ज्योतिर्लिंग के दर्शन और उनके नाम से दिन की शुरूआत से मन के साकारात्मक ऊर्जा पर क्या प्रभाव पड़ता है?

ज्योतिर्लिंग के दर्शन और उनके नाम से दिन की शुरूआत से मन के साकारात्मक ऊर्जा पर क्या प्रभाव पड़ता है? 1

सोमनाथ ज्योतिर्लिंगः- सोमनाथ मंदिर गुजरात के पश्चिम तट पर सौराष्ट्र में वेरावल बंदरगाह के पास प्रभास पाटन में स्थित है। यह मंदिर भारत में भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंग मंदिरों में से पहला ज्योतिर्लिंग माना जाता है। यह गुजरात का एक महत्वपूर्ण तीर्थ और पर्यटन स्थल है। सोमनाथ का अर्थ है, ”भगवानों के भगवान“ अर्थात् जिसे भगवान शिव का अंश माना जाता है। गुजरात का सोमनाथ मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। साथ ही यह भी माना जाता है कि इस शिव लिंग का स्थापना स्वयं चंद्रदेव ने की थी।

ज्योतिर्लिंग के दर्शन और उनके नाम से दिन की शुरूआत से मन के साकारात्मक ऊर्जा पर क्या प्रभाव पड़ता है? 2मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंगः- आन्ध्र प्रदेश में कृष्ण नदी के तट पर श्रीशैल पर्वत पर मल्लिकार्जुन मंदिर स्थित है। इस मंदिर का महत्व, भगवान शिव के कैलाश पर्वत के समान ही माना जाता है, इसके साथ ही इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन मात्र से ही व्यक्ति को उसके पापों से मुक्ति मिल जाती है। मल्लिकार्जुन दो शब्दों के मेल से बना है जिसमें ‘मल्लिका’ माता पार्वती को तथा ‘अर्जुन’ भगवान शंकर को कहा जाता है इसलिए भगवान शिव को मल्लिकार्जुन के रूप में भी पूजा जाता है। साथ ही इस मल्लिकार्जुन की पूजा करने से भगवान शिव के साथ-साथ माता पार्वती का भी आशीर्वाद मिलता है।

ज्योतिर्लिंग के दर्शन और उनके नाम से दिन की शुरूआत से मन के साकारात्मक ऊर्जा पर क्या प्रभाव पड़ता है? 3महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंगः- यह ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश के उज्जैन नगरी में स्थित है। इस ज्योतिर्लिंग की एक सबसे बड़ी विशेषता यह है कि ज्योतिर्लिंग दक्षिण मुखी ज्योतिर्लिंग है। यहाँ पर प्रतिदिन की जाने वाली सुबह की आरती जिसे हम भस्मारती कहते हैं वह पूरे विश्व भर में प्रसिद्ध है। महाकालेश्वर की पूजा विशेष रूप से आयु वृद्धि और आयु पर आए हुए संकट को टालने के लिए की जाती है।

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ज्योतिर्लिंग के दर्शन और उनके नाम से दिन की शुरूआत से मन के साकारात्मक ऊर्जा पर क्या प्रभाव पड़ता है? 4ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंगः- यह ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश के प्रसिद्ध शहर इंदौर के पास स्थित है। जिस स्थान पर यह ज्योतिर्लिंग स्थित है, वहाँ पर नर्मदा नदी बहती है और पहाड़ी के चारों ओर नदी बहने से यहाँ ओम का आकार बनता है, औरओम शब्द की उत्पत्ति ब्रह्मा जी के मुख से हुई है। इसी कारण किसी भी धार्मिक शास्त्र या वेदों का पाठ ओम  के साथ ही किया जाता है। यह ज्योतिर्लिंग ओंकार अर्थात् ओम  का आकार लिए हुए हैं। इस कारण से ही इसे ओंकारेश्वर नाम से जाना जाता है।

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केदारनाथ ज्योतिर्लिंगः- केदारनाथ ज्योतिर्लिंग उत्तराखण्ड में है। बाबा केदारनाथ के मंदिर बद्रीनाथ के मार्ग में स्थित है। केदारनाथ का वर्णन स्कन्द पुराण एवं शिवपुराण में भी मिलता है। यह तीर्थ स्थान भगवान शिव जी को अत्यंत प्रिय है जिस प्रकार से कैलाश का महल है ठीक उसी प्रकार का महत्व शिव जी ने केदारनाथ को भी दिया है।

 

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भीमाशंकर ज्योतिर्लिंगः- भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के पूर्ण जिले में सहृाद्रि नामक पर्वत पर स्थित है। भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग को मोटेश्वर महादेव के नाम से भी जाना जाता है। इस मन्दिर के विषय में मान्यता है कि जो भक्त श्रद्धा से इस मंदिर के प्रतिदिन सुबह सूर्य निकलने के बाद दर्शन करता है, उसके सात जन्मों के पाप दूर हो जाते हैं तथा उसके लिए स्वर्ग के मार्ग खुल जाते हैं।

 

काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंगः– विश्वनाथ ज्येातिर्लिंग उत्तर प्रदेश के काशी नामक स्थान पर स्थित है। काशी सभी धर्म स्थलों में सबसे अधिक महत्व रखती है, इस स्थान की मान्यता है कि प्रलय आने पर भी यह स्थान बना रहेगा। इसकी रक्षा के लिए भगवान शिव जी इस स्थान को अपने त्रिशूल पर धारण कर लेंगे और प्रलय के टल जाने पर काशी को उसके स्थान पर पुनः देंगे। ज्योतिर्लिंग के दर्शन और उनके नाम से दिन की शुरूआत से मन के साकारात्मक ऊर्जा पर क्या प्रभाव पड़ता है? 7

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न्न्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंगः- यह ज्योतिर्लिंग गोदावरी नदी के करीब महाराष्ट्र राज्य के नासिक जिले में स्थित है। इस ज्योतिर्लिंग के सबसे अधिक निकट ब्रह्मागिरि नाम का पर्वत है। इसी पर्वत से गोदावरी नदी शुरू होती है। भगवान शिव जी का एक नाम न्न्यंबकेश्वर भी है। कहा जाता है कि भगवान शिव को गौतम ऋषि और गोदावरी नदी के आग्रह पर यहाँ ज्योतिर्लिंग रूप में रहना पड़ा।

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वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंगः- वैद्यनाथ शिवलिंग को समस्त ज्योतिर्लिंग की गणना में नौवां स्थान बताया गया है। वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग का मन्दिर जिस स्थान पर स्थित है उसे वैद्यनाथ धाम कहा जाता है।

नागेश्वर ज्योतिर्लिंगः- यह ज्योतिर्लिंग गुजरात के बाहरी क्षेत्र द्वारिका में स्थित है और नागेश्वर का पूर्ण अर्थ है (नागों का ईश्वर) शिव जी का एक अन्य नाम नागेश्वर भी है। इस ज्योतिर्लिंग की महिमा में कहा गया है कि जो व्यक्ति पूर्ण श्रद्धा और विश्वास के साथ यहाँ दर्शनों के लिए आता है उसकी सभी मनोकामनाएँ पूरी हो जाती है।

रामेश्वरम ज्योतिर्लिंगः- यह ज्योतिर्लिंग तमिलनाडु राज्य के रामनाथ चुर नामक स्थान में स्थित है। भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है और साथ ही यह स्थान हिंदुओं के चार धामों में से एक है। इस ज्योतिर्लिंग की यह मान्यता है, कि इसकी स्थापना स्वयं भगवान श्री राम ने की थी। श्री राम जी के द्वारा स्थापित होने के कारण इस ज्योतिर्लिंग को भगवान राम का नाम रामेश्वरम दिया गया है।

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घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंगः- घृष्णेश्वर महादेव का प्रसिद्ध मंदिर महाराष्ट्र के संभाजीनगर के समीप दौलताबाद घुश्मेश्वर के नाम से भी जाना जाता है और दूर-दूर से लोग यहाँ दर्शन के लिए आते हैं और आत्मिक शांति प्राप्त करते हैं। भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगोें में से यह अंतिम ज्योतिर्लिंग है।

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