शास्त्रों के अनुसार पति-पत्नी को एक ही थाली में क्यों नहीं खाना खाना चाहिए

आजकल के लोगों के द्वारा बदलती हुई इस जीवनशैली में चाहे वह अमीर हो या गरीब सभी लोगों के जीवन तथा खाने-पीने में बहुत से बदलाव देखने को मिल रहे हैं शायद इन्हीं हो रहे बदलावों के कारण ही पति-पत्नी दोनों एक ही थाली में खाना खाने लगे हैं परन्तु इस बदलते हुए जीवन और खाने-पीने के अलग जीवनशैली में क्या आप जानते हैं कि इसका प्रभाव भी आपके जीवन पर उल्टा पड़ सकता है तथा एक व्यक्ति के शादीशुदा जीवन को पूरी तरह से बर्बाद कर सकता है। वास्तु शास्त्र तथा धर्म शास्त्रों के अनुसार भी पति-पत्नी को एक ही थाली में खाना गलत माना गया है। ऐसा क्यों आइए इसे हम हमारे योग्य ज्योतिषाचार्य के. एम. सिन्हा जी के द्वारा समझते हैं।

शास्त्रों के अनुसार क्यों नही खाना चाहिए एक थाली में खाना

शास्त्रों के अनुसार पति-पत्नी को एक ही थाली में क्यों नहीं खाना खाना चाहिए 1

वैसे तो आजकल के जीवन में जितने भी लोग हैं वह सभी अपना एक आदर्श जीवन व्यतीत करना चाहते है। ऐसे में उनके भी अपने ऐसे बहुत से रिश्ते होते हैं जिनको लेकर वह अपनी सारी जिम्मेदारियों को निभाना चाहते हैं। अतः उसके लिए यह बहुत ही ज्यादा जरुरी होता है कि उन सभी के साथ एक व्यक्ति के संबंध मधुर हों ऐसे में यदि पति और पत्नी एक ही थाली में भोजन करते हैं तो ऐसा करने से पति का अपनी पत्नी के प्रति प्रेम परिवार के अन्य सदस्यों की तुलना में काफी ज्यादा बढ़ जाता है। ऐसे में आपके परिवार के अन्य सदस्य भी आपसे उतना ही प्रेम की अपेक्षा करने लगेंगे इससे घर में आये दिन कलह की स्थिति उत्पन्न होगी। इसी कारण से आपकी छोटी सी गलती आपके परिवार और आपके घर की खुशियों को पूरी तरह से बर्बाद कर सकती हैं इसी कारण से पति और पत्नी को कभी भी एक ही थाली में नही खाना चाहिए।

भीष्म पितामह नें पांडवों को बताया था पति-पत्नी के एक थाली में न खाने का रहस्य

ऐसा तो आपने अपने जीवन में अक्सर सुना होगा की पति और पत्नी को कभी भी एक थाली में भोजन नही करना चाहिए ऐसा क्यों कहा जाता है अक्सर लोग इसके बारे में नही जानते हैं तो आपको बता दें महाभारत काल के युद्ध के दौरान जब भीष्म पितामह पूरी तरह से छलनी होकर बाणों की शैय्या पर लेटे थे तब उसी समय पाँच पाण्डव भीष्म पितामह के बाद पहुँचे, वहाँ पहुँचने के बाद भीष्म पितामह ने पांडवों को ऐसी कई सारी ज्ञानपूर्ण बातें बताई साथ ही भोजन से जुड़े हुए ऐसे तमाम बातों को स्पष्ट किया कि किन परिस्थितियों में भोजन करना शुभ है और अशुभ, साथ ही एक ही थाली में पत्नी के साथ भोजन करना क्यों शुभ नही है।

इस बात को स्पष्ट रुप से समझते हुए भीष्म पितामह ने कहा कि यह बात तो सत्य है कि एक साथ भोजन करने से पति और पत्नी के बीच प्रेम में बढ़ोत्तरी होती है। उनका यह मानना था कि सभी व्यक्ति के अपने तमाम कर्तव्य होते है। अतः इन सभी कर्तव्यों को भली-भाँति समझकर उन कर्तव्यों का ईमानदारी से निर्वहन करना और साथ में परिवार को जोड़े रखना है तो ऐसी स्थिति में पति-पत्नी को एक साथ भोजन नही करना चाहिए। क्योंकि एक पति की नजर में अपने परिवार के सदस्यों की तुलना में पत्नी ही सबसे ज्यादा सर्वोपरि हो जाती है ऐसे में उस व्यक्ति की सोचने-समझने की क्षमता काफी कम हो जाती है जिसके कारण वह सही और गलत का फर्क नही कर पाता है। यदि पति अपने पत्नी के प्रेम में सबसे ज्यादा सर्वोपरि और महत्वपूर्ण बन जाए तो यह स्थिति कहीं न कहीं पारिवारिक कलह का कारण होती है। शायद इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए और अपने शादीशुदा दाम्पत्य जीवन को सुखी बनाने के लिए ही कभी भी एक थाली में पति और पत्नी को भोजन नही करना चाहिए।

पति और पत्नी को थाली में एक साथ न खाने के कुछ अन्य कारण

पति और पत्नी को एक ही थाली में एक साथ नही खाने के कुछ अन्य कारण भी बताये गये हैं जो निम्न है।

भगवान का दर्जा दिया जाता है

हिन्दू धर्म के अनुसार प्राचीन समय से लेकर अब तक पति को भगवान का दर्जा दिया जाता है। पुराने जमाने की सभी महिलाएं आज भी अपने पति को भगवान का दर्जा देकर उन्हें पूजती हैं। यह महिलाएं करवा चौथ, तीज तथा वट सावित्री के व्रत के दौरान भी अपने पति की लम्बी आयु के लिए उन्हें पूजती हैं। इसी कारण से पति-पत्नी को एक साथ थाली में नहीं खाना चाहिए क्योंकि पति को झूठा खिलाने का मतलब भगवान को झूठा खिलाने जैसा होता है जिसके कारण महिलाएं पाप का भागीदार होती है।

मन में नकारात्मक विचारों का आना

शास्त्रों के अनुसार यदि पति और पत्नी एक ही थाली में भोजन करते हैं तो उनके अन्दर मन में आये नकारात्मक विचारों का भी आदान-प्रदान हो जाता है परन्तु आजकल के लोग इसे पति-पत्नी के आपसी प्रेम में बढ़ोत्तरी को लेकर जोड़ते हैं जो कि शास्त्रों के अनुसार बिल्कुल ही गलत है।

संस्कृति को बचायें रखने के लिए न करें एक थाली में भोजन

प्राचीन समय के लोगों का अपनी संस्कृति का पूरी तरह से बचाये रखने में घर के बड़े-बुजुर्गों का काफी ज्यादा सहयोग होता था। अक्सर करके गाँव के सभी लोग अपनी संस्कृति को बचाये रखने के लिए पति-पत्नी एक साथ एक ही थाली में भोजन कभी नही करते थे, अतः जब घर के सभी सदस्य खा लेते थे उसके बाद ही सारी औरतें भोजन ग्रहण करती थी जिसके कारण उस समय के लोग अपनी संस्कृति को बचाने के साथ-साथ अपने परिवार में बहुत सुख और चैन से जीवन जीकर एक-दूसरे का साथ हमेशा देते थे।

पति-पत्नी को अकेले एक थाली में कभी भोजन नही करना चाहिए

भीष्म पितामह के कहेनुसार कभी भी पति-पत्नी को अकेले बैठकर भोजन नही करना चाहिए बल्कि घर के सभी सदस्यों को मिलकर एक साथ भोजन करना चाहिए ऐसा करने से परिवार के सदस्यों के बीच प्रेम में बढ़ोत्तरी होती है साथ ही परिवार के सभी सदस्यों में एक दूसरे के लिए प्यार और समर्पण की भावना पैदा होती है। इसके अलावा परिवार की तरक्की होने के साथ-साथ परिवार के सदस्यों का स्वास्थ्य भी हमेशा बेहतर रहता है।

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