उत्तराखण्ड में केदारनाथ से ऊपर स्थित वासुकी ताल में क्या है ऐसा खास

बात करें यदि उत्तराखण्ड में स्थित वासुकी ताल की तो वर्तमान समय में उत्तराखण्ड की चारधाम की यात्रा चल रही है। सामान्यतः शिव जी के सभी भक्त चारधाम की इस यात्रा में केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री इन सभी मंदिरों का दर्शन करते हैं इन्हीं चार धामों के आस-पास  ऐसी और भी कई जगहे है जहाँ पर जाने मात्र से ही सभी भक्तों की थकान दूर हो जाती है।

इन्हीं में से एक है केदारनाथ में स्थित वासुकी ताल की इस ताल का संबंध भगवान विष्णु जी से हैं इसलिए इसे वासुकी ताल के नाम से भी जाना जाता है तो आइए वासुकी ताल से सम्बन्धित और अन्य बातें विस्तार से जानते हैं।

वासुकी ताल से जुड़ी मान्यताएं

☸ प्राचीन मान्यताओं के अनुसार वासुकी एक नाग देवता का नाम था। वासुकी के पिता ऋषि कश्यप और माता का नाम कद्रु था। कहा जाता है कि वासुकी नाग को एक रस्सी की तरह से मंदराचल पर्वत पर लपेटा गया था।

☸ उस पर्वत पर लिपटे हुए वासुकी नाग को एक तरफ सभी देवताओं ने और दूसरी तरफ सभी असुरों ने पकड़कर समुद्र मंथन किया था। इसी कारणवश यहाँ पर वासुकी नाग का वास माना जाता है और उन्हीं के नाम पर इस ताल का नाम भी वासुकी पड़ा था।

☸ यहाँ रहने वाले लोगों के कहेनुसार सावन की पूर्णिमा में इस सरोवर में वासुकी नाग के दर्शन होते हैं। वासुकी को नागों का राजा भी कहा जाता है इसके अलावा सावन माह में केदारनाथ मंदिर में ब्रह्म कमल के पुष्प भी अर्पित किये जाते हैं।

वासुकी ताल से जुड़ी हुई कुछ महत्वपूर्ण बातें

☸ वासुकी ताल के बारे में सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि वासुकी ताल उत्तराखण्ड राज्य के रुद्रप्रयाग जिले में सोन प्रयाग के पास स्थित है। समुंद्र तल से यह लगभग 4,135 मीटर है। इस ताल की चढ़ाई वहाँ से शुरु होती है जहाँ से केदारनाथ मंदिर के लिए चढ़ाई शुरु की जाती है।

☸ केदारनाथ का दर्शन करने वाले लगभग सभी भक्त केदारनाथ के साथ-साथ वासुकी ताल की  यात्रा भी करते हैं। यहाँ आने वाले सभी यात्री केदारनाथ से पैदल या फिर पालकी, घोड़ा, टट्टू, पिट्ठू की मदद से वासुकी ताल तक पहुँच सकते हैं।

☸ इसके अलावा केदारनाथ मंदिर के पास ही एक शंकराचार्य की समाधि, भीमशिला और श्री भैरव मंदिर स्थित है। आपको बता दें कि इस ताल की यात्रा करने में सभी भक्तों को लगभग एक दिन का समय लग सकता है। यह रास्ता भक्तों के लिए बहुत ज्यादा सुरक्षित नही है इसलिए इस ताल की यात्रा दिन में ही समाप्त कर लेना चाहिए।

वासुकी ताल अपने आप में ही है अद्भुत और आकर्षक

☸ वासुकी ताल की बात करें तो जो भक्त यहाँ आता है उसे इस ताल की अद्भुत सुन्दरता का दृश्य देखने को मिलता है। साथ ही वासुकी ताल की सबसे ऊँचाइयों से आपको हिमालय की चौखम्भा पहाड़ियों का मनोहर दृश्य देखने को मिलता है।

☸ केदारनाथ मंदिर का कठिन रास्ता पार करने के बाद जब भक्त वासुकी ताल पहुँचते हैं तो यहाँ का वातावरण देखकर उनकी सारी थकावटें मिनटों में दूर हो जाती हैं।

☸ मान्यता के अनुसार वासुकी ताल में असंख्य ब्रह्म कमल दिखाई देते हैं, कहा जाता है कि साल भर में एक बार मंदिर के सभी पुजारी इस फूल को लेने जाते हैं और ब्रह्म कमल लाकर शिवलिंग पर चढ़ाते है।

☸ वासुकी ताल की यात्रा का समय भी लगभग उत्तराखण्ड की चार धाम की यात्रा की तरह ही होता है। मंदिर के बंद होने के साथ-साथ यहाँ आकर ताल देखने की यात्रा भी बंद हो जाती है।

वासुकी ताल का इतिहास और पौराणिक कहानियाँ

हिन्दू धर्म की पौराणिक कथाओं के अनुसार ऐसा माना जाता है कि भगवान विष्णु जी ने रक्षा बंधन के त्योहार पर इस झील में स्नान किया था जिसके कारण ही इस झील को पवित्र झील माना जाता है। इस ताल की धार्मिक यात्रा कब से शुरु हुई इसका पता लगा पाना मुमकिन नही है क्योंकि इसका कोई सही प्रमाण अभी तक नही मिल पाया है। कहा जाता है कि जबसे केदारनाथ की यात्रा शुरु हुई है तबसे इस ताल की यात्रा करना भी सभी लोगों ने शुरु कर दिया। कई लोग और यहाँ पर रहने वाले धार्मिक गुरु इस ताल को भगवान वासुकी का घर भी बताते हैं। इसके अलावा कुछ भक्त भगवान विष्णु जी के इस ताल में स्नान करने के कारण यहाँ पर रक्षाबंधन वाले दिन दर्शन के लिए आते हैं और यहाँ आकर विधिपूर्वक पूजा अर्चना भी करते हैं।

वासुकी ताल जाने का सही समय

वास्तव में यह ताल केदारनाथ से 8 किलोमीटर ऊपर स्थित है इसलिए यहाँ पर जाना केदारनाथ मंदिर के कपाट खुलने और बंद होने पर निर्भर करता है। आपको बता दें कि मंदिर का कपाट मई के महीने में अक्षय तृतीया के दिन खोले जाते हैं और दीपावली के अगले दिन से बर्फबारी मौसम के कारण कपाट बंद कर दिये जाते हैं। ऐसे में वहाँ पर रहने वाले लोग भी नीचे रहने के लिए चले जाते हैं। सर्दियों में पूरे 6 माह तक मंदिर जाने के रास्ते पूरी तरह से बंद हो जाते हैं इसी कारणवश मई महीने से लेकर अक्टूबर माह के बीच का समय इस ताल में दर्शन के लिए जाने का सही समय नही होता। सर्दियों का मौसम छोड़कर अन्य मौसमों में मंदिर जाना और इस ताल का दर्शन करना खतरे से बाहर हो सकता है।

केदारनाथ मंदिर के दर्शन के पश्चात आप यहाँ स्थित आदि गुरु शंकराचार्य की समाधि को देख सकते हैं और वहाँ बैठकर कुछ देर ध्यान लगा सकते हैं। कहा जाता है कि यहाँ पर ध्यान लगाने से भक्तों को आंतरिक शांति मिलती है।

91 Views