पितृपक्ष के किस तिथि में कौन-कौन से पितरों का श्राद्ध करें

हिन्दू पंचांग के अनुसार, पितृपक्ष हर साल भाद्रपद मास की पूर्णिमा तिथि से शुरू होकर आश्विन मास की कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि तक चलता है। इस समय, लोग अपने पूर्वजों के आत्माओं को श्राद्ध और तर्पण के द्वारा याद करते हैं और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। पितृपक्ष के 15 दिनों में, व्यक्ति पिंडदान, तर्पण और श्राद्ध कार्यों को पूरा करते हैं। इसके माध्यम से, वे अपने पूर्वजों के साथ आदर्श और सम्मान दिखाते हैं और पितरों के आशीर्वाद की प्राप्ति करते हैं। पितृपक्ष के दौरान, अगर कोई जानवर या पक्षी घर में आता है, तो उसे भोजन देना बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि मान्यता है कि ये पूर्वजों के रूप में आए हुए हैं।

किस तिथि में कौनकौन से पितरों का श्राद्ध करें

पितृपक्ष के किस तिथि में कौन-कौन से पितरों का श्राद्ध करें 1

पहला श्राद्ध 30 सितंबर 2023

पहले श्राद्ध के लिए, जिन व्यक्तियों की मृत्यु किसी भी महीने के शुक्ल पक्ष या कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि में हुई है, उनका श्राद्ध पितृ पक्ष की इसी तिथि में किया जाता है। इसके साथ ही, अगर किसी परिवार में प्रतिपदा श्राद्ध करने वाला कोई नहीं है या यदि उस व्यक्ति की मृत्यु की तिथि नहीं पता है, तो भी उनका श्राद्ध प्रतिपदा तिथि में किया जा सकता है।

द्वितीय श्राद्ध 01 अक्टूबर 2023

द्वितीय श्राद्ध के लिए, जिन पूर्वज की मृत्यु किसी भी महीने के शुक्ल पक्ष या कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि में हुई है, उनका श्राद्ध इस दिन किया जाता है।

तीसरा श्राद्ध 02 अक्टूबर 2023

तीसरा श्राद्ध के लिए, जिनकी मृत्यु कृष्ण पक्ष या शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि के दिन हुई है, उनका श्राद्ध तृतीया तिथि को किया जाता है। इसे महाभरणी भी कहा जाता है।

चौथा श्राद्ध 03 अक्टूबर 2023

चौथा श्राद्ध के अनुसार, जिन पूर्वजों की मृत्यु शुक्ल पक्ष या कृष्ण पक्ष में से चतुर्थी तिथि के दिन होती है, उनका श्राद्ध पितृ पक्ष की चतुर्थ तिथि पर किया जाता है।

पांचवा श्राद्ध 04 अक्टूबर 2023

पांचवा श्राद्ध  के अनुसार, ऐसे पूर्वज जिनकी मृत्यु अविवाहिता के रूप में होती है, उनका श्राद्ध पंचमी तिथि में किया जाता है। यह दिन कुंवारे पितरों के श्राद्ध के लिए समर्पित होता है।

छठा श्राद्ध 05 अक्टूबर 2023

छठा श्राद्ध के अनुसार, किसी भी महीने की षष्ठी तिथि में जिनकी मृत्यु होती है, उनका श्राद्ध इस दिन किया जाता है। इसे छठ श्राद्ध भी कहा जाता है।

सातवां श्राद्ध 06 अक्टूबर 2023

सातवां श्राद्ध के अनुसार, किसी भी महीने के शुक्ल पक्ष या कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि में जिन व्यक्ति की मृत्यु होती है, उनका श्राद्ध पितृ पक्ष की इस तिथि को करना चाहिए।

आठवां श्राद्ध 07 अक्टूबर 2023

आठवां श्राद्ध के अनुसार, ऐसे पितर जिनकी मृत्यु पूर्णिमा तिथि पर हुई हो, उनका श्राद्ध अष्टमी, द्वादशी, या पितृमोक्ष अमावस्या पर किया जाता है।

नवमी श्राद्ध 08 अक्टूबर 2023

नवमी श्राद्ध के अनुसार, माता की मृत्यु तिथि के आधार पर श्राद्ध न करके, नवमी तिथि पर उनका श्राद्ध करना चाहिए। इसे माना जाता है कि, नवमी तिथि को माता का श्राद्ध करने से सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है। वहीं, जिन महिलाओं की मृत्यु तिथि याद न हो, उनका श्राद्ध भी नवमी तिथि को किया जा सकता है।

दशमी श्राद्ध 09 अक्टूबर 2023

दशमी श्राद्ध के अनुसार, दशमी तिथि को जिस व्यक्ति की मृत्यु हुई हो, उनका श्राद्ध महालय की दसवीं तिथि के दिन किया जाता है।

एकादशी श्राद्ध 10 अक्टूबर 2023

एकादशी श्राद्ध के अनुसार, ऐसे लोग जो संन्यास लिए हुए होते हैं, उन पितरों का श्राद्ध एकादशी तिथि को करने की परंपरा है।

द्वादशी श्राद्ध 11 अक्टूबर 2023

द्वादशी श्राद्ध के अनुसार, जिनके पिता संन्यास लिए हुए होते हैं, उनका श्राद्ध पितृ पक्ष की द्वादशी तिथि को करना चाहिए, चाहे उनकी मृत्यु किसी भी तिथि को हुई हो। इसलिए इसे संन्यासी श्राद्ध भी कहा जाता है।

त्रयोदशी श्राद्ध 12 अक्टूबर 2023

त्रयोदशी श्राद्ध के अनुसार, श्राद्ध महालय के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को बच्चों का श्राद्ध किया जाता है।

चतुर्दशी तिथि 13 अक्टूबर 2023

चतुर्दशी तिथि (13 अक्टूबर 2023) के अनुसार, जिनकी अकाल मृत्यु हुई हो, जैसे कि आग से जलना, शस्त्रों के आघात से, विषपान से, दुर्घटना से, या जल में डूबना, उनका श्राद्ध चतुर्दशी तिथि को किया जाता है।

अमावस्या तिथि 14 अक्टूबर 2023

अमावस्या तिथि (14 अक्टूबर 2023) के अनुसार, पितृ पक्ष के अंतिम दिन सर्वपितृ अमावस्या पर ज्ञात-अज्ञात पूर्वजों के श्राद्ध किए जाते हैं। इसे पितृविसर्जनी अमावस्या, महालय समापन भी कहा जाता है।

पितृदोष के लक्षण

धन

घर में निरन्तर पैसों की कमी होना।
संचित धन अनैतिक कार्यों में खर्च होना।
धन का संग्रह न कर पाना।
नौकरी या व्यापार में हानि का सामान करना।

अपयश

परीक्षा में असफल होना।
सही से भोजन न करना।
किसी भी कार्य में मन न लगना।
किसी भी काम में सफलता न मिलना।

स्वास्थ्य

परिवार में किसी न किसी सदस्य का बीमार रहना।
उपचार के बाद भी ठीक न होना।
बीमारी का ज्ञात न होना।
लम्बे समय तक बीमार रहना।

संबंध

पिता-पुत्र के संबंधों में लगातार परेशानी होना।
परिवार में कलह होना।
संतान प्राप्ति में रूकावट उत्पन्न होना।
बार-बार गर्भपात का सामना करना।

उपाय

पिता समान लोगों का आदर करें।
पिता का सम्मान एवं उनकी आज्ञा का पालन करें।
पितृ दोष शांति की पूजा करायें।
पितृ पक्ष में पितरों को विधिपूर्वक पिण्डदान करें।

🌟 Special Offer: Buy 1 Get 10 Astrological Reports! 🌟

Unlock the secrets of the stars with our limited-time offer!

Purchase one comprehensive astrological report and receive TEN additional reports absolutely free! Discover insights into your future, love life, career, and more.

Hurry, this offer won’t last long!

🔮 Buy Now and Embrace the Stars! 🔮