चन्द्रमा से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें एवं चन्द्रमा का सभी भावो में परिणाम

ज्योतिषशास्त्र में चन्द्रमा को काफी महत्व दिया गया है। किसी भी जातक के चंद्रराशि का अनुमान कुण्डली मे उपस्थित चन्द्रमा कि स्थिति के अनुसार लगाया जाता है। किसी भी जातक की कुण्डली मे बारहवें भाव मे स्थित चन्द्रमा जातकों को अलग-अलग प्रभाव देता है। चन्द्रमा आकार मे छोटा होता है लेकिन इसकी गति सबसे तेज होती है। चन्द्रमा को मन, माता, मानसिक स्थिति, मनोबल, यात्रा, सुख शान्ति, धन सम्पत्ति का कारक माना जाता है तथा चन्द्रमा कर्क राशि और नक्षत्रों मे रोहिणी, हस्त और श्रावण नक्षत्र का स्वामी होता है। चन्द्रमा सवा दो महीने की अवधि में एक राशि से दूसरी राशि मे युति कर लेता है।  यह सौरमण्डल के 181 उपग्रहों में यह पांचवा सबसे बड़ा उपग्रह है।

क्या है चन्द्रराशिः-
वैदिक ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार यदि राशिफल ज्ञात करना हो तो जातक की चंद्र राशि को ही आधार माना जाता है। जन्मकुण्डली मे चन्द्रमा जिस राशि मे उपस्थित होता है। वही जातक की चंद्र राशि होती है। लाल किताब के अनुसार चन्द्रमा को शुभ ग्रह माना जाता है और शीतलता एवं सौम्यता का प्रतीक होता है। चन्द्रमा का सीधा सम्बन्ध मन से माना जाता है।

नीच चन्द्रमा के परिणामः

यदि किसी जातक की कुण्डली मे चन्द्रमा नीच का या अशुभ हो तो जातक के मन मे नकारात्मक विचारो का वास होता है तथा जातक मानसिक परेशानियों से भी पीड़ित होता है। इसलिए जिन जातकों का चन्द्रमा कमजोर हो, अशुभ या नीच का हो उन्हें चन्द्रमा को मजबूत करने के उपाय अपनाने चाहिए।

उच्च शिक्षा के परिणामः-
जिन जातकों की कुण्डली मे चन्द्रमा उच्च का होता है। उन जातकों को अपने जीवन मे कई शुभ फलों की प्राप्ति होती है। चन्द्रमा की दशा सही तो जातकों को सकारात्मक प्रभाव मिलेंगे। ऐसे जातक अपने सभी कार्य पूरी ईमानदारी से करते है तथा मानसिक रुप से स्थिर होते है। माता से सुख की प्राप्ति होगी। यह जातक देखने मे भी मनमोहक होते है।

लग्न भाव मे चन्द्रमा का परिणामः-
यदि किसी जातक की कुण्डली मे चन्द्रमा लग्नभाव मे उपस्थित हो तो यह जातक बहुत सुन्दर होते है तथा आकर्षक व्यक्तित्व के स्वामी हेाते है। इसके अलावा यह साहसी भी होते है और सिद्धातों को काफी महत्व भी देते है तथा कल्पनाशील होने के साथ-साथ भावुक भी बहुत होते है। घूूमने-फिरने मे अधिक रुचि रखने वाले होते है।

द्वितीय भाव मे चन्द्रमा का परिणामः-
दूसरे भाव मे उपस्थित चन्द्रमा आपको कई क्षेत्रो मे लाभ प्रदान करेगा। चन्द्रमा की शुभ स्थिति से आपके धन मे वृद्धि होगी और आपका आर्थिक पक्ष मजबूत होगा धन का संग्रह करने मे भी आप सक्षम होंगे। परन्तु कभी-कभी धन क्षेत्र मे उतार-चढ़ाव की स्थिति बनी रहेगी। परिवार मे खुशियों का माहौल रहेगा।

तृतीय भाव में चन्द्रमा का परिणामः-
तीसरे भाव मे उपस्थित चन्द्रमा आपको कलात्मक गुणो वाला बनाता है। किसी भी क्षेत्र को जानने की उत्सुकता अधिक रहती है तथा धन क्षेत्र मे भी काफी ध्यान रखने वाले होते है अर्थात व्यर्थ के खर्चों से काफी दूर रहते है एवं छोटे भाई-बहनो से अधिक उम्मीद भी रखते है लेकिन आपके सम्बन्ध इनसे काफी अच्छे होंगे। समय-समय पर आपकी रुचि बदलती रहती है तथा विचारो को सही ढंग से दूसरो के सामने रखने मे परेशानी महसूस करते होंगे।

चतुर्थ भाव मे चन्द्रमा का परिणामः-
जिन जातकों की कुण्डली में चन्द्रमा चतुर्थ भाव मे उपस्थित होता है। ऐसे जातकों को अपनी माता एवं परिवार से बहुत लगाव रहता है। स्वभाव से भी दयालु होते है। यह जातक देखने मे हसमुख होते है। कुछ स्थितियों को छोड़ दिया जाए तो इनको मानसिक सुख की भी प्राप्ति होती है तथा भूमि, वाहन, मकान से भी सुख प्राप्त करते है। इसके लिए इनको बहुत मेहनत नही करनी पड़ती है। जलक्षेत्र के पास घूमने-फिरने मे अधिक रुचि रखने वाले होते है।

पंचम भाव मे चन्द्रमा का परिणामः-
पंचम भाव मे उपस्थित चन्द्रमा आपको हसमुख प्रवृत्ति का बनायेगा तथा प्रेम प्रसंग मे भी आपको सुख की अनुभूति मिलेगी। सुख-सुविधाओ की प्राप्ति हेतु सदैव अग्रसर रहेंगे। संतान से भी सुख प्राप्त होगा इसके अलावा आप कुशाग्र बुद्धिवाले एवं निडर व्यक्ति होंगे। मनोरंजन, खेल और कला क्षेत्र मे अधिक लगाव रहेगा।

छठे भाव मे चन्द्रमा का परिणामः-
छठे भाव मे उपस्थित चन्द्रमा को शुभ नही माना जाता है। इस भाव मे उपस्थित चन्द्रमा आपको मानसिक पीड़ा, स्वास्थ्य में परेशानी देगा। साथ ही नौकरी व्यवसाय मे भी परेशानी उत्पन्न करेगा। माता एवं मित्रो से भी सम्बन्ध अच्छे नही रहेंगे आपको अपने बचपन मे भी कई परेशानियों का सामना करना पड़ेगा। कर्जों को लेकर भी आप काफी परेशान रहेंगे।

सातवें भाव मे चन्द्रमा का परिणामः-
सातवें भाव मे उपस्थित चन्द्रमा आपको नेतृत्व करने की क्षमता प्रदान करेगा तथा अधिकांश क्षेत्रो मे आप धैर्यवान रहेंगे और आप सभ्य व्यक्तियों मे से एक होंगे। आप एक अच्छे व्यापारी हो सकते है। जल क्षेत्र के आस-पास रहने मे अधिक रुचि होती है तथा जलीय मार्ग से यात्रा करना भी अधिक पसन्द होता है। साथ ही इनको एक सुन्दर जीवनसाथी की भी प्राप्ति होती है।

आठवेें भाव मे चन्द्रमा का परिणामः-
आठवें भाव मे उपस्थित चन्द्रमा अशुभ होता है। जिससे आपको कई नकारात्मक परिणाम देखने को मिलेंगे। आपके कार्यों मे रुकावट आ सकती है तथा मानसिक परेशानी भी बढ़ेगी। माता को कष्ट मिलेगा तथा माता के साथ अच्छे सम्बन्ध नही रहेंगे। साथ ही  शत्रुओ का भी भय बना रहेगा। इसके अलावा आपको व्यापार मे कुछ लाभ तथा विवाह के माध्यम से धन प्राप्त हो सकता है। साथ ही आप स्वाभिमानी भी अधिक होंगे।

नवम भाव मे चन्द्रमा का परिणामः-
नवम भाव मे उपस्थित चन्द्रमा आपको शारीरिक एवं मानसिक सुख प्रदान करेगा। साथ ही आपको विद्वान एवं साहसी भी बनायेगा। इसके अलावा धर्म के क्षेत्र मे भी काफी रुचि रहेगी। आपके भाग्य की उन्नति आपके युवा अवस्था मे ही हो जायेगी। धन सम्पत्ति अर्जन करने मे भी आप काफी सक्षम होंगे। आप लोकप्रिय, धार्मिक, भाग्यशाली एवं दयालु व्यक्तियों मे से एक होंगे। यात्रा करने का शौक भी अधिक होगा।

दशम भाव मे चन्द्रमा का परिणामः-
दशम भाव मे उपस्थित चन्द्रमा आपको समाज मे सम्मानित व्यक्ति बनायेगा तथा समाज मे आप लोकप्रिय व्यक्ति भी होंगे। स्वभाव से बुद्धिमान, दयालु एवं आदर्शवादी व्यक्ति भी होंगे। परन्तु संतान को लेकर कुछ परेशानी बन सकती है तथा कार्य-व्यवसाय को लेकर बड़ा परिवर्तन भी करना पड़ सकता है।

एकादश भाव मे चन्द्रमा का परिणामः-
एकादश भाव मे उपस्थित चन्द्रमा आपको अधिक महत्वाकांक्षी बनाता है। आपको संतान का सुख प्राप्त होगा और गुणवान भी होंगे। धन सम्पत्ति की स्थिति अच्छी रहेगी। समाज में आपका मान सम्मान बढ़ेगा। सरकारी क्षेत्रो से भी लाभ प्राप्त करेंगे।

द्वादश भाव मे चन्द्रमा का परिणामः-
बारहवें भाव मे उपस्थित चन्द्रमा को अशुभ माना जाता है। इसके फलस्वरुप जातक भावनात्मक रुप से परेशान रहते है तथा आलसी भी होते है। स्वभाव से चिड़-चिड़े होते है और अपना अधिक समय अकेला व्यतीत करना चाहते है। स्वास्थ्य सम्बन्धित परेशानी भी बनती है। अस्पताल मे धन खर्च की संभावना बनी रहती है। शत्रुओं से भी हानि का भय बना रहता है।

अशुभ चन्द्रमा को शुभ करने के उपायः-
☸ चन्द्रमा को मजबूत बनाने के लिए आपको 5 से 11 सोमवार का व्रत रखना चाहिए।
☸ सोमवार के दिन चावल, चाँदी, दूध एवं सफेद रंग की वस्तुओ का दान करना चाहिए।
☸ चन्द्रमा को मजबूत बनाने के लिए शिव जी की आराधना करें एवं रुद्राक्ष का भी धारण करें।
☸ सोमवार के दिन सफेद वस्त्र धारण करके ओम श्रां श्रीं श्रौं सः चन्द्राय नमः मंत्र का 3-11 माला जाप करना चाहिए।
☸ चन्द्रमा को मजबूत करने के लिए अपनी राशि के अनुसार मोती या रत्न धारण कर सकते है।

विशेष जानकारीः-
चन्द्रमा का रत्न मोती माना जाता है तथा उपरत्न चन्द्रकान्त मून स्टोन माना गया है। इसलिए रत्न धारण करने से पहले आपको एक बार कुण्डली का विश्लेषण अवश्य करवा लेना चाहिए। जिन जातकों का चन्द्रमा कमजोर होता है उन्हे भावना मे आकर कोई भी फैसला नही करना चाहिए। अपने से बड़ो की सलाह लेकर ही कार्य करें। शादी शुदा जातकों को अपने बच्चो का सही तरीके से पालन पोषण करने पर चन्द्रमा मजबूत होता है।

नोटः-यहां चन्द्रमा के शुभ एवं अशुभ फलों की एक सामान्य जानकारी दी जा रही है। चन्द्रमा के शुभ एवं अशुभ फल का सही विश्लेषण कुण्डली  दिखवाकर ही प्राप्त किया जा सकता है।

 

81 Views

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *