शास्त्रों के अनुसार 108 बार ही मंत्रों का जाप क्यों करते हैं

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार हिन्दू धर्म में होने वाले धार्मिक और मांगलिक कार्यों में आपने यह कई बार देखा होगा कि पूजा-पाठ में मन्त्रों का जप करते समय 108 बार ही मंत्रों का जाप किया जाता है परन्तु ऐसा क्यों किया जाता है इस बात को आपने कभी सोचा है इसके अलावा मंत्र जाप करने के दौरान उन मालाओं में मौजूद सुमेरु यानी आखिरी मनके का प्रयोग कभी जप के लिए नही किया जाता है ऐसा क्यों होता है आपने कभी इसको जानने का प्रयास किया है और यदि नही किया तो आइए इसकी जानकारी योग्य ज्योतिषाचार्य के. एम. सिन्हा जी के द्वारा प्राप्त करते हैं।

ज्योतिषीय आधार पर 108 मनकों का रहस्य

ज्योतिष शास्त्र की बताई गई धारणाओं के अनुसार 8 ज्योतिष शास्त्र की मूलभूत ईकाई देखा जाए तो हमारे ब्रह्माण्ड में स्थित ग्रह और नक्षत्र ही हैं। अतः ज्योतिष शास्त्र के कुछ ज्ञाताओं के ब्रह्माण्ड में किये गये खण्डन के संबंधों में यह बताया गया है कि हमारे इस ब्रह्माण्ड को पूरे 12 भागों में विभाजित किया गया है यह 12 खण्ड हमारी राशि के नाम से जाने जाते हैं जो है मेष, वृषभ, कर्क, सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक, धनु, मकर, कुंभ, मीन अर्थात् शास्त्रों के अनुसार हमारी इन्हीं राशियों में पूरे 9 ग्रह विचरण करते हुए दिखाई देते हैं। इसके अलावा हमारे ब्रह्माण्ड में स्थित कुल 9 ग्रह है जो कि सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु तथा केतु है शास्त्रों के अनुसार जब हम इन्हीं 12 राशियों में 9 का गुणनफल करते हैं तो हमे शेष अंक 108 प्राप्त होता है।

इसके अलावा यदि हम नक्षत्रों की बात करें तो हमारे ब्रह्माण्ड में स्थित कुल 27 नक्षत्र मौजूद हैं मान्यता के अनुसार यह 27 नक्षत्र राजा दक्ष की 27 पुत्रियों को माना जाता है। यह वही 27 पुत्रियाँ हैं जिनका विवाह चन्द्रमा से हुआ था। अतः यही 27 नक्षत्र हमारे पूरे ब्रह्माण्ड में चार चरणों में गोचर करते हैं। जब कभी हम इन्हीं नक्षत्रों के चरण के साथ कोई गुणात्मक विश्लेषण करते हैं तो हमें कुल चरणों की संख्या 108 ही प्राप्त होती है। इसी कारण से पूजा-पाठ के समय जप मे प्रयोग किये जाने वाले मनके का एक. एक दाना हमारे सभी नक्षत्रों के एक-एक चरण का प्रतिनिधित्व करता रहता है। यही कारण है कि जप किये जाने वाले मनकों की माला में कुल 108 अंक ही होते हैं।

क्या है 108 वें मनके अर्थात (सुमेरु) का अर्थ

शास्त्रों के अनुसार जप की माला में स्थित 108 दाने न केवल हमारे ग्रह नक्षत्र अथवा राशि को प्रभावित करते हैं बल्कि यह 108 जैसे शुभ अंग हमारे शरीर में स्थित सभी नाड़ी का प्रतीक माने जाते हैं वास्तव में यही नाड़ियाँ हमारे शरीर के बेहतर संचालन हेतु उपयुक्त होते हैं। जप किये जाने वाले माला में 108 के अलावा एक अतिरिक्त मनके को सुमेरु कहा जाता है अर्थात् जप की माला या सुमेरु में ऊपर वाला अपेक्षा कृत एक बड़ा दाना होता है । यह सुमेरु माला के 108 अंक पूर्ति हो जाने के बाद 109 वाँ अंक पर निहित किया जाता है जो कि माला के अन्य दाने से थोड़ा अलग होता है। जब व्यक्ति इस माला का जप करते-करते अंतिम अंक यानि सुमेरु पर पहुँचता हैं और जहाँ से अपने अगले मंत्रों का आरम्भ करते हैं वहाँ पर उन्हें कुछ विशेष बातों को ध्यान में रखना चाहिए । जब मंत्रों का जाप समाप्त हो जाए तो अगले मंत्रों का आरम्भ करने के लिए 109 वें मनके को लांघना नही चाहिए बल्कि उस माला को ही पलटकर अपने द्वारा अगले मंत्रों का उच्चारण करना चाहिए। ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार जप की माला में उच्चारण करते समय सुमेरु को लाँघना शुभ नहीं माना जाता है इसलिए विशेष ध्यान देकर ही मंत्रों का जाप करें अन्यथा आपको मंत्र जाप के शुभ फलों की प्राप्ति नही होगी।

माला से मंत्रों का जाप कैसे करें

☸ जब कभी भी आप पूरी श्रद्धा से मंत्रों का उच्चारण 108 बार करते हैं तो विशेष रूप से कुछ बातों को ध्यान में रखकर जप करना अति आवश्यक होता है आइये यहाँ पर बतायें गयें नियमों के अनुसार मंत्रों को उच्चारित करने का सही तरीका जानते हैं।

☸ मंत्र जाप करते समय रुद्राक्ष या अन्य किसी रत्नों की माला को अपनी अनामिका उंगली और अंगूठे के सहारे से दबाकर मंत्रो का उच्चारण करते हुए अपनी मध्यमा उंगली के सहारे से एक.एक मंत्र बोलते हुए एक-एक दाने को अपने हथेली के अंदर की ओर खींचना चाहिए।

☸ माला से जप करने के दौरान ध्यान रहे कभी भी तर्जनी उंगली से उस माला को स्पर्श न होने दें, दरअसल तर्जनी उंगली का प्रयोग माला के जप के दौरान निषेध माना जाता है।

☸ जब कभी आप मंत्र का जाप करने के लिए जाएं तो सबसे पहले अपने आप को साफ.सुथरा करके स्वच्छ वस्त्र पहन लें और अपने आप को शारीरिक और मानसिक दोनों ही रूप से पवित्र करके ही मंत्र के जप की शुरुआत करें।

☸ अपने घर के पूजा वाले स्थान या फिर वह स्थान जहाँ आपको बैठकर जप करना है उस स्थान को साफ कर लें उसके बाद वहाँ पर अपने लिए एक सुविधाजनक आसन बिछाकर अच्छी तरह से बैठकर ही मंत्र के माला से अपने मंत्र जप की शुरुआत करें।

☸ मंत्र के जाप के लिए प्रायः पद्मासन, सुखासन, ध्यानात्मक आसन इत्यादि आसनों में जप की शुरुआत करना फलदायी माना जाता है।

☸ आज से कई वर्ष पहले बड़े-बड़े ऋषि मुनि इन्हीं आसन में मंत्रों का जाप करके सिद्धि की प्राप्ति किया करते थे।

☸ मंत्र का जप 108 बार करते हुए इस बात का अवश्य ध्यान रखना चाहिए कि आपके मन में किसी प्रकार का नकारात्मक विचार न आए इसके अलावा मंत्रों का जप करते हुए शांत मन से सरल मुद्रा में अपने मेरुदण्ड को सीधा रखकर ही बैठें।

☸ मंत्र का 108 बार जप करने के लिए अपने गर्दन, सिर, वक्ष इत्यादि को सीधा रखे रहें उसके बाद ही मन पवित्र करके जप शुरु करें।

☸ मंत्र का जप 108 बार पूरा कर लेने के पश्चात् माला के सुमेरु को अपने मस्तक से लगाकर माला को किसी गौमुखी में रखकर पूजन स्थल या फिर किसी पवित्र स्थान पर रख दें, इसके अलावा यदि किसी कारण वश आपके पास जप करने वाली माला न हो तो ऐसी स्थिति में मंत्र का जाप करने के लिए भावनात्मक रूप से अपने हाथों पर गणितीय विश्लेषण करके भी मंत्र का जाप कर सकते हैं।

मंत्र जप के लिए किन-किन मालाओं का प्रयोग करना होता है उत्तम

☸ शास्त्रों के अनुसार जब कभी भी हम इन मंत्रों का जप करते हैं तो उस जप के दौरान हम विभिन्न प्रकार के मालाओं का प्रयोग भी कर सकते हैं। इन मालाओं में हम तुलसी माला, वैजयंती माला, रुद्राक्ष की माला, पुत्रजीवा की माला, स्फटिक की माला, अकीक माला, कमलगट्टे की माला तथा अन्य रत्नों से भी निर्मित मालाएँ भी मंत्रों के जाप के लिए पूरी तरह से सिद्ध मानी जाती हैं। इन मालाओं का प्रयोग करने से इसका पूर्ण प्रभाव हमें तत्काल मिलता है। इन विभिन्न तरह की मालाओं से मंत्रों का जाप अलग-अलग देवी-देवताओं के लिए किया जाता है।

☸ जैसे तारक मंत्र (राम रां रामाय नमः) इन दिये गये मंत्रों का जप हमेशा तुलसी की माला से करना सभी जातकों के लिए सर्वश्रेष्ठ माना जाता है।

☸ यदि आप गायत्री मंत्र यानि (ओम भूर भुवः स्वः तत् सवितुर्वरव्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात) इन मंत्रों का जाप तुलसी और चंदन की माला से करना ज्यादा फलदायी माना जाता है।

☸ यदि आप शिव जी के किसी भी मंत्र का जाप करने जा रहे हैं तो रुद्राक्ष की माला से मंत्र का जाप करें। ऐसा करने से शिव जी अत्यधिक प्रसन्न होंगे।

☸ माँ दुर्गा तथा आदिशक्ति के स्वरूप अंबा का जाप स्फटिक की माला से ही करना फलदायी माना जाता है।

☸ यदि आप अपने जीवन में धन प्राप्ति के लिए माँ लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं तो प्रत्येक शुक्रवार के दिन कमलगट्टे की माला से (ओम धनाय नमः) का जाप करना अत्यधिक फलदायी होगा।

मंत्रों की संख्या 108 का उद्गम

शास्त्रों के अनुसार हिन्दू धर्म में सभी भाषाओं का उद्गम संस्कृत भाषा से ही हुआ है। देखा जाए तो संस्कृत भाषा में 54 अक्षर होते हैं और प्रत्येक अक्षर के दो हिस्से होते हैं पहला स्त्री और पुरुष इन दो हिस्सों को हम भगवान शिव जी के मंत्र और शक्ति के रूप में भी देख सकते हैं। इस दिये गये नम्बर को बेहद ही शुभ माना जाता है ऐसा इसलिए क्योंकि 54 से 2 का गुणा करने पर हमें 108 अंक प्राप्त होता है और इन्ही 108 अंकों तक किसी भी मंत्रों का जाप करना बहुत ही फलदायी माना जाता है।

108 बार मंत्र जाप करने के वैज्ञानिक कारण

वैज्ञानिक दृष्टिकोण से मंत्र का 108 बार जाप करने की बात करें तो ऐसा माना जाता है कि हमारे सांसों की संख्या पूरे 24 घण्टे में 21,000, 600 है। इस सृष्टि पर उपस्थित प्रत्येक व्यक्ति इतनी ही बार सांसे लेता है। इसके अलावा यदि हम प्रतिदिन की दिनचर्या की बात करें तो दिनभर के 12 घंटे हमारे नियमित दिनचर्या में ही निकल जाते हैं, बस बचे हुए इन 12 घंटों में ही हम ईश्वर का ध्यान लगा पाते हैं। इसलिए यदि हमारे सांसों की संख्या का आधा किया जाए तो यह संख्या 10,800 मानी जाती है।
परन्तु जब बात हमारे द्वारा किये गये मंत्रोच्चारण की आती हैं तो एक बार में 10,800 बार मंत्रों का उच्चारण संभव नही हो पाता है इसी वजह से इन संख्याओं में से दो शून्य हटा दिया जाता है तब जाकर यह 108 संख्या हमारे मंत्रोच्चारण के लिए शुभ मानी जाती हैं। हिन्दू धर्म में 108 की संख्या को सबसे ज्यादा पवित्र संख्या माना जाता है।

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