माँ सिद्धिदात्री

माँ दुर्गा जी की नौवीं शक्ति का नाम सिद्धिदात्री माता हैं। ये माता सभी प्रकार की सिद्धियों को देने वाली है। नवरात्री में नौवे दिन इनकी पूजा की जाती है। जो भी जातक पूरी श्रद्धा और निष्ठा से माँ की आराधना करतें है उन्हें सभी सिद्धियों की प्राप्ति होती है। साथ ही ब्रह्माण्ड पर पूर्ण विजय प्राप्त करने की क्षमता भी मिलती है। कमल पर विराजमान चार भुजाओं वाली माँ  सिद्धिदात्री लाल साड़ी में विराजित है। इनके चारो हाथों मे सुदर्शन चक्र, शंख गदा और कमल रहता है। साथ ही सिर पर ऊँचा सा मुकुट और चेहरे पर मंद मुस्कान होती है।

पूजन शुभ मुहूर्त

शारदीय नवरात्रि के आखिरी दिन को नवमी या महानवमी के नाम से जाना जाता है। इस दिन हवन और कन्या पूजन भी किया जाता है। हिन्दू पंचाग के अनुसार नवमी तिथि 4 अक्टूबर मंगलवार को पड़ रही है। 3 अक्टूबर को शाम 4 बजकर 37 मिनट से नवमी तिथि की शुरुआत हो रही है तथा नवमी तिथि का समापन 4अक्टूबर २०22 को २ बजकर 20 मिनट पर होगा उदया तिथि के अनुसार कन्या पुजा 4 अक्टूबर को ही किया जाएगा।

माँ सिद्धिदात्री की पूजा का महत्व : धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मां सिद्धिदात्री भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करती है और उन्हें यश बल और धन भी प्रदान करती है शास्त्रों में मां सिद्धिदात्री को सिद्धि और मोक्ष की देवी माना जाता है। मां सिद्धिदात्री के पास अणिमा, महिमा, प्राप्ति प्रकाम्य, गरिमा, लघिमा, ईशित्व और वशित्व यह 8 सिद्धिया है। शास्त्रों के अनुसार, समस्त ब्रह्ममाण्ड में मनुष्य से लेकर देवी देवताओं तक माता ही एक सबको सिद्धियाँ प्रदान करती है।

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माँ सिद्धिदात्री की पूजा विधिः

सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त होने के बाद साफ-स्वच्छ वस्त्र धारण माँ की प्रतिमा को गंगाजल या शुद्ध जल से स्नान कराएं।

💥माँ को सफेद रंग के वस्त्र अर्पित करें। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार माँ को सफेद रंग पसंद है।

💥माँ को स्नान कराने के बाद सफेद पुष्प अर्पित करें।

💥माँ को रोली कुमकुम लगाएं माँ को मिष्ठान, पंच मेवा, फल अर्पित करे।

💥माता सिद्धिदात्री को प्रसाद नवरस युक्त भोजन, नौ प्रकार के पुष्प और नौ प्रकार के ही फल अर्पित करने चाहिए।

💥माता सिद्धिदात्री का अधिक से अधिक ध्यान करें अष्टमी के दिन कन्या पूजन का भी विशेष महत्व होता है।

 

मां सिद्धिदात्री पूजा मंत्र

मां सिद्धिदात्री बीज मंत्र

ह्रीं क्लीं ऐं सिद्धये नम:।

मां सिद्धिदात्री स्तुति मंत्र

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।

माँ सिद्धिदात्री का प्रिय भोग: दुर्गाचन पद्धति के अनुसार नवमी तिथि को कासे के पात्र में नारियल पानी और ताम्बे के पात्र में शहद डालकर देवी मां को चढ़ाना चाहिए | कालिका पुराण में कुमहाड़ा या कददू की बलि का विधि-विधान है इसके अलावा मां को गन्ने का रस भी देवी मां को चढ़ाया जाता है।

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