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यदि हम हिन्दू नव वर्ष की बात करें तो यह भारतीय नव संवत्सर चैत्र शुक्ल प्रतिपदा की पहली तिथि से आरम्भ होता है। इसके आरम्भ होने से पहले पुराने संवत्सर को विदाई दिया जाता है और इसी पुराने वर्ष को समाप्त करने के लिए होलिका दहन किया जाता है। इस दिन पुराने वर्ष की बुरी यादें और हर प्रकार की मुश्किलों को हम अग्नि में जला देते है। कई अन्य जगहों पर इसे संवत जलाना भी कहते है तो आइए जानते है ज्योतिषाचार्य के.एम. सिन्हा जी के द्वारा होलिका दहन के कुछ विशेष तथ्यों को-
☸ होलिका दहन के समय किसी वृक्ष की शाखा को जमीन के बीच में गाड़कर उसे चारो तरफ से लकड़ी के उपले से ढ़क देते है और दिये गये शुभ मुहूर्त में इसे जलाते है।
☸ इसमें छेद वाले गोबर के उपले, गेहूं की नई बालियाँ और उबटन जलाया जाता है। उसके बाद जब होलिका जल जाती है तो उसके जले हुए राख को घर में लाकर घर के सभी सदस्यों का तिलक किया जाता है। मान्यताओं के अनुसार ऐसा करने से आने वाला नया साल शुभ फल देने वाला होता है।
होलिका दहन के लाभ
☸ हालिका दहन वाले दिन किये जाने वाले विशेष उपायों से मन की सभी समस्याओं को दूर कर सकते है तथा बीमारियों से छुटकारा मिल सकता है साथ ही शत्रुओं से भी छुटकारा मिल सकता है।इसके अलावा आर्थिक क्षेत्र में आ रही बाधाएं भी दूर हो जाती है।
☸ होलिका दहन विशेष रुप से फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा के दिन किया जाता है और इस दिन पूर्णिमा तिथि होने के कारण ईश्वर की कृपा भी प्राप्त होती है।
☸ अपनी सभी मनोकामनाओं के अनुसार अलग-अलग सामग्रियों को होलिका की अग्नि में डालने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है और सभी बाधाओं से मुक्ति मिल जाती है।
होलिका दहन के दिन क्या करें
☸ होलिका दहन वाले दिन जब होलिका जलना शुरु हो उस समय वहाँ उपस्थित होना चाहिए उसके बाद होलिका को हाथ जोड़कर प्रणाम करें और अग्नि के बाहर जल डालें उसके बाद गेहूँ की बालियां, गोबर के उपले और तिल अग्नि मे डालकर हाथ जोड़कर अग्नि की 3 बार परिक्रमा करें और परिक्रमा पूरी हो जाने के बाद अग्नि को प्रणाम करके अपनी मनोकामनाएं मन में कहें, होलिका जल जाने के बाद उसकी राख को घर लाकर डिब्बे में रख दें और जब कभी भी घर से बाहर किसी महत्वपूर्ण कार्य को करने जाये तो उस राख का तिलक लगाकर जाएं ऐसा करना अत्यधिक शुभ फलदायी होता है।
☸ दाम्पत्य जीवन में बँधे हुए नये-नये विवाहित जोड़ो को होलिका की अग्नि नही देखनी चाहिए क्योंकि मान्यताओं के अनुसार इस अग्नि में सभी लोग अपने पुराने साल की बुराईयों को जलाकर अपने जीवन में आगे बढ़ने की कोशिश करते है परन्तु विवाहित जोड़े अपने जीवन की नई शुरुआत उसी समय से कर लेते है जब उनका विवाह होता है इसलिए होलिका की अग्नि के पास उन्हें बिल्कुल नही जाना चाहिए।
☸ एक अच्छे स्वास्थ्य की मनोकामना के लिए अपने दायें हाथ की हथेली के काले तिल लेकर उसे अपने सिर पर से तीन बार घुमाकर होलिका की अग्नि में डाल देना चाहिए ऐसा करने से जातकों को निश्चित रुप से अच्छे स्वास्थ्य की प्राप्ति होगी।
☸ यदि किसी जातक की बीमारी में उतार-चढ़ाव लगा रहता है और वह अपनी बीमारी से मुक्ति पाना चाहते है तो कम से कम 3 या 11 हरी इलायची और कपूर होलिका की अग्नि में डालना चाहिए ऐसा करने से जातक को बीमारियों से हमेशा के लिए मुक्ति मिल जाती है।
☸ यदि किसी जातक के जीवन में धन से सम्बन्धित कोई परेशानियाँ चल रही है तो होलिका की अग्नि में चंदन की लकड़ी को अपने दोनो हाथों से डालकर प्रणाम करना चाहिए ऐसा करने से धन से सम्बन्धित सारी मुश्किलें दूर हो जायेंगी।
☸ यदि कोई जातक अपने रोजगार से परेशान है तथा नौकरी नही मिल पा रही है या फिर कारोबार अच्छा नही चल रहा है तो ऐसे में एक मुट्ठी पीली सरसों को अपने दाहिने हाथ में लेकर अपने सिर पर से 3 या 5 बार घुमाकर होलिका की अग्नि में डाल दें ऐसा करने से रोजगार क्षेत्र में सफलता प्राप्त होगी।
☸ यदि किसी जातक का विवाह नही हो पा रहा है या फिर दाम्पत्य जीवन में समस्या उत्पन्न हो रही है तो ऐसी स्थिति में बाजार से हवन सामग्री खरीदकर उसमें देसी घी और जौ मिलाकर अपने दोनो हाथों से होलिका की अग्नि में डाल दें। ऐसा करने से आपके विवाह में आ रही बाधा और परेशानियाँ जल्द ही दूर हो जायेंगी।
☸ यदि किसी जातक को ऐसा प्रतीत हो रहा की उनके ऊपर नकारात्मक ऊर्जाएं आ रही है या उन पर तंत्र, मंत्र किया जा रहा है या फिर उन पर कोई बुरी नजर लगा रहा है तो ऐसी स्थिति में दाये हाथ की हथेली मे एक मुट्ठी काली सरसों यानि राई लेकर अपने सिर पर से 3 या 5 बार घुमाकर उसे होलिका की अग्नि में डाल दें और प्रणाम करें ऐसा करने से जातक के बुरे और नकारात्मक प्रभाव हमेशा के लिए दूर हो जाते है।
☸ यदि आप किसी क्षेत्र में विजय प्राप्त करना चाहते है या किसी कार्य में सफलता प्राप्त करना चाहते है तो होलिका की राख को अपने कंठ पर लगाकर घर से बाहर निकलें आपकी सभी इच्छाएं पूर्ण हो जायेंगी।