हमारे सनातन धर्म के पंचाग के अनुसार सूर्य जब अपना राशि परिवर्तन करते है तो सूर्य के इस गोचर को संक्रान्ति के नाम से जानते है। इस माह सूर्य तुला राशि से निकलकर वृश्चिक राशि में प्रवेश करेंगे तो वृश्चिक सक्रांति कहलायेगी। सूर्य को यह गोचर सभी राशियों को प्रभावित करता है लेकिन वृश्चिक राशि पर एक अलग प्रभाव पड़ता है इस राशि के जातकों के लिए सूर्य का गोचर कई मामलों में शुभ माना जाता है तो कभी-कभी इसके कुछ नकारात्मक परिणाम भी देखने को मिलते है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस परिवर्तन से वृश्चिक राशि के जातकों को उनके कार्य-व्यवसाय में लाभ प्राप्त होता है।
वृश्चिक संक्रान्ति का महत्वः-
वृश्चिक संक्रान्ति के दिन को शास्त्रों में बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि यह दिन आयकर के कर्मचारियों , शिक्षा से जुड़े जातकों के लिए बेहद शुभ माना जाता है। इस संक्रान्ति के दिन विशेष प्रकार का पूजा और उपाय से धन से जुड़ी बहुत सारी समस्याओं का हल किया जा सकता है।
वृश्चिक संक्रान्ति के दिन दान पुण्य का फलः-
इस दिन दान पुण्य, पूजा-आराधना एवं धार्मिक कार्यों तथा पितरों के तर्पण का विशेष महत्व दिया जाता है। इसलिए वृश्चिक संक्रान्ति के दिन खाने-पीने की वस्तुएं और कपड़े दान करने का विशेष महत्व होता है। इस संक्रान्ति के दिन संक्रमण विष्णु और दान का खास महत्व है, वृश्चिक संक्रान्ति के दिन 16 घड़ियां को बहुत शुभ माना जाता है। इस समय दान करने से पुण्य फल की प्राप्ति की जा सकती है। यह दान संक्रान्ति काल में करना बेहद शुभ माना जाता है मान्यताओं के अनुसार वृश्चिक संक्रान्ति में ब्रह्माण को गाय दान करने का विशेष महत्व माना जाता है।
क्यों मनाई जाती है वृश्चिक संक्रान्तिः-
यह संक्रान्ति हमारे धर्म में पवित्र दिनों एवं पर्वों मे से एक माना जाता है। ज्योतिष शास्त्र में मौजूद 12 राशियों में सूर्य के गोचर को संक्रान्ति कहा जाता है। हिन्दू पंचाग के अनुसार वर्ष भर में कुल 12 संक्रान्ति होती है जब सूर्य मकर राशि से प्रवेश करते है तो उस दिन मकर संक्रान्ति होती है वैसे ही जब सूर्य वृश्चिक राशि में गोचर करते है तब वृश्चिक संक्रान्ति मनाई जाती है।
वृश्चिक संक्रान्ति पूजा विधिः-
☸ इस दिन सूर्योदय से पूर्व स्नान किया जाता है।
☸ स्नान करने के बाद सूर्य देव की पूजा की जाती है।
☸ तांबे के लोटे में पानी डालकर उसमें लाल चंदन मिलाकर सूर्य को जल अर्पित किया जाता है।
☸ इसके साथ रोली, हल्दी और कुमकुम एवं मिश्रित फल से सूर्य को अर्ग दिया जाता है।
☸ इस दिन सूर्य को गुग्गल की धूप की जाती है।
☸ इस दिन गुड़ से बने हलवे का भोग लगाया जाता है।
☸ इस दिन लाल चंदन की माला से ओम दिनकराय नमः मंत्र का जाप किया जाता है।
वृश्चिक संक्रान्ति के दिन सूर्य का फलः-
वृश्चिक संक्रान्ति के दिन सूर्य का गोचर कई राशियों के लिए शुभ माना जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस परिवर्तन से वृश्चिक राशि के जातकों को व्यापार और नौकरी में लाभ प्राप्त हो सकता है। इस दिन रुके हुए कार्य कर सकते है और साथ ही मान-सम्मान में वृद्धि होती है सूर्य का यह गोचर विशेष रुप से लाभकारी होता है। इस दिन वृश्चिक राशि के जातकों के आत्मविश्वास में वृद्धि होती है। इस दिन किसी भी तरह का (घमण्ड़) अहंकार नही करना चाहिए तथा वाणी में मधुरता रखना चाहिए।
वृश्चिक संक्रान्ति के दिन भाग्योदय के उपायः-
☸ वृश्चिक संक्रान्ति के दिन भाग्य उदय के लिए भगवान शिव की उपासना की जाती है।
☸ इस दिन ओम सोम सोमाय नमः मंत्र का जाप करने से धन सम्पत्ति में वृद्धि होती है।
☸ इस दिन जातकों को भाग्योदय के लिए मोती, सोना, चांदी, वंश पात्र, चावल, मिश्री, सफेद कपड़ा, शंख, कपूर, सफेद गाय, दूध, दही, चंदन, निर्मल जल, सफेद सीपी, सफेद मोती, एक जोड़ा जनेऊ, दक्षिणा के साथ दान करना चाहिए।
☸ भाग्य उदय तेज करने के लिए चांदी के गिलास में जल पीना चाहिए।
☸ कनिष्ठा या छोटी उंगली में मोती रत्न धारण करने से भाग्य उदय करने में सहायक होता है।
वृश्चिक संक्रान्ति पुण्य काल
वृश्चिक संक्रान्ति शुक्रवार, नवम्बर 17, 2023 को
वृश्चिक संक्रान्ति पुण्य काल – 06;45 से 12;06
अवधि – 05 घण्टे 21 मिनट
वृश्चिक संक्रान्ति महा पुण्य काल – 06;45 से 08;32
अवधि – 01 घण्टा 47 मिनट