कालसर्प दोष के निवारण के लिए सर्वश्रेष्ठ दिन है नागपंचमी

नाग पंचमी के दिन शिव भक्त नाग देवता की विशेष पूजा अर्चना करते हैं। मंदिरो में नाग देवता का जल से अभिषेक किया जाता है और दूध चढ़ाया जाता है। इस दिन शिव भक्त उपवास भी रखते हैं। हिन्दू पंचांग के अनुसार सावन महीने के शुक्ल पक्ष के पंचमी को नाग पंचमी के रुप में मनाया जाता है।

नाग को दूध पिलाने से पाचन नही हो पाने या व्रत्यूर्जता से उनकी मृत्यु हो जाती है। शास्त्रों में नाग को दूध पिलाने के लिए नही कहा गया है। बल्कि दूध से स्नान कराने को कहा गया है। इस दिन अष्ट नागों की पूजा की जाती है। नाग पंचमी के दिन अनेक गांवों तथा कस्बों में कुश्ती का आयोजन होता है इसमें अनेक पहलवान भाग लेते हैं। इस दिन घर पर पाले गये पशुओं को नदी में ले जाकर स्नान कराया जाता है।

क्यों करते हैं नाग पंचमी की पूजा

सावन माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाने वाला यह त्योहार इसलिए मनाया जाता है क्योंकि इस दिन सभी नाग देवताओं की विशेष पूजा अर्चना की जाती है। ऐसा माना जाता है कि सावन का महीना वर्षा ऋतु का होता है और इसी दिन भू-गर्भ से सभी नाग देवता निकलकर भूतल पर आ जाते हैं। ऐसे में भूतल पर आ जाने के कारण यह नाग देवता किसी को बेवजह नुकसान न पहुँचायें इसी कारण वश हिन्दू धर्म में नाग पंचमी जैसे त्योहार का प्रचलन किया गया है। इस दिन नाग देवता की पूजा करने से नाग देवता प्रसन्न होते हैं जिसके कारण लोगों को यह किसी प्रकार का कष्ट नही पहुँचाते हैं।

नाग पंचमी का महत्व

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हिन्दू धर्म में नागपंचमी का विशेष महत्व होता है। इस दिन नाग देवता की विशेष रूप से पूजा अर्चना की जाती है। इस दिन का एक और महत्व यह भी होता है कि खेतों और फसलों की रक्षा करने के लिए भी नाग देवता को प्रसन्न किया जाता है साथ ही उनकी पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि भी बनी रहती है। कहा जाता है कि नाग देवता शिव जी के गले का आभूषण और भगवान विष्णु की शैय्या भी है। सबसे बड़ी मान्यता यह होती है कि इस दिन घर में रुद्राभिषेक कराने से कुण्डली में स्थित कालसर्प दोष खत्म हो जाते हैं। नाग पंचमी के दिन नाग देवता का कच्चे दूध से स्नान तथा पूजा करने से जातक को पुण्य की प्राप्ति होती हैं, इसके अलावा व्यक्ति के जीवन से सर्पदंश का खतरा पूरी तरह से कम हो जाता है। यदि नागपंचमी के शुभ अवसर पर घर के सबसे मुख्य द्वार पर नाग देवता की तस्वीर लगाई जाए तो नाग देवता प्रसन्न होते हैं साथ ही घर के सभी सदस्यों के कष्ट हमेशा के लिए दूर हो जाते हैं।

नाग पंचमी की पूजा विधि

☸ नाग पंचमी के दिन सुबह स्नान करने के बाद घर के दरवाजे पर गोबर से नाग बनाया जाता है तथा घर के पूजा स्थान पर भी गोबर से नाग बनाया जाता है।

☸ उसके बाद मन में व्रत का संकल्प लें नाग देवता का आह्वान करें इसके बाद जल पुष्प और चंदन से अर्घ्य दें।

☸ दूध, दही, घी, शहद और चीनी का पंचामृत बनाकर नाग प्रतिमा को स्नान करायें।

☸ प्रतिमा पर चंदन, गंध से युक्त जल चढ़ाकर नाग देवता को लड्डू और मालपुएं का भोग लगाएं इसके बाद चंदन, हल्दी, कुमकुम, सिन्दूर, बेलपत्र, आभूषण, पुष्प माला, हृदय, धूप, दीप, ऋतु फल और पान का पत्ता चढ़ाएं और आरती करें।

☸ शाम के समय नाग देवता की फोटो या प्रतिमा की पूजा करने के बाद ही व्रत तोड़ें और फलाहार ग्रहण करें।

नाग पंचमी शुभ मुहूर्त

नाग पंचमी तिथि प्रारम्भः- 20 अगस्त 2023 को रात्रि 12ः21 मिनट से
नाग पंचमी तिथि समाप्तिः- 21 अगस्त को रात्रि 02ः00 मिनट तक
नाग पंचमी पूजा मुहूर्तः- प्रातः 05ः58 से प्रातः 08ः35 तक
अवधिः- 02 घण्टे 37 मिनट

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