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शिवजी के पाँच मंदिरों से जुड़ा है अनोखा रहस्य

शिव जी के पाँच शिवलिंगों से जुड़ा है अनोखा रहस्य जाने इसकी महत्ता 2023

भगवान शिव जी की महिमा से हम भंली-भांति परिचित है। उनकी शक्ति और महिमा अनन्त है, शास्त्रों मे कई रहस्यमयी बातों का उल्लेख मिलता है। ऐसा माना जाता है कि कलयुग मे शिव से जुड़े कई रहस्यमयी घटनाएं है। जिनमे से उनके शिवलिंग भी एक है। भगवान शिव जी के शिवलिंग इस पूरे संसार में व्याप्त है जो उनकी महत्ता को बढ़ता है। यहाँ हम कुछ प्रसिद्ध मंदिरों का उल्लेख कर रहे है जो शिवलिंग की महत्ता को बढ़ा देता है।

भोजेश्वर महादेव मंदिर

शिवजी के पाँच मंदिरों से जुड़ा है अनोखा रहस्य 1

भगवान शिव जी का यह प्रसिद्ध मंदिर दुनिया का सबसे प्राचीन मंदिर है तथा इस मंदिर को परमार वंश के नामचीन राजा भोज ने बनवाया था इस मंदिर की मुख्य विशेषता यह है कि इस शिव मंदिर में साधूओं की एक टोली ने कठोर तपस्या किया था। यहाँ के शिवलिंग को एक ही प्रकार के चिकन लाल बलुआ पत्थर से बनाया गया है।

बिजली महादेव मंदिर

 

महादेव का यह मंदिर बहुत प्रसिद्ध है इस मंदिर में प्रत्येक वर्ष में एक बार बिजली गिरती है जिसके बाद शिवलिंग टुकड़ों में विभाजित हो जाता है। उसके बाद पुजारी शिवलिंग को मक्खन मे लपेटकर रख देते है और फिर कुछ ऐसा चमत्कार होता है जिससे पुनः शिवलिंग अपने आकार मे आ जाता है।

लक्ष्मेणश्वर महादेव मंदिर

 

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस प्रसिद्ध मंदिर की स्थापना श्री राम ने खर और दूषण का वध करने के बाद किया था। ऐसा कहा जाता है कि यहाँ व्याप्त शिवलिंग में लाखों छेद है और इनमे से एक छेद पाताल लोक से जुड़ा है जिसमें जितना भी पानी डालों सब समा जाता है। इसके अलावा एक छेद ऐसा भी है जो सदैव जल से भरा रहता है।

स्तंभेश्वर महादेव मंदिर

इस मंदिर की मुख्य विशेषत यह है कि यह मंदिर दिन में दो बार कुछ समय के लिए गायब हो जाता है परन्तु ऐसा तब होता है जब ज्वार भाटा आता है एकमात्र यही वह शिव मंदिर है जिससे कार्तिकेय और तारकासुर की कथा जुड़ी है यह मंदिर गुजरात राज्य में है।

अचलेश्वर मंदिर

यह शिव मंदिर राजस्थान के धौलपुर में स्थित है इस मंदिर में भक्तों को रोज चमत्कार देखने को मिलते है। कहा जाता है कि इस मंदिर के शिवलिंग का रंग दिन में तीन बार बदलता है। सुबह के समय शिवलिंग लाल रंग, दोपहर में केसरिया तथा शाम को सांवला हो जाता है। इस मंदिर की सबसे रोचक बात यह है कि यहाँ स्थित शिवलिंग का कोई छोर नही है।

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