आखिर क्या होता है सर्पशाप और क्या करना होता है उपाय

सर्प को मारना निसंदेह ही पाप है। जन्मकुण्डली में पंचम स्थान संतान का होता है। यदि राहु का सम्बन्ध इस स्थान से होता है या राहु इस भाव के स्वामी या कारक ग्रह के साथ होता है तो सर्पशाप का निर्माण होता है। संसार के प्रत्येक जीव के आकार-प्रकार एवं उत्पत्ति के विषय में अनेक मतभेद है तथा सभी प्राणी सर्वत्र उपलब्ध भी नही होते परंतु एक ऐसा प्राणी भी है जो संसार के सभी कोनो मे पाया जाता है। इस प्राणी कोे सर्प के नाम से जाना जाता है। सर्प को संसार में सबसे प्राचीन तथा रहस्यमय जीव माना गया है। अनेक रुप, रंग एवं प्रकार के सर्प सर्वत्र पाए जाते है। जीव विज्ञान के अनुसार सर्पों की लगभग चार हजार प्रजातियाँ है। सर्पों मे असीम शक्तियाँ होती है। इन्ही विशेषताओं के आधार पर साँपों को भारतीय संस्कृति में देवी-देवताओं के समान माना गया है और इसे मारने से आने वाली पीढी के लिए समस्या उत्पन्न होती है। किंतु आपको कैसे पता चलेगा कि आपके पूर्वजों से कभी किसी ने सांप को मारा है। कुण्डली मे कुछ ऐसी युतियाँ होती है जो यह बताती है कि आपकी पत्री मे सर्पशाप है या नही।
1. यदि किसी जातक की कुण्डली मे राहु पंचम स्थान पर हो या मंगल के साथ दृष्ट हो या मंगल स्वराशि का होकर पंचम मे हो तो सर्पशाप के कारण पुत्र की हानि होती है।
2. पांचवे भाव का मालिक किसी भी तरह राहु के साथ युति मे हो या पंचम भाव मे शनि हो या शनि और चन्द्रमा की युति हो तो सर्पशाप के कारण पुत्र की हानि होती है।
3. यदि गुरु राहु के साथ स्थित हो और पंचमेश कमजोर हो या लग्नेश/ मंगल के साथ हो तो ऐसे मे भी सर्पशाप से पुत्र की हानि होती है।
4. यदि गुरु और मंगल कुण्डली मे एक साथ हो या राहु लग्न मे हो और पाचवें घर का मालिक 6, 8 या 12 वें घर मे हो सर्प शाप से संतान की हानि होती है।
5. यदि कुण्डली मे लग्नेश और राहु एक साथ हो या पंचम के मालिक/मंगल का सम्बन्ध राहु से हो तो सर्प योग के चलते संतान की हानि के योग बनते है।
6. यदि पंचम भाव मे मेष/वृश्चिक राशि हो और पंचमेश राहु/बुध से सम्बन्ध बना रहा हो तो सर्पयोग के कारण पुत्र हानि होती है।
उपायः- यदि आप भी इस स्थिति से गुजर रहे है तो आपको उपाय अवश्य ही करना चाहिए-
1. सर्पशाप दोष निवारण पूजा कराएँ।
2. नाग देवता की कोई सोने/चाँदी/लोहे की मूर्ति बनवाकर मंदिर में रखे।
3. अपनी आर्थिक स्थिति के अनुसार स्वर्णदान करें।
4. निम्नलिखित मंत्र का प्रतिदिन जाप करें-

ऊँ नमोैस्तु सर्पेभ्यो ये के च पृथिवी मनु।
येैन्तरिक्षे ये दिवि तेभ्यः सर्पेभ्यो नमः।।

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