पापमोचनी एकादशी 2023 | Papmochani Ekadashi |

चैत्र मास के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को पापमोचनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस व्रत को करने से उपासकों को सभी पापों से मुक्ति मिलती है। एकादशी के महात्मय के सुनने एवं पढ़ने से समस्त पाप नष्ट हो जाते है। श्री विष्णु को समर्पित पापमोचनी एकादशी व्रत एक अत्यन्त ही महत्वपूर्ण और सर्वश्रेष्ठ व्रत है। निर्धनों को दान प्रदान करने, अपने किए गए पापों और भूलों का प्रायश्चित करने से श्री विष्णु की पावन कृपा की प्राप्ति होती है।

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पापमोचनी एकादशी मंत्र

ओम नमो भगवते वासुदेवाय
श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारे। हे नाथ नारायण वासुदेवाय।।
ओम नारायणाय विद्महे। वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णु प्रचोदयात।
ओम विष्णवे नमः
ओम हूं विष्णवे नमः

पापमोचनी एकादशी व्रत कथाः-

शास्त्रों मे बताया गया है कि स्वयं भगवान कृष्ण ने पांडु पुत्र अर्जुन को पापमोचनी एकादशी व्रत के बारे में बताया था। कहा जाता है राजा मांधाता ने लोमश ऋषि से जब पूछा कि अनजाने मे हुए पापों से मुक्ति कैसे हासिल की जाती है तब लोमश ऋषि ने पापमोचनी एकादशी व्रत का जिक्र करते हुए राजा को एक पौराणिक कथा सुनाई थी।

प्रसिद्ध कथा के अनुसार एक बार च्यवन ऋषि के पुत्र मेधावी वन में तपस्या कर रहे थें। उस समय मंजुघोषा नाम की अप्सरा वहाँ से गुजर रही थी तभी उस अप्सरा की दृष्टि मेधावी पर पड़ी और वह मेधावी पर मोहित हो गई। इसके बाद अप्सरा से मेधावी को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए बहुत प्रयत्न किए। मंजुघोषा को ऐसा करते देख कामदेव भी उनकी सहायता करने के लिए आ गए। इकसे बाद मेधावी मंजुघोषा की ओर आकर्षित हो गए और भगवान शिव की तपस्या करना भूल गए। समय बितने के बाद मेधावी को जब अपनी गलती का एहसास हुआ तो उन्होंने मंजुघोषा को दोषी मानते हुए उन्हें पिशाचिनी होने का श्राप दे दिया जिससे अप्सरा बेहद ही दुखी हुई। अप्सरा ने तुरन्त अपनी गलती को स्वीकार किया और क्षमा मांगी तब अप्सरा की क्षमा याचना सुनकर मेधावी ने मंजुघोषा को चैत्र मास की पापमोचनी एकादशी के बारे में बताया। मंजुघोषा ने मेधावी के कहे अनुसार विधिपूर्वक पापमोचनी एकादशी का व्रत किया। पापमोचनी एकादशी व्रत के पुण्य प्रभाव से उसे सभी पापों से मिल गई। इस व्रत के प्रभाव से मंजुघोषा फिर से अप्सरा बन गई और स्वर्ग मे वापस चली गई। मंजुघोषा के बाद मेधावी ने भी पापमोचनी एकादशी का व्रत किया और पापों को दूर कर अपना खोया हुआ स्वरुप पाया।

पापमोचनी एकादशी व्रत पूजा विधि

☸ सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और व्रत करने का संकल्प लें।
☸ इसके बाद षोडशोपचार विधि से भगवान विष्णु की पूजा करें। भगवान विष्णु को धूप, दीप, फूल, भोग, चंदन, फल आदि अर्पित करें।
☸ पूजा में भगवान विष्णु को तुलसी के पत्ते जरूर अर्पित करें। पूजा के बाद व्रत कथा जरूर पढ़ें।
☸ भगवान विष्णु की आरती करें। संभव हो तो रात भर जागरण करें। इस व्रत में अन्न का सेवन नहीं किया जाता है। फलों का सेवन कर सकते हैं।
☸ व्रत का पारण द्वादशी के दिन होता है। व्रत रखने वाले यथाशक्ति जरूरतमंदों को दान भी जरूर करें।

पापमोचनी एकादशी शुभ तिथि एवं मुहूर्तः-

पापमोचनी एकादशी 2023 का व्रत 18 मार्च दिन शनिवार को है।
पापमोचनी एकादशी तिथि प्रारम्भः- 17 मार्च 2023, शुक्रवार दोपहर 02ः06 से
पापमोचनी एकादशी तिथि समापनः- 18 मार्च 2023, शनिवार सुबह 11ः13 तक

पापमोचनी एकादशी व्रत 2023 पारण शुभ मुहूर्तः-

जो भी श्री विष्णु भक्त पापमोचनी व्रत किए हैं वें 19 मार्च 2023 दिन रविवार को प्रातः काल 06:27 से लेकर प्रातः 08ः07 तक व्रत का पारण कर सकते है।

पापमोचनी एकादशी व्रत के बारे में कुछ महत्वपूर्ण जानकारीः-

☸ जो उपासक श्री विष्णु जी को समर्पित पापमोचनी एकादशी का व्रत करते है उन्हें प्रातः काल उठकर स्नान आदि करने के पश्चात व्रत का संकल्प लेना चाहिए।

☸इसके बाद भगवान विष्णु की पूजा करें और इसके बाद भगवान को धूप, दीप, चंदन और फल आदि अर्पित करके आरती करें.
☸ निर्धनों को दान करें एवं ब्राह्मणों को भोजन करायें। इस दिन श्री विष्णु की आराधना के लिए विष्णु सहस्त्रनाम, विष्णु स्त्रोत आदि का पाठ करें।
☸ अपने किए गए कर्मों के लिए श्री विष्णु भगवान से क्षमा मांगते हुए पाप कर्मों के लिए प्रायश्चित करें।

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