भाद्रपद अमावस्या 2023

भाद्रपद अमावस्या को धर्म ग्रंथों मे कुशोत्पाटिनी अमावस्या भी कहते है। इस दिन पूरे साल मे किए जाने वाले पूजा पाठ और अन्य धार्मिक कार्यों के अलावा श्राद्ध में उपयोग आने वाली कुश को इकट्ठा किया जाता है। अमावस्या की तिथि पितरों की आत्मा की शांति दान पुण्य और काल सर्प दोष निवारण के लिए विशेष रुप से महत्व रखती है। इस अमावस्या पर धार्मिक कार्यों के लिए कुश को एकत्र किया जाता है। इस अमावस्या पर मां दुर्गा की भी पूजा की जाती है इसलिए भाद्रपद आमवस्या का महत्व और भी बढ़ जाता है।

भाद्रपद अमावस्या कथा

इस अमावस्या की व्रत कथा के अनुसार बहुत समय पहले की बात है। एक परिवार में सात भाई थे सभी का विवाह हो चुका था सबके छोटे-छोटे बच्चे भी थे। परिवार की सलामती के लिए सातों भाइयों की पत्नी भाद्रपद अमावस्या का व्रत रखना चाहती थी लेकिन जब पहले साल बड़े भाई की पत्नी ने व्रत रखा तो उसके बेटे की की मृत्यु हो गयी दूसरे साल फिर एक बेटे की मृत्यु हुई तब बड़े भाई की पत्नी ने इस बार अपने मृत पुत्र का शव कही छिपा दिया गांव की कुल देवी मां पोलेरम्मा उस समय गांव के लोगो की रक्षा के लिए पहरा दे रही थीं उन्होने जब इस दुखी मां को देखा तो वजह जाननी चाही तब तक बड़े भाई की पत्नी ने सारा किस्सा देवी को सुनाया तो देवी को उस पर दया आ गई देवी मां ने कहा कि वह सभी स्थानों पर हल्दी छिड़क के जब वह घर वापस लौटी तो वह सातों पुत्रों को जीवित पाया। वह पुत्रों को जीवित देख कर बहुत प्रसन्न हुई तभी से उस गांव की हर माता अपने संतान की लम्बी उम्र की कामना के लिए अमावस्या का व्रत रखने लगी आज के दिन यह कथा सुनी और पढ़ी जाती है।

भाद्रपद अमावस्या व्रत और नियम:- स्नान दान और तर्पण के लिए अमावस्या की तिथि का अधिक महत्व होता है। भाद्रपद अमावस्या के दिन किये जाने वाले धार्मिक कार्य:-

☸ इस दिन प्रातः काल उठकर किसी नदी जलाशय या कुंड में स्नान करें और सूर्य देव को अर्घ देने के बाद बहते जल में तिल प्रवाहित करें।
☸ नदी के तट पर पितरों की आत्म शांति के लिए पिंडदान करें और किसी गरीब व्यक्ति या ब्राह्मण को दान दक्षिणा दें।
☸ इस दिन कालसर्प दोष निवारण के लिए पूजा-अर्चना भी की जा सकती है।
☸ अमावस्या के दिन शाम को पीपल के पेड़ के नीेचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं और पितरों को स्मरण करें।
☸ पीपल के पेड़ की सात परिक्रमा करें।
☸ अमावस्या शनिदेव का दिन भी माना जाता है। इसलिए इस दिन पूजा करना चाहिए।

भाद्रपद अमावस्या महत्व

भाद्रपद अमावस्या के दिन धार्मिक कार्यों के लिए कुश एकत्रित की जाती है। इसलिए इसे कुशग्रहणी अमावस्या कहा जाता है। यदि भाद्रपद अमावस्या सोमवार के दिन हो तो इस कुश का उपयोग 12 सालों तक किया जा सकता है। इस दिन माता पार्वती ने इंद्राणी को इस व्रत का महत्व बताया था विवाहित स्त्रियों द्वारा संतान प्राप्ति एवं अपनी संतान के कुशल मंगल के लिए व्रत रहा जाता है और देवी दुर्गा की पूजा भी की जाती है। अमावस्या के दिन कोई नया कार्य नही किया जाता है। फिर भी अमावस्या को तर्पण, व्रत और पितृ पूजन के लिए भी शुभ दिन माना जाता है। इस दिन व्रत करने और शिव पार्वती की पूजा करने से सुहाग की आयु लम्बी होती है और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

भाद्रपद अमावस्या शुभ मुहूर्त

भाद्रपद अमावस्या आरम्भः- 14 सितम्बर 2023 को 04ः51 से
भाद्रपद अमावस्या समाप्तिः- 15 सितम्बर 2023 को 07ः12 तक

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