वृश्चिक लग्न के प्रत्येक भाव मे केतु का प्रभाव

प्रथम भाव

वृश्चिक लग्न मे यदि केतु प्रथम भाव मे हो तो ऐसे में जातक को सिर मे चोट लग सकती है और साथ ही माइग्रेन जैसे बीमारी से भी जातक ग्रसित हो सकता है। पांचवी दृष्टि से केतु गुरु की मीन राशि को देखेगा जिससे जातक का पढ़ाई मे मन लगेगा और वह चाहेगा कि और पढ़ाई करे जिसका सीधा अर्थ यह है कि वह असंतुष्ट रहेगा और ऐसा भी हो सकता है कि उसकी शिक्षा मे कुछ रुकावटें आए। केतु जब भी पंचम भाव मे दृष्टि डालता है या बैठता है तो जातक को मानसिक परेशानियों से ग्रसित करता है। केतु की सप्तम दृष्टि मित्र शुक्र की वृषभ राशि पर पड़ रही है जिससे जातक के वैवाहिक जीवन मे उतार-चढ़ाव लगा रहेगा। केतु की नवम दृष्टि शत्रु चन्द्रमा की कर्क राशि पर पडेगी जिससे जातक को कुछ मानसिक तनाव अपने पिता के तरफ से आ सकते है। पिता से दूरी का सामना जातक को करना पड़ सकता है। भाग्य का जातक को कम मिलेगा और भाग्य मे रुकावटों का भी सामना करना पड़ेगा।

द्वितीय भाव

वृश्चिक लग्न मे यदि केतु द्वितीय धन और कुटुम्ब स्थान पर गुरु की धनु राशि में बैठा हो तो ऐसे मे जातक परिवार से दूर रहेगा। परिवार के सदस्यो से मनमुटाव लगा रहेगा और पारिवारिक माहौल हमेशा ही अशांत बना रहेगा। केतु की पंचम दृष्टि मंगल की मेष राशि पर पडेगी जिससे जातक के रोग, ऋण और शत्रु खत्म होंगे। सप्तम दृष्टि से केतु बुध की मिथुन राशि को देखेगा जिससे जातक की आयु मे कमी आ सकती है और साथ ही जातक को पैतृक सम्पत्ति का सुख भी नही मिलेगा। नवम दृष्टि से केतु शत्रु सूर्य की मंगल राशि को देखेगा जिससे जातक को कार्य मे अस्थिरता का सामना करना पड़ेगा। जातक का मन एक काम मे नही लगेगा और वह बार-बार नौकरी की तलाश में स्थान परिवर्तन करेगा।

तृतीय भाव

वृश्चिक लग्न मे यदि केतु तृतीय पराक्रम भाव मे बैठा हो तो ऐसे मे जातक के आत्मविश्वास मे कमी आती है और साथ ही जातक के रिश्ते अपने छोटे भाई बहनो से भी अच्छे नहीं होंगे या ऐसा होने की भी उम्मीद हैे की जातक के छोटे भाई-बहन ना हो। जातक बहुत ही मेहनती भी होगा। केतु की पंचम दृष्टि शुक्र की वृषभ राशि पर पड़ेगी जिससे जातक के विवाह मे बाधाएँ उत्पन्न होगी और साथ ही वैवाहिक जीवन मे भी हमेशा असंतुष्टि का भाव लगा रहेगा। साझेदारी मे काम करने से जातक को बचना चाहिए अन्यथा नुकसान भी हो सकता है। केतु की सप्तम दृष्टि शत्रु चन्द्र की कर्क पर पड़ेगी जिससे जातक को भाग्योदय मे मुसीबतो का सामना करना पड़ेगा। पिता के साथ वैचारिक मतभेद जातक के लगे रहेंगे। नवम दृष्टि से केतु मित्र बुध की कन्या राशि को देखेगा जिससे जातक की आय मे रुकावटें उत्पन्न हो सकती है और जातक को उसके लिए संघर्ष करना पड़ेगा।

चतुर्थ भाव

वृश्चिक लग्न मे यदि केतु चतुर्थ माता, भूमि, वाहन, मकान और सुख स्थान पर मित्र शनि की कुंभ राशि मे बैठा हो तो ऐसे मे जातक को माता का सुख ना मिलने की उम्मीद है। साथ ही जातक को अपना मकान बनाने मे भी बहुत दिक्कतों का सामना करना पडेगा। जातक को हमेशा ही सुख मे कुछ कमी महसूसू होगी। केतु की पंचम दृष्टि बुध की मिथुन राशि पर पड़ेगी जिससे जातक के आयु मे कमी आएगी। पैतृक सम्पत्ति का सुख जातक को मिलने की उम्मीद बहुत कम है। सप्तम दृष्टि से केतु शत्रु सूर्य की सिंह राशि को देखेगा जिससे जातक को कार्यक्षेत्र मे अस्थिरता का सामना करना पड़ेगा और तरक्की मे मार्ग मे भी रुकावटे आएगी। केतु की नवम दृष्टि शुक्र की तुला राशि पर पड़ेगी जिससे जातक तीर्थ स्थलों पर यात्राएं कर सकता है। इसके अलावा विदेशो से अच्छा लाभ जातक को मिल सकता है।

पंचम भाव

वृश्चिक लग्न मे यदि केतु पंचम शिक्षा, मस्तिष्क, संतान और प्रेम प्रसंग के स्थान पर गुरु की धनु राशि मे बैठाा हो तो ऐसे मे जातक की शिक्षा मे बाधाएं उत्पन्न होगी और ऐसा भी संभव है की जातक अपनी शिक्षा बीच मे ही छोड़ दे। संतान प्राप्ति मे जातक को मुसीबतो का सामना करना पडेगा और जातक की पत्नी को गर्भहानि भी हो सकती है। प्रेम प्रसंग के मामलो मे जातक को सफलता नही मिलेगी और साथ ही कुछ ना कुछ मानसिक परेशानियाँ लगी ही रहेगी। बेमतलब की चिंताओ से बचना चाहिए। केतु की पंचम दृष्टि शत्रु चंद्र की कर्क राशि पर पडेगी जिससे भाग्य की तरफ से जातक को सहयोग नही मिलेगा। पिता से कुछ असंतुष्टता का भाव लगा रहेगा। सप्तम दृष्टि से केतु बुध की कन्या राशि को देखेगा जिसकी वजह से जातक अपनी आय से संतुष्ट नही होगा और हमेशा ही उसे बढ़ाने की कोशिश करेगा जिसमे उसे दिक्कतें आएगी। केतु की नवम दृष्टि लग्न पर पडेगी जिससे जातक को माइग्रेन की समस्या उत्पन्न हो सकती है या हमेशा सिरदर्द की शिकायत लगी रहेगी।

छठा भाव

वृश्चिक लग्न मे यदि छठे भाव मे हो तो ऐसे मे वह जातक के रोग, ऋण और शत्रुओ को खत्म करेगा। पंचम दृष्टि से शत्रु सूर्य की सिंह राशि को देखेगा जिससे की जातक को कार्यक्षेत्र मे नुकसान उठाना पड़ सकता है। जातक कभी भी किसी एक नौकरी से खुश नही रहेगा और बार-बार नौकरी परिवर्तन करता रहेगा जिससे करियर मे अस्थिरता बनी रहेगी। केतु की सप्तम दृष्टि शुक्र की तुला राशि पर पडेगी जिससे जातक को विदेशो से लाभ होगा और विदेश जाकर जातक अच्छा काम कर सकता है और उसकी तरक्की होगी। नवम दृष्टि से केतु द्वितीय धन एवं कुटुंब स्थान को देखेगा जिससे जातक को धन संचय करने मे दिक्कतो का सामना करना पडेगा और पारिवारिक माहौल भी अशांत रहेगा।

सप्तम भाव

वृश्चिक लग्न मे यदि केतु सप्तम विवाह स्थान पर मित्र शुक्र की वृषभ राशि मे बैठा हो तो जातक के विवाह मे बाधाएं उत्पन्न होगी और यदि विवाह हो भी जाए तो वैवाहिक जीवन मे निरंतर संघर्ष लगा रहता है। वृषभ राशि मे केतु नीच का भी हो जाता है तो ऐसे मे तलाक के योग का निर्माण भी करता है। साझेदारी मे काम करने से जातक को नुकसान हो सकता है इसलिए परामर्श लेकर ही काम करें। केतु की पंचम दृष्टि बुध की कन्या राशि पर पडेगी जिससे जातक अपनी आय से हमेशा असंतुष्ट रहेगा। आय के वृद्धि के मार्ग मे भी जातक को दिक्कतो का सामना करना पडेगा। सप्तम दृष्टि से केतु लग्न को देखेगा तो ऐसे मे जातक की पर्सनैलिटी आकर्षक नही होगी और साथ ही जातक को शरीर मे अक्सर चोट लगती रहेगी। केतु वृश्चिक राशि मे उच्च का माना जाता है तो ऐसे मे उच्च दृष्टि के कारण जातक अपने आपसे भी असंतुष्ट ही रहेगा और माइग्रेन जैसी बिमारी से वह ग्रसित भी हो सकता है। केतु की नवम दृष्टि मित्र शनि की मकर राशि पर पडेगी जिससे जातक के आत्मविश्वास और पराक्रम मे कमी आएगी। जातक के रिश्ते अपने भाई-बहन से अच्छे नही होंगे और उनकी तरफ से उन्हें कोई भी सहयोग नही मिलेगा।

अष्टम भाव

वृश्चिक लग्न मे यदि केतु अष्टम आयु और पैतृक सम्पत्ति के स्थान पर बुध की मिथुन राशि में बैठा हो तो ऐसे मे जातक की आयु मे कमी आएगी और पैतृक सम्पत्ति का सुख जातक को नही मिलेगा। पंचम दृष्टि से केतु मित्र शुक्र की तुला राशि को देखेगा जिससे जातक को विदेशो से लाभ होगा। तीर्थस्थलों केे दर्शन जातक आजीवन करता रहेगा। जातक को यात्राओ से लाभ होगा। केतु की सप्तम दृष्टि गुरु की धनु राशि पर पडेगी जिससे जातक के रिश्ते अपने परिवार वालो से अच्छे नही होंगे और ऐसा भी हो सकता है कि जातक को अपने घरवालो से दूर भी रहना पड़े। धन संचय मे जातक को परेशानी होगी। केतु की नवम दृष्टि मित्र शनि की कुंभ राशि पर पडेगी जिससे जातक को भूमि, वाहन और मकान बनाने मे दिक्कतो का सामना करना पड़ेगा।

नवम भाव

वृश्चिक लग्न मे यदि केतु नवम पिता और भाग्य स्थान पर शत्रु चन्द्रमा की कर्क राशि मे बैठा हो तो ऐसे मे जातक के रिश्ते अपने पिता से मधुर नही होंगे और साथ ही साथ जातक का भाग्य भी उसका साथ कम देगा। केतु की पंचम दृष्टि मंगल की वृश्चिक राशि पर पडेगी जिससे जातक अपने आपसे हमेशा ही असंतुष्ट रहेगा और जातक के शरीर मे अक्सर चोट लगती रहेगी। केतु की सप्तम दृष्टि मित्र शनि की मकर राशि पर पडेगी जिससे जातक का आत्मविश्वास कम होगा और साथ ही साथ जातक के रिश्ते अपने छोटे भाई-बहनो से मधुर नही होंगे। केतु की नवम दृष्टि गुरु की मीन राशि पर पडेगी जिससे जातक की शिक्षा मे रुकावटे पैदा होगी। जातक को संतान प्राप्ति मे भी विलम्ब का सामना करना पडेगा।

दशम भाव

वृश्चिक लग्न मे यदि केतु शत्रु सूर्य की सिंह राशि मे बैठा हो तो ऐसे मे जातक को कार्यक्षेत्र मे अस्थिरता का सामना करना पडेगा और साथ ही जातक को बार-बार करियर मे असफलता का सामना करना पडेगा। केतु की पंचम दृष्टि गुरु की धनु राशि पर पडेगी जिससे जातक को धन संचय मे परेशानियों का सामना करना पड़ेगा और साथ ही परिवार में मनमुटाव लगा रहेगा। परिवार से जातक दूर भी हो सकता है। केतु की सप्तम दृष्टि शनि की कुंभ राशि पर पडेगी जिससे जातक के रिश्ते अपनी माता से अच्छे नही रहेंगे और माता का सुख जातक को कम मिलेगा। भूमि, वाहन और मकान बनाने मे जातक को दिक्कतो का सामना करना पडेगा। सुख की हमेशा कमी लगी रहेगी। केतु की पंचम दृष्टि मंगल की मेष राशि पर पडेगी। जिससे जातक के रोग, ऋण और शत्रु खत्म होंगे।

एकादश भाव

वृश्चिक लग्न मे यदि केतु एकादश लाभ स्थान पर मित्र बुध की कन्या राशि पर हो तो ऐसे मे जातक अपनी आय से संतुष्ट नही रहेगा और उसे बढ़ाने का प्रयास करेगा जिससे उसे दिक्कतो का सामना करना पडेगा। केतु की पंचम दृष्टि शनि की मकर राशि पर पडेगी जिससे जातक के पराक्रम और आत्म विश्वास की कमी आएगी। छोटे भाई-बहनो से मतभेद लगा रहेगा। केतु की सप्तम दृष्टि गुरु की मीन राशि पर पडेगी जिससे जातक को पढाई मे मार्ग मे बाधाएँ उत्पन्न होगी या ऐसा भी हो सकता है कि जातक की शिक्षा अधूरी रह जाए। केतु की नवम दृष्टि मित्र शुक्र की वृषभ राशि को देखेगा जिससे जातक अपने वैवाहिक जीवन से असंतुष्ट रहेगा। साझेदारी मे काम करने से जातक को बचना चाहिए अन्यथा नुकसान हो सकता है।

द्वादश भाव

वृश्चिक लग्न मे यदि केतु द्वादश खर्च और विदेश स्थान पर मित्र शुक्र की तुला राशि मे बैठा हो तो ऐसे मे जातक को विदेशो और आनलाइन माध्यमो से लाभ होगा। यात्राओं से जातक को फायदा हो सकता है। केतु की पंचम दृष्टि मित्र शनि की कुंभ राशि पर पडेगी जिससे जातक को भूमि, वाहन और मकान का सुख नही मिल पाएगा या बहुत दिक्कतों के बाद नसीब होगा। माता से जातक के सम्बन्ध अच्छे नही होंगे।सप्तम दृष्टि से केतु मंगल की मेष राशि को देखेगा जिससे जातक के रोग, ऋण और शत्रु खत्म होंगे। केतु की नवम दृष्टि मित्र बुध की मिथुन राशि पर पडेगी जिससे जातक की आयु कम होगी और साथ ही साथ पैतृक सम्पत्ति का सुख नही मिलेगा। जातक के बाएं पैर मे चोट लगने की संभावना भी है।

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