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भगवान गणेश ने लिखी टूटे दांत से महाभारत

क्यों मिला गणेश जी को हाथी का सिर, क्यों प्रथम पूज्यनीय हैं गणेश जी | Why did Ganesha get the head of an elephant, why Ganesha is worshiped first Benefit |

गणेश जी और महाभारत: एक दिव्य संबंध

वेदव्यास जी ने 18 पुराणों की रचना की है और वे महाकाव्य महाभारत भी लिखना चाहते थें। पौराणिक मान्यता के अनुसार, एक बार भगवान ब्रह्मा ने उन्हें महाभारत लिखने की प्रेरणा दी लेकिन वेदव्यास जी स्वयं इस महाकाव्य के लेखन कार्य को करने में असमर्थ हो रहे थें। तब उन्होंने अपनी यह परेशानी ब्रह्मा जी को बताई। इस पर ब्रह्मा जी ने सुझाव दिया कि वेदव्यास जी श्री गणेश से महाभारत लिखवाने की प्रार्थना करें, क्योंकि श्री गणेश ही इस कार्य में उनकी सहायता कर सकते हैं।

भगवान गणेश ने लिखी टूटे दांत से महाभारत

ब्रह्मा जी के कहने पर वेदव्यास जी ने भगवान गणेश को बुलाया और उनसे महाभारत लिखने की प्रार्थना की। इस पर गणेश जी ने एक शर्त रखते हुए कहा कि यदि लेखन कार्य शुरू हुआ, तो वेदव्यास जी महाभारत के बारे में बताते समय बिल्कुल भी नहीं रुकेंगे। यदि वेदव्यास जी महाभारत को लिखवाते समय एक बार भी बीच में रुक गए, तो गणेश जी वहीं पर लेखन कार्य को विराम दे देंगे।

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इस शर्त के बदले वेदव्यास जी ने भी गणेश जी के सामने एक शर्त रखी कि जब वह महाभारत के लेखन कार्य के लिए श्लोक बोलेंगे, तो गणेश जी की कलम भी बीच में कहीं नहीं रुकनी चाहिए। भगवान गणेश ने यह प्रस्ताव स्वीकार कर लिया।

हालांकि, महाभारत की कठिन शब्दावली के कारण गणेश जी की गति रुकने लगी। इसी जल्दबाजी के चक्कर में उनकी कलम टूट गई और उनकी लेखन गति धीमी हो गई। शर्त के अनुसार उनकी लेखनी नहीं रुकनी चाहिए थी, इसलिए उन्होंने अपना एक दांत स्वयं तोड़ लिया और उसी दांत से महाभारत लिखना जारी रखा।

इस प्रकार श्री गणेश ने पूरी महाभारत लिखी और इसलिए अक्सर उनकी प्रतीकात्मक छवि में उन्हें टूटा हुआ दांत दिखाया जाता है।

गणेश जी का महामंत्र

गणेश जी का एक प्रमुख और लोकप्रिय मंत्र है-

वक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटी समप्रभ। 

निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा।

इस मंत्र का अर्थ है- “जिनका शरीर विशाल है, जो करोड़ों सूर्यों के समान तेजस्वी हैं, वही भगवान मेरे सभी कार्यों को बिना किसी बाधा के पूर्ण करने की कृपा करें।”

यह मंत्र गणेश जी की अनंत शक्ति, ज्ञान और दिव्य गुणों की पुष्टि करता है और भक्तों को उनके कार्यों में सफलता प्राप्त करने की प्रार्थना करता है।

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निष्कर्ष

भगवान गणेश जी का महाभारत के लेखन में योगदान उनके असीम समर्पण और बुद्धिमत्ता को दर्शाता है। उनका यह प्रयास महाभारत को एक सशक्त और प्रेरणादायक ग्रंथ बनाने में सहायक रहा। गणेश जी का महामंत्र भी उनके भक्तों के लिए एक अमूल्य आशीर्वाद है, जो जीवन के हर क्षेत्र में सफलता की कामना करता है।

स्रोत: भारतीय पौराणिक कथाएँ और धार्मिक ग्रंथ

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