शिवलिंग की उत्पत्ति: कथा और महत्व

भगवान शिव की पूजा शिवलिंग के रूप में ही क्यों की जाती है? कैसे बना शिवलिंग और इसकी उत्पत्ति कैसे हुई? ये प्रश्न कई शिवभक्तों के मन में आते हैं। शिवलिंग से जुड़े रहस्यों के बारे में अनेक धार्मिक ग्रंथों में अलगअलग बातें बताई गई हैं। अज्ञानी और मुर्ख लोगों ने हमारे धर्म का मजाक बनाने के लिए शिवलिंग को शिव के जननांग से जोड़ दिया है, जबकि ऐसा नहीं है। इसी तरह, लोग 33 कोटि (प्रकार) के देवीदेवता बताते हैं, जो कि 33 करोड़ देवीदेवता नहीं हैं।

शिवलिंग का अर्थ

शिव का अर्थ है ‘कल्याण करने वाले’ और लिंग का अर्थ है ‘बनाने वाले’। अतः शिवलिंग पूजा में हम सम्पूर्ण जगत के निर्माता सर्व शक्तिमान शिव की पूजा करते हैं। शिवलिंग भगवान शिव के निराकार रूप की महिमा को बताता है। शिव ही आदि, अनादि और अंत हैं। सम्पूर्ण जगत का आधार शिव ही हैं। सम्पूर्ण ब्रह्मांड लिंग रूप में है और जलधारी पृथ्वी है। लिंग का अर्थ प्रतीक, चिन्ह, निशानी, गुण, और सूक्ष्म होता है। शिवलिंग समस्त ऊर्जा का परिचायक है और सम्पूर्ण ब्रह्मांड की आकृति शिवलिंग समान है। समस्त संसार की ऊर्जा शिवलिंग में निहित है।

शिवलिंग की महिमा

शिव की पूजा शिवलिंग के रूप में सदियों से चली आ रही है। रामायण और महाभारत काल में भी शिवलिंग पूजा का उल्लेख है। शिवलिंग में त्रिदेवों की शक्ति निहित है। मूल में ब्रह्मा जी, मध्य में विष्णु और ऊपर भगवान शंकर होते हैं। जलधारी के रूप में शक्ति होती है। अतः शिवलिंग की पूजा से आप सभी देवीदेवताओं की कृपा के पात्र बनते हैं। जब यह सम्पूर्ण जगत नष्ट होगा तो यह शिवलिंग में समा जाएगा और फिर इसी शिवलिंग से नए संसार का जन्म होगा।

शिवलिंग पर क्या नहीं चढ़ाना चाहिए?

भगवान शिव भोले देवता हैं, पर फिर भी उनकी पूजा में कुछ चीजें निषेध हैं। ये चीजें शिवजी को रुष्ट करती हैं और हमें शिव दोष लगता है। शिव महापुराण में इनके बारे में बताया गया है।

1. केतकी के फूल: शिव पूजा में केतकी के फूल नहीं चढ़ाने चाहिए। भगवान शिव ने केतकी के फूल को श्राप दिया है कि कोई भी भक्त उन्हें यह अर्पित नहीं करे।
2. शंख से पूजा: शिव पूजा में शंख का उपयोग नहीं करना चाहिए। भगवान विष्णु की पूजा में शंख का उपयोग शुभ माना जाता है पर शिव पूजा में इसे नहीं लेना चाहिए।
3. तुलसी की पत्ती: तुलसी को लक्ष्मी तुल्य माना गया है और कृष्ण और भगवान विष्णु की पूजा में इसे उपयोग करना चाहिए पर शिव और गणेश पूजा में नहीं।
4. हल्दी: शिव पूजा में हल्दी का उपयोग नहीं करना चाहिए। हल्दी सौंदर्य का प्रतीक है और शिव भस्म रमाने वाले महादेव हैं।
5. सिंदूर: सिंदूर का उपयोग शिवलिंग पर नहीं करना चाहिए। महिलाएं इसे माँ पार्वती की मूर्ति पर लगा सकती हैं।

घर में शिवलिंग से जुड़ी जरूरी बातें

 शिवलिंग का आकार: घर में शिवलिंग का आकार छोटा होना चाहिए, अंगूठे से बड़ा नहीं।
एक ही शिवलिंग: घर के मंदिर में एक से ज्यादा शिवलिंग नहीं रखने चाहिए।
शिवजी को अप्रिय चीजें: शिव को केतकी के फूल, तुलसी, सिंदूर और हल्दी नहीं चढ़ानी चाहिए।
शुद्ध जल में शिवलिंग: शिवलिंग को शुद्ध जल से भरे पात्र में रखें।
अभिषेक: हर दिन शिवलिंग का दूध और जल से अभिषेक करें और शिव जी की आरती गाएं।
पात्र की सफाई: शिवलिंग को रखने वाले पात्र को रोज साफ करें।
जलधारी की दिशा: शिवलिंग की जलधारी उत्तर दिशा में होनी चाहिए।
धातु का शिवलिंग: धातु के शिवलिंग के साथ उसी धातु का नाग भी होना चाहिए।
मूर्ति या फोटो: शिवलिंग के पास माँ पार्वती और श्री गणेश की मूर्ति या फोटो रखें।
सोमवार को विशेष पूजा: सोमवार को शिवलिंग की विशेष पूजा करें।

शिवलिंग की पूजा से हमें धर्म, अर्थ, काम, और मोक्ष सभी की प्राप्ति होती है। शिवलिंग समस्त ऊर्जा और ब्रह्मांड का प्रतीक है और इसकी पूजा से हम सभी देवीदेवताओं की कृपा प्राप्त कर सकते हैं।

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