी माता के साथ कलह दिन प्रतिदिन बढ़ता जाता हैं तथा जातक को नपुंसकता जैसे रोग होने का भय हर समय लगा रहता है

द्वादश भाव में चन्द्रमा नकारात्मक हो तो

यदि कुण्डली के द्वादश भाव में चन्द्रमा का प्रभाव नकारात्मक हो तो ऐसे जातक आँखों से सम्बन्धित रोगों से पीड़ित रहता है। ऐसा जातक अपने ससुराल का धन नाश करने वाला तथा पराई स्त्रीयों से संबंध रखने वाला होता है। चन्द्रमा के नकारात्मक प्रभाव से किसी न किसी गुप्त रोगों से पीड़ित रहता है तथा अपनी स्त्री के लिए एक रोगकारक तथा दुष्चरित्र व्यक्ति होता है। यदि यह जातक विदेश में भ्रमण करके अपना कार्य-व्यवसाय करना चाहते हैं तो उसमें उन्हें असफलता मिलती है साथ ही धन हानि होने का योग होता है।

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