अश्विन अमावस्या 2023

अश्विन अमावस्या पितरों को विदा करने की अंतिम तिथि है अगर कोई श्राद्ध तिथि में किसी कारण से श्राद्ध न कर पाया हो या फिर श्राद्ध की तिथि मालूम ना हो तो इस दिन श्राद्ध और पितरों का तर्पण कर सकते है।अश्विन अमावस्या को श्राद्ध सर्व पितृ अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। अश्विन अमावस्या भाद्रपद महीने के दौरान होती है और इस अमावस्या को महालय अमावस्या भी कहा जाता है। इसे पुरुषोत्तम माह की अमावस्या भी कहा गया है। इसके अगले दिन से दुर्गा पूजा के उत्सव की शुरुआत हो जाती है। यह अमावस्या पूर्वजों के श्राद्ध एवं अनुष्ठान का दिन होता है। यह पितृपक्ष के आखिरी दिन की अमावस्या होती है।

अश्विन अमावस्या कथा

पौराणिक कथाओं के अनुसार देवताओ के पितृगण अग्निस्वात जो सोमपथ लोक में निवास करते है। उनकी मानसी कन्या अच्छोदा नाम की एक नदी के रुप में अवस्थित हुई मत्स्य पुराण में अच्छोदा सरोवर और अच्छोदा नदी का जिक्र मिलता है। जो कश्मीर में स्थित है। एक बार अच्छोदा ने एक हजार वर्ष तक तपस्या की जिससे प्रसन्न होकर देवताओं के पितृगण अग्निस्वात और बर्हिषपद अपने अन्य पितृगण अमावसु के साथ अच्छोदा को वरदान देने के लिए अश्विन अमावस्या के दिन उपस्थित हुए। उन्होंने अच्छोदा से कहां हे पुत्री हम सभी तुम्हारी तपस्या से अति प्रसन्न होकर प्रकट हुए है। इसलिए तुम जो चाहो वह वरदान मांग लो लेकिन अक्षोता ने अपने पितरो के तरफ ध्यान नही दिया, और वह अति तेजस्वी पितृ अमावसु को अपलक निहारती रही पितरों के बार-बार कहने पर उसने कहा है भगवान क्या आप मुझे सचमुच वरदान देना चाहते है। इस पर तेजस्वी पितृ अमावसु ने कहा हे अक्षोदा वरदान पर तुम्हारा अधिकार सिद्ध है। इसलिए निःसंकोच कहो अक्षोमा ने कहा भगवान यदि आप मुझे वरदान देना चाहते है तो मै तत्वक्षण आपके साथ रमण कर आनन्द लेना चाहती हूं। अक्षोता के इस तरह के कहे जाने पर सभी पितृ क्रोधित हो गये उन्होंने अच्छोदा को श्राप दिया की वह पितृ लोक से पतित होकर पृथ्वी लोक पर जाएगी। पितरों के इस तरह श्राप दिए जाने पर अक्षोता पितरों के पैरो में गिरकर रोने लगी। इस पर पितरों को दया आ गयी उन्होंने कहा की अक्षोदा तुम पटिल योनि में श्राप मिलने के कारण मत्स्य कन्या के रुप में जन्म लोगी। पितरों ने आगे कहा की भगवान ब्रह्म के बंशज महर्षि परासर तुम्हें पति रुप में प्राप्त होंगे। तुम्हारे गर्भ में से भगवान व्यास जन्म लेंगे उसके उपरान्त भी अन्य दिव्य वंशो मे जन्म लेते हुए तुम श्राप मुक्त होकर पुनः पितृलोक में वापस आ जाओगी। पितरों के इस तरह कहे जाने पर अक्षोदा शांत हो गई। अमावसु के ब्रह्मचर्य और धैर्य की सभी पितरों ने सराहना की एवं वरदान दिया की यह अमावस्या तिथि ‘अमावसु’ के नाम से जानी जायेगी। जो व्यक्ति किसी नदी श्राद्ध न कर पायें वह केवल अमावस्या के दिन श्राद्ध तर्पण करके सभी बीते चौदह दिनों का पुण्य प्राप्त करते है तथा अपने पितरों को तृप्त करते है। उसी पाप को प्रायश्चित हेतु कालान्तर मे यही अच्छोदा महर्षि पराशर की पत्नी एवं वेद व्यास की माता सत्यवती बनी थी तत्पश्चात समूह के अशंभूत शांतनु की पत्नी हुई और दो पुत्र चित्रांगद तथा विचित्र कार्य को जन्म दिया इन्हीं के नाम से कलयुग में अष्टका श्राद्ध पड़ा।

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अश्विन अमावस्या लाभ

☸ अश्विन अमावस्या के दिन अनुष्ठान करने से भगवान राम का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
☸ इस दिन यदि पूरी निष्ठा से पूजा विधि की जाए तो परिवार के हर तरह के पाप नष्ट हो जाते है।
☸ पितृ दोष से मुक्ति मिलती है एवं पूर्वजो की आत्मा को शांति मिलती है।
☸ बच्चों को सुखद जीवन का आशीर्वाद प्राप्त हो जाता है।
☸ जिनके कुण्डली में दोष होते हैं उन्हें इस दिन पूजा करने से कुण्डली दोष से मुक्ति मिल जाती है।

अश्विन अमावस्या में ध्यान रखें ये बातें

☸ अश्विन अमावस्या के दिन शाम के समय सुनसान जगह पर जाने से मना किया गया है। माना जाता है कि रात्रि के समय नकारात्मक शक्तियां ज्यादा हावि होती है और रात के समय घूमने वाले व्यक्तियों पर अपना बुरा प्रभाव डालती है।
☸ अश्विन अमावस्या के दिन प्रातःकाल जल्दी उठ जाना चाहिए और सूर्यदेव को जल चढ़ाना चाहिए, कहते है कि इससे सूर्य देवता प्रसन्न होते है।
☸ अश्विन अमावस्या के दिन झगड़ा तथा विवाद से बचना चाहिए क्योंकि ऐसा करने से पितृ नाराज हो जाते है और घर में सदा क्लेश की स्थिति बनी रहती है।
☸ इस दिन मांसाहारी भोजन का सेवन नही करना चाहिए।
☸ ब्राह्मणों के अनुसार यदि कोई व्यक्ति कमजोर तथा गरीब हो तो उसकी सहायता करनी चाहिए। पूर्वजों को जौ पानी का मिश्रण तर्पण किया जाता है।

अश्विन अमावस्या के महत्व

अश्विन अमावस्या पर करने वाले अनुष्ठानों से यम भगवान का आशीर्वाद प्राप्त होता है तथा पितरों की और पूर्वजों की आत्मा को मोक्ष प्राप्त होता है। भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष के पहले दिन पितृ पक्ष मनाया जाता है। यह लगातार नए चन्द्र दिवस के समय से पंद्रह दिन तक चलता है। इस विशेष दिन व्यक्ति प्रातः उठते है और प्रातःकाल के सभी अनुष्ठान करते है लोग पीले रंग के कपड़े पहनकर ब्राह्मणों को भोजन कराते है एवं दान दक्षिणा देते है। इस दिन लोग अपने पितरों या पूर्वजों को स्मरण करते है और उन्हें अपने वारिसों के लिए जो भी किया है। उसके लिए धन्यवाद करते है।

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अश्विन अमावस्या पूजा विधि

☸ अश्विन अमावस्या की संध्या पर मृत पूर्वजों के लिए श्राद्ध अनुष्ठान और तर्पण किया जाता है।
☸आमतौर पर श्राद्ध समारोह परिवार के सबसे वरिष्ठ पुरुष सदस्य द्वारा किया जाता है।
☸ लोग फूल एवं दीप और धूप की पेशकश करके अपने पूर्वजों की पूजा और प्रार्थना करते है।
☸ पितरों या पूर्वजों का आशीर्वाद पाने के लिए निरन्तर मंत्रों को पढ़ा जाता है।
☸ जहां ब्राह्मण बैठे है वहां पर्यवेक्षक तिल के बीज रखें जाते है। पूजा अनुष्ठानों के समाप्त होने के बाद ब्राह्मणों को विशेष भोजन परोसा जाता है।

अश्विन अमावस्या शुभ मुहूर्त

अश्विन अमावस्या प्रारम्भः- 13 अक्टूबर को 21ः53 से
अश्विन अमावस्या समापनः- 14 अक्टूबर 2023 को 23ः27 तक