शरीर के 7 चक्रों से संबंधित 7 चक्र रत्न माला
7 चक्र रत्न माला एक शक्तिशाली साधना उपकरण है, जिसे शरीर के सात प्रमुख चक्रों को संतुलित और सक्रिय करने के लिए उपयोग किया जाता है। ये चक्र शरीर में स्थित ऊर्जा के प्रमुख केंद्र होते हैं और इन चक्रों का संतुलन और सक्रियता मानसिक, शारीरिक और आत्मिक स्वास्थ्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। ज्योतिषाचार्य के. एम. सिन्हा जी के अनुसार, 7 चक्र रत्न माला में प्रत्येक चक्र से संबंधित एक विशेष रत्न का चयन किया जाता है, जो उस चक्र की ऊर्जा को संतुलित करता है और व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाता है।
1. मूलाधार चक्र: यह चक्र शरीर के आधार पर स्थित होता है यह हमारे अस्तित्व, सुरक्षा और स्थिरता से जुड़ा होता है। इसके लिए गोमेद या रूबी रत्न का उपयोग किया जाता है। यह रत्न मूलाधार चक्र को सक्रिय करता है और व्यक्ति को मानसिक शांति, आत्मविश्वास और स्थिरता प्रदान करता है।
2. स्वाधिष्ठान चक्रः यह चक्र नाभि के नीचे स्थित होता है और रचनात्मकता, कामुकता और भावनाओं से जुड़ा होता है। इस चक्र के लिए कार्नेलियन रत्न सर्वाेत्तम माना जाता है। यह रत्न व्यक्ति की भावनाओं को संतुलित करता है और रचनात्मकता को बढ़ाता है।
3. मणिपुर चक्रः यह चक्र नाभि के पास स्थित होता है और यह शक्ति, आत्मविश्वास और मनोबल से जुड़ा होता है। इस चक्र को सक्रिय करने के लिए पुखराज रत्न का उपयोग किया जाता है। यह रत्न व्यक्ति की आंतरिक शक्ति को जगाता है और आत्मविश्वास को बढ़ाता है।
4. अनाहत चक्रः यह चक्र हृदय क्षेत्र में स्थित होता है और प्रेम, करुणा और संबंधों से जुड़ा होता है। इसके लिए पन्ना रत्न का उपयोग किया जाता है। यह रत्न व्यक्ति को सच्चे प्रेम और करुणा की भावना से जोड़ता है और हृदय को शांति प्रदान करता है।
5. विशुद्ध चक्रः यह चक्र गले के क्षेत्र में स्थित होता है और संचार और आत्म-अभिव्यक्ति से जुड़ा होता है। इस चक्र के लिए नीलम रत्न का चयन किया जाता है। यह रत्न व्यक्ति की वाणी को स्पष्ट और सशक्त बनाता है और उसे आत्म-प्रकाशन में मदद करता है।
6. आज्ञा चक्रः यह चक्र भृकुटी (माथे के बीच) पर स्थित होता है और यह मानसिक स्पष्टता, अंतर्दृष्टि और ज्ञान से जुड़ा होता है। इस चक्र को सक्रिय करने के लिए लॉपिस लाजुली रत्न का उपयोग किया जाता है। यह रत्न मानसिक शक्ति और स्पष्टता को बढ़ाता है और आत्मज्ञान में वृद्धि करता है।
7. सहस्रार चक्रः यह चक्र सिर के ऊपर स्थित होता है और आत्मा और ब्रह्मा से जुड़ा होता है। इस चक्र के लिए हीरा या क्वार्ट्ज रत्न का उपयोग किया जाता है। यह रत्न व्यक्ति को उच्च आत्मज्ञान, आध्यात्मिक उन्नति और ब्रह्म से जोड़ने में मदद करता है।
सातों चक्रों के रत्नों का चयन करने से शरीर और मन के ऊर्जा संतुलन में सुधार होता है। इन सभी रत्नों की माला का उपयोग करने से व्यक्ति को मानसिक शांति, आत्मविश्वास और शारीरिक स्वस्थता मिलती है। ज्योतिषाचार्य के. एम. सिन्हा जी के अनुसार, यदि इन रत्नों का सही समय पर और उचित तरीके से उपयोग किया जाए तो यह माला जीवन में समृद्धि, सफलता और मानसिक शांति का मार्ग प्रशस्त करती है। 7 चक्र रत्न माला के नियमित उपयोग से व्यक्ति अपने जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का अनुभव कर सकता है और जीवन के विभिन्न पहलुओं में सफलता प्राप्त कर सकता है।
सात चक्र माला धारण करने के लाभः

सात चक्र माला शरीर के सात चक्रों को सक्रिय करने का कार्य करती है, जिससे जीवन में संतुलन और समृद्धि आती है। यह माला शारीरिक, मानसिक और आत्मिक संतुलन को बनाए रखने में मदद करती है, जिससे व्यक्ति को शांति और मानसिक स्थिरता प्राप्त होती है।
सात चक्र माला का उपयोग विशेष रूप से मानसिक विकारों जैसे चिंता, भय, तनाव और अन्य मानसिक समस्याओं से राहत पाने के लिए किया जाता है। इसका प्रभाव व्यक्ति के मानसिक स्थिति को सुधारता है, जिससे आलस्यता और नकारात्मकता दूर होती है।
इस माला का नियमित उपयोग कुण्डलिनी जाग्रति के योग में भी सहायक होता है, जिससे व्यक्ति का ऊर्जा स्तर बढ़ता है। यह माला पहनने से व्यक्ति में सकारात्मकता आती है और वह जीवन की कठिनाइयों का सामना करने के लिए मानसिक रूप से तैयार रहता है।
सात चक्र माला धारण करने से शरीर के सभी सात चक्र जागृत हो जाते हैं, जिससे तन और मन दोनों स्वस्थ रहते हैं। यह माला मानसिक स्पष्टता, शारीरिक स्फूर्ति और आत्मिक शांति को बढ़ाती है।
इसके अलावा, यह माला व्यक्ति की संचार क्षमता, रचनात्मकता और इच्छाशक्ति को बढ़ाती है। सात चक्र माला सात विभिन्न रत्नों से बनी होती है, जो 7 से 8 मिमी आकार के होते हैं। ये रत्न शरीर के विभिन्न चक्रों को ऊर्जा प्रदान करते हैं, जिससे व्यक्ति अधिक शक्तिशाली और ऊर्जावान होते हैं।
रंगीन रत्नों से निकलने वाली आभा व्यक्ति के जीवन पर सकारात्मक प्रभाव डालती है। वेदों के अनुसार, इन रत्नों की आभा हमारे शरीर में स्थित चक्रों को प्रभावित करती है और इन चक्रों में उत्पन्न होने वाला सकारात्मक प्रभाव व्यक्ति को स्वस्थ और ऊर्जावान बनाता है।
ऊर्जावान सात चक्र माला धारण करने से व्यक्ति के सातों चक्रों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है, और वह जीवन में सफलता, शांति और मानसिक शांति प्राप्त करता है।
सात चक्र रत्न माला को कैसे धारण करें?
माला को पहनने से पहले उसे शुद्ध पानी से धोकर पवित्र करें ताकि उसमें किसी भी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा न हो।
माला को दाहिने हाथ में लेकर धीरे-धीरे उसे गले में पहनें। दाहिना हाथ शुभ और ऊर्जा के प्रवाह के लिए महत्वपूर्ण होता है।
माला पहनते समय मन को शांत और सकारात्मक रखें। गहरी सांस लें और अपने विचारों को शांत से नियंत्रित करें।
माला पहनने से पहले अपनी मानसिक स्थिति को सकारात्मक और शांतिपूर्ण बनाए रखें। यह चक्रों की सक्रियता में मदद करता है।
माला पहनने के बाद ध्यान या प्राणायाम करें। इससे आपको माला के माध्यम से ऊर्जा का प्रवाह महसूस होगा और चक्रों के सक्रिय होने में मदद मिलेगी।
5-10 मिनट तक ध्यान करें और अपने शरीर के सात चक्रों पर ध्यान केंद्रित करें। यह चक्रों को सक्रिय करने में सहायक होगा।
आप इसे दिन की शुरुआत में या रात को सोने से पहले पहन सकते हैं, ताकि इसका प्रभाव पूरे दिन या रात में बना रहे।
माला को अपनी रोजाना दिनचर्या का हिस्सा बनाएं ताकि इसका प्रभाव निरंतर बना रहे और आपके सात चक्र संतुलित रहें।
माला को अधिक ऊर्जा से भरने के लिए आप पूजा विधि का पालन कर सकते हैं। इसे पूजा स्थल पर दीपक के पास रखें और भगवान का ध्यान करें।
किसी भी देवता के मंत्र जैसे ॐ नमः शिवाय या ¬ श्री गणेशाय नमः का जाप करते हुए माला का ध्यान करें।
इस विधि से धारण करने से जातक को इस माला का पूर्ण लाभ मिलता है तथा सदैव सकारात्मक ऊर्जा मिलती रहती है।
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7 चक्र माला पहनने से स्वास्थ्य को होने वाले लाभः
सात चक्र माला शरीर के सातों चक्रों का संतुलन बनाए रखने में मदद करती है, जिससे शरीर और मन दोनों निरोगी और स्वस्थ रहते हैं। प्रत्येक चक्र के लिए विशेष रंग और रत्न होते हैं, जो शरीर की ऊर्जा को सकारात्मक रूप से प्रभावित करते हैं।
बैंगनी (क्राउन चक्र)– यह चक्र धर्म और आध्यात्मिक जागरण से संबंधित है। बैंगनी रत्न मानसिक शांति और दिव्य ऊर्जा को आकर्षित करता है, जिससे व्यक्ति का मानसिक स्वास्थ्य बेहतर होता है।
नीला (थ्रोट चक्र)– यह चक्र हमारी अभिव्यक्ति और संचार से जुड़ा है। नीला रत्न आवाज़ की स्पष्टता और आत्मविश्वास में वृद्धि करता है, जिससे मानसिक संतुलन बना रहता है।
हरा (हार्ट चक्र)– हरा रंग प्रेम और सहानुभूति का प्रतीक है। यह चक्र दिल से जुड़ा होता है और शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है, जिससे भावनात्मक स्वास्थ्य में सुधार होता है।
पीला (सोलर प्लेक्सस चक्र)– यह चक्र शारीरिक ऊर्जा का केंद्र होता है। पीला रत्न शरीर की ऊर्जा को सक्रिय करता है और आत्मबल को बढ़ाता है, जिससे शारीरिक स्वास्थ्य में लाभ होता है।
ऑरेंज (स्वाधिष्ठान चक्र)– यह चक्र क्रिएटिविटी और करियर को प्रभावित करता है। ऑरेंज रत्न मानसिक स्पष्टता और आत्म-संस्कार में मदद करता है, जिससे व्यक्ति के रचनात्मकता और पेशेवर सफलता में वृद्धि होती है।
लाल (रूट चक्र)– यह चक्र हमारे शरीर के जीवन केंद्र से जुड़ा होता है। लाल रत्न डर और असुरक्षा की भावना को नियंत्रित करता है, जिससे मानसिक और शारीरिक दोनों स्वास्थ्य में सुधार होता है।
क्वार्ट्ज (सभी चक्रों को संतुलित करता है)- यह रत्न सभी सात चक्रों को ऊर्जा से भरता है और व्यक्ति को सकारात्मकता और प्रसन्नता की भावना प्रदान करता है। क्वार्ट्ज माला शरीर की सभी ऊर्जा धाराओं को संतुलित करने में सहायक होती है।
विशेषः
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