हिन्दू धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व होता है, एकादशी व्रत को कठिन माना जाता है, प्रत्येक मास मे 02 बार एकादशी आता है। फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को विजया एकादशी का व्रत मनाया जाता है। विजया एकादशी के दिन भगवान हरि विष्णु की पूजा आराधना की जाती है, कहा ऐसा जाता है कि इस एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा और व्रत करने से व्यक्ति के सभी कार्यों में विजय की प्राप्ति होती है तथा शत्रुओं पर जीत भी हासिल होती है, मान्यता है कि जो मनुष्य एकादशी के दिन व्रत करता है भगवान विष्णु उसकी सभी मनोरथें पूरी करते है तथा उनको मोक्ष की प्राप्ति होती है।
विजया एकादशी व्रत कथा
प्राचीन काल की बात है द्वापर युग के दौरान पाण्डवों के बड़े भाई धर्मराज युधिष्ठिर को फाल्गुन एकादशी के महत्व को जानने की इच्छा हुई उन्होंने अपने प्रश्न को भगवान श्री कृष्ण ने बताया कि सर्वप्रथम नारद मुनि ने ब्रह्ममा जी से फाल्गुन मास के कृष्ण एकादशी के व्रत व उसके महत्व को जाना था तत्पश्चात इसके बारे में जानने वाले आप (युधिष्ठिर) है, भगवान श्याम ने युधिष्ठिर जी को बताया कि त्रेता युग की बात है माता सीता के हरण के बाद जब श्रीराम रावण से युद्ध करने के लिए सुग्रीव के सेना को लेकर लंका के तरफ प्रस्थान किये तो लंका से पूर्व ही एक विशाल समुद्र ने उनका मार्ग अवरुद्ध कर दिया, समुद्र में खतरनाक जीव थें जिससे वानर सेना को क्षति पहुँच सकती थी, भगवान श्री राम उस समय मनुष्य रुप में थे इसलिए वो उस गुत्थी को उसी रुप में सुलझाना चाहते थे, भगवान राम ने अपने छोटे भ्राता लक्ष्मण से समुद्र पार करने का उपाय पूछा तो उनके भ्राता लक्ष्मण ने कहा कि आप तो सर्वज्ञ (सब कुछ जानने वाला) है फिर भी आप मुझसे जानना चाहते है तो भी कोई उपाय बताने मे असमर्थ हूं लेकिन यहाँ से कुछ दूरी पर वकदालभ्य मुनि निवास करते है, उनसे हमें कुछ उपाय अवश्य मिल सकता है, लक्ष्मण की राय जानने के बाद भगवान श्री मुनि वकदालभ्य के पास पहुँच गए। उनको प्रणाम करने के पश्चात भगवान श्री राम ने अपनी समस्या उनके समक्ष रखी तब मुनि ने बताया कि फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को व्रत व उपवास करने से आप अपने समस्त सेना के साथ समुद्र पार करने मे कामयाब रहेंगे और साथ ही और उपवास के प्रताप से लंका पर विजय भी प्राप्त करेंगे मुनि के सलाहनुसार राम जी ने पूरी सेना सहित एकादशी का उपवास रखा और रामसेतु बनाकर समुद्र को पार करके रावण को पराजित किया।
विजय एकादशी का महत्व
सभी एकादशी का अपना अलग-अलग महत्व है लेकिन विजया एकादशी अपने नाम के अनुसार ही विजय दिलाने के लिए अहम मानी जाती है, विजया एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा आराधना होती है, इस एकादशी का व्रत और उपवास करने से मनुष्य कठिन से कठिन परिस्थितियों से छुटकारा पा सकता है और अपने शत्रुओं को भी आसानी से परास्त कर सकते है।
विजया एकादशी व्रत विधि
☸ विजया एकादशी के दिन प्रातः काल उठ जाए और स्नान करने के पश्चात भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का पूजन करें।
☸ पूजन सामग्री मे फल-फूल, गंगाजल, धूप, दीप और प्रसाद आदि का प्रयोग करें।
☸ अगर सम्भव हो तो इस व्रत को निराहार करें अगर सम्भव नही हो तो एक समय फलाहार का सेवन कर सकते है।
☸ फलों के रस का सेवन इस व्रत में किया जा सकता है।
☸ विजया एकादशी के दिन भगवान विष्णु की विधि-विधान पूजा करने के पश्चात अगले दिन अर्थात द्वादशी तिथि पर पुनः विष्णु जी का पूजन करें तथा ब्राह्मणों को भोजन कराकर दान-दक्षिणा दें और अपना व्रत खोल लें।
विजया एकादशी पूजन विधि
☸ पूजा के लिए वेदी बनाकर उस पर सात प्रकार के धान रखें।
☸ तत्पश्चात वेदी पर जल से भरा कलश स्थापित करें और उसके ऊपर आम या अशोक के पाँच पत्ते जो आपस में जुड़े हो रखे।
☸ उसके बाद भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें।
☸ भगवान श्री हरि को पीले फूल, ऋतुफल, तुलसी आदि वस्तुएं अर्पित करें और धूप-दीप से उनका आरती करें।
☸ एकादशी के दिन घी का अखण्ड दीपक जलाएं तथा एकादशी व्रत की कथा भी करें।
विजया एकादशी 2023 शुभ तिथि एवं मुहूर्त
2023 में विजया एकादशी 16 फरवरी को पड़ रहा है, एकादशी तिथि का प्रारम्भ 16 फरवरी 2023 को प्रातः काल 05ः32 से आरम्भ होगा तथा एकादशी तिथि का समापन 17 फरवरी 2023 को प्रातः काल 02 बजकर 49 मिनट पर होगा।