मोहिनी एकादशी 2023

हिन्दू धर्म में दो पक्ष होते है शुक्ल और कृष्ण, दोनो में एकादशी का व्रत रखा जाता है क्योंकि हिन्दू धर्म के अनुसार एकादशी व्रत का विशेष महत्व होता है- 01 अप्रैल 2023 को वैशाख माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि है इसी को मोहिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार पता चलता है कि मोहिनी एकादशी के दिन ही समुद्र मंथन के दौरान जो अमृत निकला था भगवान विष्णु ने दैत्यो से रक्षा करने के लिए मोहिनी का रुप धारण करके उस अमृत का देवताओं को अमृतपान करवाया था।

मोहिनी एकादशी का महत्व

मोहिनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु के अवतार प्रभु श्री राम एवं विष्णु जी के मोहिनी स्वरुप का पूजन-अर्चना किया जाता है। पदम् पुराण में उल्लेखित है कि भगवान कृष्ण ने युधिष्ठिर को मोहिनी एकादशी का महत्व समझाते हुए कहा था कि त्रेता युग में महर्षि वशिष्ठ के सलाहनुसार श्री राम ने इस व्रत को किया था। इस व्रत को करने से सभी प्रकार के दुःखो का नाश हो जाता है। यह व्रत सभी पापों को हरने वाला उत्तम व्रत है। इस व्रत के प्रभाव से भक्त भगवान विष्णु की कृपा से सभी प्रकार के मोह-माया एवं बंधनों से मुक्त हो जाता है और अन्त में उन्हें बैकुण्ठ धाम की प्राप्ति होती है।

मोहिनी एकादशी की कथा

शास्त्रों में वर्णित है कि सरस्वती नदी के पास एक भद्रावती नगर था जिसके राजा का नाम धृतिमान था वह भगवान विष्णु के परम भक्त थे, राजा धृतिमान के पाँच पुत्र थें, उनकेे छोटे पुत्र का नाम धृष्टि बुद्धि था। जो बुरे और अनैतिक कार्य करने वाला था। यह सब देखने के पश्चात राजा ने अपने छोटे पुत्र का त्याग कर दिया। जीवन यापन करने के लिए वह डकैती जैसे कार्यों में शामिल हो गया जिसके बाद राजा ने गुस्सा होकर उसको राज्य से निकाल दिया जिसके बाद धृष्टबुद्धि जंगल में रहने के लिए निकल गया। जंगल में भटकते-भटकते वह ऋषि कौडिन्य के आश्रम में पहुंच गया। उस समय ऋषि कौडिन्य स्नान कर रहे थें, पानी की कुछ बूंदे निकलकर धृष्टिबुद्धि पर पड़ गयी जिसके वजह से धृष्टबुद्धि को आत्म-साक्षात्कार और अच्छी भावना की प्राप्ति हुई और उसने अपने सभी अनैतिक कार्यों पर पछतावा किया, धृष्टबुद्धि ने ऋषि से अपने पिछले पापों और बुरे कर्मों से मुक्ति के लिए मार्गदर्शन का निवेदन किया। ऋषि ने उस पर दया दिखाते हुए मोहिनी एकादशी व्रत का पालन करने के लिए कहा जिससे उसको पापों से छुटकारा मिल जाए, धृष्टबुद्धि ने मोहिनी एकादशी का व्रत पूरी श्रद्धा और विधिपूर्वक किया, व्रत करने से उसके सभी पापों का नाश हो गया और उसे विष्णु लोक की प्राप्ति हुई।

एक अन्य कथा

धर्म ग्रंथो के अनुसार जब देवताओं और असुरो ने मिलकर समुद्र मंथन किया था तो उससे अमृत-कलश की प्राप्ति हुई, देवता और दानव दोनो पक्ष अमृतपान करना चाहते थें। जिस कारण से अमृत कलश को पाने के लिए देवताओं और असुरो में विवाद आरम्भ हो गया। उस समय भगवान विष्णु ने मोहिनी का रुप धारण किया और छल-पूर्वक अमृत देवताओं को पिला दिया जिससे सभी देवता अमर हो गए तथा देवासुर संग्राम का अंत हुआ। जिस दिन भगवान हरि ने मोहिनी का रुप धारण किया था उस दिन वैशाख माह की एकादशी तिथि थी इसलिए इस एकादशी को मोहिनी एकादशी की संज्ञा दी गई।

मोहिनी एकादशी व्रत के पाँच लाभ

☸मान्यता है कि मोहिनी एकादशी का व्रत करने से भक्तों को जन्म और पुनर्जन्म के चक्र से छुटकारा मिल जाता है।
☸मोहिनी एकादशी का व्रत करने से साधकों को सुख, समृद्धि और शांति की प्राप्ति होती है।
☸ इस एकादशी का व्रत करने से मन और शरीर संतुलित रहता है, भक्तों की गम्भीर रोगों से रक्षा होती है।
☸ मोहिनी एकादशी के व्रत करने वाले साधना मोह-माया जैसे बंधनो से मुक्ति मिल जाती है।
☸ मोहिनी एकादशी का व्रत करने से विवाह सम्बन्धी बाधाएं भी दूर होती है।

मोहिनी एकादशी पूजा मंत्र

ओम नमो भगवते वासुदेवाय नमः

मोहिनी एकादशी पारणः-  05ः40 से 08ः19 तक 2 मई को

कुल अवधिः- 02 घण्टे 39 मिनट

मोहिनी एकादशी का भोग

भगवान विष्णु को खीर अत्यधिक पसन्द है इसलिए उनको मखाने के खीर का भोग लगाएं।

मोहिनी एकादशी 2023 शुभ तिथि एवं मुहूर्त

साल 2023 में मोहिनी एकादशी 01 अप्रैल 2023 को मनाया जायेगा। एकादशी तिथि का आरम्भ 30 अप्रैल 2023 को रात्रि 20ः30 से हो जायेगा तथा एकादश्ी तिथि का समापन 01 मई 2023 को रात्रि 22ः10 पर होगा।

मोहिनी एकादशी व्रत एवं पूजा-विधि

☸ प्रातः काल स्वच्छ होने के पश्चात स्नान करें तथा भगवान विष्णु की पूजा का संकल्प करें।
☸ उसके बाद शुभ मुहूर्त में भगवान विष्णु को पंचामृत से स्नान कराएं तत्पश्चात उनको चंदन, अक्षत, फूल, फल, वस्त्र, धूप, दीप आदि अर्पित करें।
☸ अन्त में भगवान विष्णु को मखाने की खीर का भोग लगाये, भोग लगाने के समय ओम नमो भगवते वासुदेवाय नमः मंत्र का उच्चारण भी करें।
☸भोग लगाने के बाद विष्णु सहस्त्रनाम, विष्णु चालीसा और मोहिनी एकादशी व्रत का पाठ भी करें।
☸ अन्त में भगवान हरि की आरती करें।
☸ रात्रि के दौरान भगवत जागरण करें और अगले दिन प्रातः काल पारण करके व्रत को पूर्ण करें।

 

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