पेट से सम्बन्धी रोग उत्पन्न करता है यह ग्रह, जाने ज्योतिष के अनुसार इसका कारण और उपाय

ग्रहों का सम्बन्ध हमारे अच्छे उत्तम स्वास्थ्य से भी होता है। जब ग्रह शुभ हो तो व्यक्ति हर बीमारियों से दूर और निरोगी एवं उत्तम काया को ग्रहण करता है लेकिन जब यह अशुभ होते हैं तो यह विपरीत माने गये हैं।

शास्त्रों के अनुसार बृहस्पति ग्रह को स्वास्थ्य का प्राकृतिक कारक माना गया है। यह जब कुण्डली में शुभ होता होते हैं तो ये गंभीर से गंभीर रोग से भी बचा लेता हैं लेकिन यदि बृहस्पति ग्रह ही अशुभ हो और बृहस्पति के कारण ही रोग हो रहा है तो उसकी रक्षा केवल भगवान ही कर सकते है। इसलिए बृहस्पति को शुभ रखना अत्यन्त आवश्यक माना गया है।

बृहस्पति का फल

ज्योतिष के अनुसार बृहस्पति ग्रह सदैव शुभ फल प्रदान करता है। ये विपरीत परिस्थितियों में ही अशुभ फल प्रदान करता है। शास्त्रों में देवताओं के गुरु बृहस्पति को ही माना गया है इसीलिए उन्हें देव गुरु बृहस्पति कहा जाता है।

ग्रंथों में बृहस्पति का वर्णन

प्राचीन ग्रंथों में भी बृहस्पति ग्रह का वर्णन मिलता है। ब्राह्मण, ऋग्वेद और प्राचीन ग्रंथों में भी बृहस्पति ग्रह का वर्णन मिलता है। शब्द कल्पदु्रम में इसे अंगिरस ऋषि का पुत्र बताया गया है। ये देवताओं के गुरु हैं तैत्तिय ब्राह्मण में बृहस्पति के जन्म में बताया गया है। श्रीमद् भागवत महापुराण में भी इसका जिक्र आता है।

बृहस्पति के कारण होने वाले रोग

ज्योतिष ग्रंथों में बृहस्पति ग्रह के कारण जिन रोगों की चर्चा की गई उनमें से कुछ इस प्रकार है। गुल्य रोग या गैस्ट्रिक ट्रबल, मोटापा, लीवर, किडनी पेट से सम्बन्धित बीमारियों का अहम सम्बन्ध बताया गया है। यदि आपका गुरु अशुभ फल देता है तो पेट से सम्बन्धी बीमारियां होती हंै।

उपाय
हल्दी के पानी से स्नान

हल्दी के अचूक उपाय बनायेंगे शीघ्र विवाह के योगः-

हल्दी का बृहस्पति ग्रह से विशेष सम्बन्ध है। बृहस्पति ग्रह पीले रंग की चीजों का भी प्रतिनिधित्व करता है मान्यता है कि नहाने के पानी में एक चुटकी हल्दी मिलाकर नहाने से बृहस्पति ग्रह की अशुभता दूर होती है।

बृहस्पतिवार को करें इन चीजों का दान

बृहस्पतिवार का दिन बृहस्पति की कøपा पाने के लिए उत्तम माना गया है। इस दिन शिक्षा सामग्री का दान करें और निर्धन विद्यार्थियों की मदद करने से भी बृहस्पति मजबूत होता है। सोना, हल्दी, चने की दाल, आम, केला आदि दान करें।

एकादशी का व्रत

एकादशी व्रत सभी व्रतों में श्रेष्ठ माना जाता है। यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है। बृहस्पति ग्रह का भगवान विष्णु से विशेष नाता है। माना जाता है कि एकादशी का व्रत रखने से गुरु ग्रह की अशुभता दूर होती है। इसके साथ ही सत्यनारायण और लक्ष्मी जी की पूजा करने से भी इस ग्रह की कमजोरी दूर होती है।

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