ज्योतिष में नौ ग्रह और वास्तु शास्त्र में विभिन्न दिशाओं में उनके स्थान

वास्तु शास्त्र का हमारे जीवन में बहुत महत्व है यह हमारे जीवन को समृद्ध बनाने में बहुत सहायक होता है। वास्तु शास्त्र किसी निर्माण से सम्बन्धित चीजों के शुभ अशुभ फलो को बताता है यह निर्माण के कारण होने वाली समस्याओं के कारण और निवारण को बताता है। यह भूमि दिशाओं और ऊर्जा के सिद्धान्त पर कार्य करता है इसमें भी पांच तत्वों को संतुलित करने का सिद्धान्त पर कार्य करता है। यह एक प्राचीन विद्या है। जिसको वर्तमान आधार पर समझाना आवश्यक है।

नौ ग्रहों का स्थान

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार नौ ग्रहों का पृथ्वी और इस पर निवास करने वाले प्राणियों पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है। ग्रहों के अनुसार हमारे जीवन में अच्छे बुरे दोनों तरह के परिणाम प्राप्त होते हैं कभी यह ग्रह हमारे जीवन को सकारात्मकता की ओर ले जाते है और कभी नकारात्मक प्रभाव भी डालते हैं।

सूर्य ग्रह (सिंह राशि)

कन्या संक्रान्ति

पांचवी राशि का स्वामी सूर्य ग्रह वास्तु शास्त्र के अनुसार पूर्व दिशा को शासित करता है। सूर्य योद्धा, आंख, हृदय, स्वास्थ्य, आरोग्य, पिता, अग्नि, तत्व, गेहूं, तांबा, माणिक, आत्मा, मंत्रों का उच्चारण सृजानात्मक, प्रशासक, तानाशाही, सत्ता, अहंकार, कुलीन वर्ग इत्यादि का कारक है। वास्तु में सूर्य भव्य ईमारतो, महान सभागार, फलों वाले पेड़ घर, जंगल, पक्का घर लाल रंग की मिट्टी प्रकाश व्यवस्था, चिकित्सक कक्ष, ऊचें घर व खुली जगहो इत्यादि का प्रतीक है।

यदि किसी जातक की कुण्डली में सूर्य दोष पूर्ण हो या फिर घर की पूर्व दिशा में कोई वास्तु दोष हो तो उसके कुछ नकारात्मक परिणाम होते हैं। जैसे पिता के साथ सम्बन्ध खराब होना, सरकार द्वारा उत्पन्न समस्याएं आंख दर्द, त्वचा हड्डियों , हृदय व सिरदर्द जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। वही सूर्य के शुभ होने पर ख्याति सरकारी पक्ष से सहायता, स्वास्थ्य सम्मान इत्यादि में वृद्धि होती है।

चन्द्रमा (कर्क राशि)

पक्ष 2023

चन्द्रमा पृथ्वी का एक मात्र प्राकृतिक उपग्रह, चौथी राशि कर्क राशि का स्वामी और वायव्य दिशा (उत्तर पश्चिम) को शासित करता है।

चन्द्रमा मन दिमागी स्थिति मानसिक स्वास्थ्य, चंचल और परिवर्तनशील स्वभाव, सत्य गुण माता स्त्रीलिंग, आलसीपन, फेफडा़े की समस्याओं कृषि, पशुपालन, स्मरण शक्ति संवेदनशीलता का कारक है। वास्तु में चन्द्रमा वायव्य दिशा, रसोई, अनाज का गोदाम, पशुपालन, सफेद मिट्टी अतिथि कक्ष जलमय स्थान, स्त्रियों के निवास इत्यादि जगहों का प्रतीक है।

मंगल (मेष और वृश्चिक राशि)

13 मार्च 2023 मंगल का राशि परिवर्तन

लाल रंग का मंगल ग्रह बाहरी ग्रहों में प्रथम, मेष और वृश्चिक राशि का स्वामी ग्रह और दक्षिण दिशा को शासित करने वाला ग्रह है। बहादुरी और साहस का स्वामी ग्रह मंगल गहरे लाल रंग, सेनापति, क्षत्रिय, छाती, अग्नि तत्व, पित्त, उत्तेजक गर्मी और ऊर्जा धातु सम्बन्धी पेशे, शल्य चिकित्सक, निर्माण कार्य, जासूसी, हिंसा, गुस्सा, भाई रक्त एवं शक्ति इत्यादि का कारक है।

वास्तु में मंगल ग्रह दक्षिण दिशा, लाल रंग, शयन कक्ष, नुकीले वास्तु में मंगल ग्रह दक्षिण दिशा, लाल रंग, शयन कक्ष, नुकीले कोने पत्थर और ढीले ठोस दीवारे, छत, घर, मिट्टी के बर्तन, भूमि इत्यादि को दर्शाता है।

बुध (मिथुन एवं कन्या राशि)

16 मार्च बुध का राशि परिवर्तन

सूर्य के सबसे निकट का ग्रह बुध मिथुन और कन्या राशि का स्वामी ग्रह और उत्तर दिशा को शासित करने वाला ग्रह है। बुध ग्रह, हरे रंग, फलरहित, हरे वृक्ष, छाटे पौधे, हरा पन्ना, तर्कसंगत बुद्धि, अध्ययन और शिक्षा, ज्योतिष शास्त्र, संचार, वाणी, कूटनीतिज्ञता, रजस गुण, चतुराई, त्वचा, मामा, युवक, हस्त कला, कर्मकाण्ड, अंक शास्त्र, कानून और व्यवसाय का स्वामी है।

वास्तु में बुध ग्रह उत्तर दिशा, बैठक अतिथि कक्ष लेखा कार्य खेलने का मैदान पुस्तकालय अध्ययन कक्ष पढ़ने की मेज, बाग-बगीचे इत्यादि को दर्शाता है।

बृहस्पति (धनु और मीन)

बृहस्पति का राशि परिवर्तन मेष राशि 22 अप्रैल

सौर मण्डल का सबसे बड़ा ग्रह बृहस्पति धनु और मीन राशि का स्वामी और उत्तर पूर्व दिशा को शासित करने वाला ग्रह है। बृहस्पति ग्रह ज्ञान और भाग्य, मानवीय दृष्टिकोण सकारात्मक प्रवृत्ति सत्वगुण एवं शिक्षा विकास और विस्तार का कारक है। वास्तु में बृहस्पति उत्तर-पूर्व दिशा (ईशान) पूजा और उपासना स्थल ब्रहृमस्थान ध्यान कक्ष, शिक्षको, धार्मिक, नेताओं कुलीनो के निवास स्थान इत्यादि का प्रतीक है।

शुक्र (वृषभ और तुला राशि)

7 अगस्त कर्क राशि में शुक्र का राशि परिवर्तन

भोर और संध्या के तारे के रुप में प्रसिद्ध शुक्र ग्रह, वृषभ और तुला राशि के स्वामी और दक्षिण पूर्व दिशा को शासित करता है। शुक्र ग्रह सुन्दरता, कला, स्त्री, वात व कफ, जननन्द्रियों, प्यार और स्नेह रुचि रजस गुण, चेहरा, मिलनसार स्वभाव साहित्य, संगीत, सांसारिक सुख जीवनसाथी इत्यादि का कारक है। वास्तु में शुक्र ग्रह दक्षिण पूर्व दिशा, रसोई, सुन्दर वस्त्र और वस्तुएं, वाहन अच्छा भोजन संगमरमर सफेद रंग की वस्तुएं पक्का सुन्दर घर सजावटी सामान इत्यादि को दर्शाता है।

शनि (मकर और कुंभ राशि)

ज्योतिष में नौ ग्रह और वास्तु शास्त्र में विभिन्न दिशाओं में उनके स्थान 1

सौर मण्डल में पांच ऐसे ग्रह है जिन्हें बिना किसी दूरदर्शी उपकरण की सहायता से देखा जा सकता है ऐसे ग्रहों में शनि अंतिम ग्रह है। शनि को मकर और कुंभ राशि का स्वामी और पश्चिम दिशा को शासित करने वाला ग्रह कहते है। शनि ग्रह आयु, शक्ति, नौकरी, अनुशासन, संघर्ष, नीलम, तमक्ष आदि का कारक है।

वास्तु में शनि ग्रह पश्चिम दिशा, भोजन कक्ष दिये हुए या रहस्यमय स्थान अंधेरे कमरे, कोयला, उची-नीची भूमि, लोहे की वस्तुएं इत्यादि को दर्शाता है।

राहु

जानिये राहुकाल के दौरान क्यों नही करते शुभ काम

क्रूर ग्रह के रुप में जाना गया है राहु दक्षिण-पश्चिम दिशा का स्वामी ग्रह है यह अन्य ग्रहों से भिन्न एक प्रकार का छाया ग्रह है। राहु ग्रह कल्पनाशीलता, दिव्य दृष्टि पलायन वृत्ति, विदेश यात्रा, लम्बी यात्रा, विष, लव, भ्रम, पहाड़ी और दुर्गम रास्ते विदेशी भाषा गुप्त योजनाएं, गृहस्थ या रहस्यमयी ज्ञान मनोविज्ञान तमस इत्यादि का कारक माना जाता है। वास्तु में राहु ग्रह दक्षिण पश्चिम दिशा का स्वामी होता है जैसे अस्त्र, शस्त्र भण्डार ग्रह, काली मिट्टी, राख, कोयला, बर्तन, गुफा, सुरंग इत्यादि को दर्शाता है।

केतु

ज्योतिष में नौ ग्रह और वास्तु शास्त्र में विभिन्न दिशाओं में उनके स्थान 2

राहु के समान ही केतु को भी एक क्रूर ग्रह के रुप में जाना जाता है। बृहस्पति के साथ केतु को भी उत्तर पूर्व दिशा का स्वामी माना जाता है। यह भी राहु के समान ही एक और अन्य छाया ग्रह है केतु आध्यात्मिक ज्ञान की आकांक्षा, रजस, उग्र स्वभाव का कारक होता है। वास्तु में केतु ग्रह उत्तर पूर्व दिशा भीड़ भारी जगहें नाला गड्डे कूडा इत्यादि को दर्शाता है।

 

1,072 Views