मंगल और शनि की युति
💠 मंगल और शनि की युति यदि कर्क राशि में हो तो अत्यन्त अशुभ तथा बाधा कारक सिद्ध होती है।
💠 मंगल और शनि एक दूसरे के नैसर्गिक रुप से शत्रु भी होते है। इनकी युति से अत्यधिक विघटनकारी फल प्रदान होता है।
💠 मंगल और शनि की युति सप्तम, अष्टम, द्वादश और पंचम भाव में अत्यधिक अशुभ फल प्रदान करती है।
💠 शनि की धनु राशि में स्थिति तथा मंगल की मिथुन राशि में स्थिति जातक को अनुकूल फल प्रदान करती है।
💠 मंगल मेष में, शनि कर्क में हो तो जातक की अस्वाभाविक मृत्यु होती है परन्तु यदि मंगल मकर राशि मे हो तो मिश्रित फल प्राप्त होते है।
बृहस्पति और शुक्र की युति
💠 बृहस्पति और शुक्र की युति अत्यन्त शुभ सिद्ध होती है।
💠 यदि बृहस्पति और शुक्र की युति वृष, मेष, कर्क, सिंह या वृश्चिक और मीन मे हो तो अत्यन्त अनुकूल परिणाम प्राप्त होते है।
💠 नवम भाव में बृहस्पति और शुक्र की युति अत्यन्त शुभ होती है।
💠यदि बृहस्पति और शुक्र लग्न से पंचम, सप्तम तथा एकादश भाव मे हो तो उत्तम फल की प्राप्ति होती है।
💠 बृहस्पति और शुक्र की परस्पर आमने-सामने की स्थिति जैसे बृहस्पति प्रथम, द्वितीय, पंचम, सप्तम भाव मे हो तो अत्यधिक शुभ फल प्राप्त होते है।
💠 अगर बृहस्पति चतुर्थ अथवा दशम भाव मे तथा शुक्र इसके विपरीत हो तो मिश्रित फल प्राप्त होते है।
कुछ महत्वपूर्ण ग्रहों की युति , मंगल और शनि , बृहस्पति और शुक्र
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