दीपावली का पर्व हिन्दू धर्म के सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक माना जाता है। यह एक पाँच दिवसीय त्योहार है जो आमतौर पर अक्टूबर और नवम्बर माह के मध्य में मनाया जाता है। यह त्योहार अँधेरे पर प्रकाश की जीत और बुराई पर अच्छाई के जीत के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व कार्तिक मास की अमावस्या तिथि को मनाया जाने वाला सबसे महत्वपूर्ण त्योहार है।
दीपावली का ज्योतिषीय महत्व
हिन्दू धर्म में पड़ने वाले विभिन्न महत्वपूर्ण त्योहारों में हर त्योहार का कोई न कोई ज्योतिषीय महत्व होता है। मान्यता के अनुसार हर तरह के पर्व और विशेष त्योहारों पर ग्रहों की दिशा और बनने वाले विशेष योग सभी मनुष्यों के लिए शुभ फलदायी होते हैं। वास्तव में दीपावली के समय में कोई विशेष वस्तु खरीदने या इस दिन किसी भी शुभ कार्यों को करने के लिए सर्वश्रेष्ठ दिन माना जाता है। इसके पीछे के ज्योतिषीय महत्वों के अनुसार दीपावली पड़ने के आस-पास सूर्य और चंद्रमा तुला राशि और स्वाति नक्षत्र में स्थित होते हैं। योग्य ज्योतिषीयों के अनुसार सूर्य और चन्द्रमा की यह स्थिति बहुत ही उत्तम फल देने वाली होती है। वास्तव में तुला राशि एक संतुलित भाव रखने वाली राशि है। यह राशि एक तरह से न्याय और अनुकूलता का प्रतिनिधित्व करता है, इसके अलावा तुला राशि के स्वामी ग्रह शुक्र होते हैं जो कि स्वयं ही भाईचारे, सौहार्द और आपसी सद्भाव के साथ-साथ सम्मान के भी कारक होते हैं इन्हीं गुणों के कारण ही सूर्य और चंद्रमा दोनों का ही दीपावली के समय में तुला राशि में उपस्थित होना सुखद और शुभ माना जाता है।
दीपावली के धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व
दीपावली का धार्मिक महत्व माँ लक्ष्मी की पूजा से जुड़ा हुआ होता है देखा जाए तो माँ लक्ष्मी धन, समृद्धि और धर्म का प्रतीक मानी जाती हैं इसलिए दीपावली के दिन लोग विशेष रूप से उनकी कृपा, आशीर्वाद और धन की प्राप्ति के लिए श्रद्धापूर्वक आराधना करते हैं इस दिन सभी लोग अपने घर को दीपों की रौशनी से सजाकर माँ लक्ष्मी के आगमन की तैयारी कर उनकी विधिपूर्वक पूजा अर्चना करते हैं। दीपावली के सांस्कृतिक महत्वों के अनुसार इस दिन सभी लोग अपने घर को रंगों और दीपों से सजाते है। रंगोली और दीपों की सजावट से ना केवल घर की सुंदरता में वृद्धि होती है बल्कि इससे सामूहिक एकता की भावना भी प्रकट होती है। यह त्योहार मित्रों के साथ समय बिताने तथा स्नेह और प्रेम को आपस में बढ़ाने का सबसे अच्छा मौका होता है और दीपावली के दिन सभी भारतीय सामाजिक एकता, बंधुत्व साथ ही सद्भाव की भावना को स्थापित करते हैं। धार्मिक और सांस्कृतिक महत्वों के साथ दीपावली के सामाजिक महत्वों को भी देखा गया है। यह पर्व सामाजिक रूप से भी लोगों को एक दूसरे के साथ जोड़े रखता है साथ ही खुशियों को भी एक साथ एकत्रित करता है। इस पर्व के दौरान सभी लोग सामाजिक रूप से एक दूसरे को मिठाई खिलाकर खाने-पीने का आनंद लेते और मनोरंजन और प्रदर्शन का कार्यक्रम करके उत्साह और खुशहाल समय व्यतीत करते हैं। इससे सामाजिक रूप से रिश्ते मजबूत होते हैं और सामूहिक रूप से खुशहाल जीवन की भावना भी प्रबल होती है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार दीपावली का पर्व रामायण के एक प्रमुख घटना में से प्रभु श्री राम, सीता और लक्ष्मण जी का 14 वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या वापस लौटना है। वास्तव में प्रभु श्री राम के वापस आने के जश्न मनाये जाने और राक्षस राजा रावण पर प्रभु श्री राम की जीत का जश्न मनाकर सम्मान करने के लिए ही पूरे अयोध्या वासियों ने तेल के दीपक जलाकर पूरे शहर को दीपक से सजाया था। तब से लेकर वर्तमान समय तक दीपावली का पर्व ऐसे ही मनाया जाता है। एक और अन्य पौराणिक कथाओं के अनुसार नरकासुर नामक दुष्ट राक्षस ने अपनी असुर शक्तियों के कारण साधू संतो और 16 हजार स्त्रियों को बंदी बना लिया था। अतः नरकासुर के इस बढ़ते हुए अत्याचार को देखकर साधु-संतो ने प्रभु श्री कृष्ण से मदद करने की गुहार लगाई। उसके बाद प्रभु श्री कृष्ण जी ने ही कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को नरकासुर का वध करके सभी देवता और साधु-संतो को राक्षस के आतंक से मुक्ति दिलायी और 16 हजार स्त्रियों को कैद से मुक्ति दिलाई थी। इसी उपलक्ष्य में अगले दिन सभी लोगों ने अपने-अपने घरों में कार्तिक मास की अमावस्या को दीपक जलाये। तब से लेकर अब तक नरक चतुर्दर्शी और दीपावली का मुख्य पर्व मनाया जाने लगा।
दीपावली पूजा विधि
दीपावली पर्व पर लक्ष्मी माँ की पूजा अर्चना करने का विशेष विधान होता है। इस दिन शाम और रात्रि के समय में मां लक्ष्मी, भगवान गणेश और माता सरस्वती की पूजा अर्चना की जाती है। मान्यता के अनुसार दीपावली के समय में कार्तिक मास की अमावस्या तिथि को माँ लक्ष्मी पृथ्वी लोक पर आती हैं और सभी के घरों में आकर विचरण करती हैं।
घर में प्रवेश करने के दौरान जिस घर में स्वच्छता और प्रकाश रहता है वहाँ माँ लक्ष्मी अंशतः ठहर जाती हैं। ऐसे में दीपावली के दौरान घर की साफ-सफाई और विधिपूर्वक पूजा करने का विशेष महत्व होता है। इस शुभ अवसर पर माँ लक्ष्मी, गणेश और माँ सरस्वती जी के साथ-साथ कुबेर जी की पूजा भी की जाती है।
पूजा विधि के दौरान ध्यान रखने योग्य बातें
☸ दीपावली के दिन गणेश जी और लक्ष्मी जी का पूजन करने से पहले तक घर की साफ-सफाई अच्छे से करके पूरे घर में पवित्रता और शुद्धि के लिए गंगाजल से छिड़काव करें।
☸ दीपावली के दिन लक्ष्मी जी की पूजा करने के लिए घर के पूजा स्थल को अच्छे से साफ-सुथरा कर लें, उसके बाद पूजा की चैकी रखकर उस पर एक लाल कपड़ा बिछाकर माँ लक्ष्मी और गणेश जी की मूर्ति स्थापित करें उसके बाद चैकी पर जल से भरा एक कलश रखें।
☸ उसके बाद माँ लक्ष्मी और गणेश जी की मूर्ति पर तिलक लगाकर दीपक जलाएँ फिर जल, मौली, चावल, फल, गुड़, हल्दी, अबीर, गुलाल इत्यादि अर्पित करके माँ की आराधना करें।
☸ माँ लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा कर लेने के बाद माँ सरस्वती, माँ काली, भगवान विष्णु और कुबेर जी की पूजा विधिपूर्वक करें।
☸ उसके बाद अपनी तिजोरी, बहीखाते और व्यापारिक उपकरणों की पूजा करें ।
☸ पूजा की समाप्ति के बाद भोग लगाएँ और आरती करने के बाद सभी लोगों को प्रसाद वितरित करें।
दीपावली के दिन करें कुछ विशेष उपाय
☸ हिन्दू धर्म में दीपावली की मान्यता के अनुसार इस दिन आटे का दीपक अवश्य जलाना चाहिए आटे के दिया जलाना इस दिन बहुत ही ज्यादा शुभ माना जाता है। दीपावली के दिन आटे की 11 या 21 दिये बनाकर उसमें घी और 7 लौंग डालकर दीपक जलाने से कहा जाता है कि घर में आयी दरिद्रता कोसों दूर हो जाती है।
☸ दीपावली के दिन दीपदान करने की परम्परा भी हिन्दू धर्म में काफी ज्यादा प्रचलित है कहा जाता है दीपावली के दिन नदी के किनारे या भगवान के चरणों में 11 या 21 दिये दान करने से घर में और जीवन में आयी हुई परेशानियाँ जल्द ही समाप्त हो जाती हैं।
☸ दीपावली के शुभ दिन पर माँ तुलसी की पूजा करना अत्यधिक शुभ माना जाता है। कहा जाता है भगवान विष्णु जी को तुलसी अति प्रिय है और माँ तुलसी को लक्ष्मी ही का एक रूप माना जाता है। इसलिए दीपावली के दिन विधिपूर्वक माँ तुलसी का पूजन करने से घर में कभी पैसों की कमी नही होती है साथ ही व्यापार और नौकरी में तरक्की भी होती है।
☸ दीपावली के दिन घर में दीये अवश्य लगाने चाहिए इसके अलावा दरवाजे पर तोरण तथा घर में रंगोली भी अवश्य बनानी चाहिए। कहा जाता है कि घर की सजावट और साफ-सफाई से माँ लक्ष्मी प्रसन्न होकर सभी भक्तों को अपना आशीर्वाद देती हैं। साफ-सफाई करने से इस दिन पितरों की आत्मा को भी शांति मिलती है।
दीपावली की पूजा के दौरान इन गलतियों से रहें सावधान
☸ दीपावली के दिन सुबह जल्दी उठें और शाम की पूजा की तैयारी समय से करें। इस दिन ध्यान रहे नाखून काटने तथा शेविंग करने जैसे कार्य बिल्कुल न करें।
☸ इस दिन मूर्ति स्थापित करने के दौरान सभी मूर्तियों को क्रम से रखें बाएं से दायें के तरफ भगवान गणेश, लक्ष्मी माँ, भगवान विष्णु, माँ सरस्वती तथा माँ काली जी की मूर्ति रखें, उसके बाद प्रभु श्रीराम, माता सीता और लक्ष्मण जी की मूर्ति रखें।
☸ दीपावली में गणेश जी की मूर्ति खरीदने के दौरान इस बात का ध्यान रखें की गणेश जी बैठी हुई मुद्रा में न हो और उनकी सूंड दायीं तरफ न होकर बायीं तरफ हो। इस दिन की पूजा विघ्नहर्ता गणेश जी की पूजा करके शुरू करें और केवल लाल रंग के पुष्प, लाल मोमबत्ती, रोशनी इत्यादि का ही प्रयोग करें ऐसा करना शुभ माना जाता है।
☸ घर को बिखरा हुआ बिल्कुल न छोड़ें इस दिन साफ-सफाई का विशेष ख्याल रखें।
दीपावली शुभ मुहूर्त
दीपावली का त्योहार 12 नवम्बर 2023 को रविवार के दिन मनाया जायेगा ।
अमावस्या तिथि प्रारम्भः- 12 नवम्बर 2023, दोपहर 02ः44 मिनट से,
अमावस्या तिथि समाप्तः- 13 नवम्बर 2023, दोपहर 02ः56 मिनट तक।
लक्ष्मी पूजा शुभ मुहूर्तः- 12 नवम्बर 2023 शाम 05ः39 मिनट से, शाम 07ः35 मिनट तक।