वर्ष 2023 में अभी हाल ही में सूर्य ग्रहण पड़ा हुआ था जो कि 20 अप्रैल को था वर्तमान में यदि हम देखें तो देवगुरु बृहस्पति कुण्डली में अस्त चल रहे हैं और आने वाले 27 अप्रैल को यह पुनः उदित हो जायेंगे परन्तु 5 मई और 6 मई को कुछ देशों में चन्द्रग्रहण की स्थिति उत्पन्न होगी। बृहस्पति देव मेष राशि में पहुंच गये हैं और गुरु चाण्डाल दोष का निर्माण हो चुका हैं लेकिन सूर्य ग्रहण के बाद जो यह चन्द्र ग्रहण की स्थिति उत्पन्न हुई हैं इसके बाद ऐसी घटनाएं घटित होने वाली है जिसके बारे में आपने पहले कभी सोचा ही नही होगा। इसके अनुसार कौन-कौन सी घटनाएं घटित होंगी ? और क्यों घटित होंगी ? आखिर इसके पीछे का कारण क्या है इन सब के बारे में जानकारी ज्योतिषाचार्य के. एम. सिन्हा जी के द्वारा किये गये विश्लेषण के द्वारा समझते हैं।
कौन-कौन सी घटनाएं और क्यों घटित होंगी
☸ बात करते हैं 10 मई की तो यह एक ऐसी तिथि हैं जहाँ पर सेनापति मंगल अपनी नीचस्थ राशि में रहेंगे। सेनापति यदि अपनी नीच राशि में उपस्थित होंगे और उसी समय शनि ग्रह की नीच दृष्टि भी बृहस्पति पर पड़ेगी। राहु और शनि के प्रभाव में बृहस्पति देव पहले से ही आ चुके हैं। जहां पर राहु शनि का एजेंट माना जाता है और राहु शनि की जो युति बनी हुई हैं ऐसे में बृहस्पति देव बीच में पूरी तरह से फंसे हुए हैं। नैसर्गिक रुप से बृहस्पति ग्रह एक शुभ ग्रह माने जाते है।
☸ मंगल ग्रह के साथ-साथ शुक्र ग्रह भी 30 मई के आस-पास राशि परिवर्तन करके अपनी नीचस्थ राशि मंगल के साथ भी उपस्थित हो जायेंगे। हालांकि शुक्र की नीच राशि कन्या होती है लेकिन नीच के मंगल के साथ शुक्र यानि शुभ ग्रह यहां पर देखा जाए तो बृहस्पति और शुक्र दोनों ही शुभ ग्रह पीड़ित होंगे। जब दोनों ही शुभ ग्रह पीड़ित हो जायेंगे तो निश्चित रुप से देश और पूरी दुनिया में बहुत सारी परेशानियाँ एक के बाद एक करके उत्पन्न होती जायेंगी।
☸ आने वाली सारी परेशानियाँ 17 जून से बहुत ही ज्यादा उग्र होती हुई दिखाई देंगी। ऐसा इसलिए क्योंकि 17 जून इन योग्य ज्योतिषियों द्वारा एक ऐसी तिथि है जिस समय शनिदेव अपनी वक्रीय गति प्रारम्भ कर देंगे। आपको यह बात भली-भाँति पता है कि शनिदेव की तीसरी दृष्टि बहुत ज्यादा खतरनाक होती है और उससे भी खतरनाक शनिदेव तब हो जाते हैं जब यह अपनी तिरछी दृष्टि से देखते हैं। यहाँ पर शनि देव की वक्रीय दृष्टि बृहस्पति देव पर पड़ने वाली है।
☸ बृहस्पति देव पर नीच और वक्रीय दृष्टि का पड़ना, गुरु चाण्डाल दोष का पड़ना, सबसे ज्यादा अशुभ माना जाता है। देखा जाए तो गोचर में एक शुभ ग्रह तो पूरी तरह से पीड़ित रहेंगे जो कि कुण्डली के लिए द्वितीय, पंचम, नवम, दशम तथा एकादश भाव के कारक होते हैं। बृहस्पति देव के पीड़ित हो जाने के कारण कोई भी शुभ काम या शुभ मुहूर्त नही बन पायेगा। शास्त्रों में यह कहा गया है कि बृहस्पति देव पीड़ित रहेंगे तो भगवान पीड़ित रहेंगे। बृहस्पति ग्रह साक्षात देवताओं के गुरु माने जाते हैं साथ ही यह ग्रह भगवान के समान माने जाते हैं। इसलिए इनके पीड़ित हो जाने के कारण पूरी दुनिया में त्राहिमाम मच जायेंगी।
☸ इसके अलावा जो बची हुई प्रवृत्ति थी जिसके कारण सकारात्मक माहौल हो सकता था उसमें भी शुक्र देव जो कि दूसरे अच्छे ग्रह माने जाते हैं साथ ही जो हमारे देश के लग्नेश भी हैं तो यहां पर शुक्र ग्रह भी नीच के मंगल के साथ युति करेंगे और आपको बता दें मंगल ग्रह 10 मई से लेकर 1 जुलाई तक नीच के रहेंगे तो देखा जाए तो हर तरीके से सभी शुभ ग्रह पीड़ित अवस्था में रहेंगे साथ ही सेनापति मंगल नीच राशि में रहेंगे।
☸ यह सभी ग्रह और राशि का हाल देखने के बाद स्थिति यह दिखाई दे रही है कि आने वाला जो समय रहेगा वह बहुत ही ज्यादा खतरनाक होने वाला है।
☸ शनि ग्रह एक वायु तत्व है और देवगुरु बृहस्पति आकाश तत्व है तो ऐसे में आकाश में विस्फोट होना, बम ब्लास्ट होना, किसी प्रकार से वायु दुर्घटना होने की संभावना 17 जून से लेकर 1 जुलाई तक बनी रहेंगी। हर तरीके से यह समय प्रबल रहेगा।
☸ मंगल ग्रह के नीच होने की अवस्था में खून खराबा होना जैसे कार्यों में बहुत तेजी से बढ़ोत्तरी होगी। युद्ध की स्थिति का बढ़ जाना। कई तरह की दुर्घटनाएं होना प्रारम्भ हो जाता है। इसके अलावा हर तरफ आग ही आग जैसी स्थिति बन जाना अवश्य रुप से हो जाता है।
☸इन सभी ग्रहों की स्थिति के कारण शेयर मार्केट की स्थिति भी नीचे गिरेगी जिसके कारण लोगों का निवेश सोने में बहुत तेजी से बढ़ेगा। क्रूड आयल में बहुत तगड़ा उछाल होगा। शिक्षा के क्षेत्र में भी विद्यार्थी जातकों को अच्छा परिणाम नही मिलने वाला है साथ ही महामारी के बढ़ने की भी संभावना पूरी तरह से दिखाई दे रही है।
☸ राजनीतिक हत्याएं भी आपको इस अवधि में देखने को मिल सकती हैं। इनके लिए भी यह समय बहुत ही खराब रहने वाला है। 1 जुलाई के बाद से धीरे-धीरे सारी परिस्थितियाँ अनुकूल होंगी साथ ही दक्षिण पूर्व क्षेत्र इन ग्रहों के इस प्रभाव से परेशान रहेगा। दक्षिण पूर्व के साथ यूरोप में युद्ध की संभावना भी अत्यधिक बढ़ती हुई दिखाई दे रही है।
☸ इन सभी बुरी परिस्थितियों से बचने के लिए सभी लोगों को पूरे विश्व के कल्याण के लिए महामृत्युंजय का जाप करना चाहिए क्योंकि यह समय पूरे विश्व के लिए प्राकृतिक आपदाओं से लेकर राजनीतिक क्षेत्रों के लिए उथल-पुथल वाला होगा। अतः जुलाई के बीत जाने के बाद ही यह स्थिति पूरे विश्व में सामान्य होगी।