क्या है भविष्य मालिका कैसे होगा कलयुग का नैतिक पतन | Bhavisya Maalika Benefit |

भविष्य मालिका एक ग्रंथ है जिसे उड़ीसा में तार के पत्तोें पर लिखा गया है यह उड़ियाँ भाषा में लिखा भी गया है। यह ग्रंथ छः सौ वर्ष पहले लिखा गया ग्रंथ है जिसे पंच सखा नाम से प्रसिद्ध पांच ऋषियों मे से एक ऋषि श्री अच्युतानंद जी ने लिखा है। श्री अच्युतानंद जी अपने पूर्व जन्म में त्रेतायुग में नल और द्वापर युग में सुदामा के रुप में जन्म ले चुके थे और कलयुग में श्री श्री अच्युतानंद जी के नाम से जाने गयें। अच्युतानंद जी अपने दिव्य शक्तियों के द्वारा भूत, भविष्य और वर्तमान को देख सकते थे उसके बाद उन्होंने बहुत सी भविष्यवाणियां की हैं जो आज कल चर्चित हो रही है।

इस ग्रंथ को तीन मुख्य भागो में बाटा गया हैं

1. कैसे होगी कलयुग के अंत की शुरुआत
2. क्या होगा जब होगा समस्त सृष्टि का विनाश
3. कैसे होगा राजनीतिक पटल पर उथल-पुथल

कलयुग के अंत की शुरुआत

कलयुग के अंत की शुरुआत कुछ इस प्रकार होगी जब चारों तरफ अधर्म का साम्राज्य बढ़ जायेगा और लोग भूख से व्याकुल होकर बीमार पड़ जायेंगे तब पुराणों के अनुसार भगवान विष्णु के दसवें अवतार भगवान कल्कि का जन्म होगा। भगवान विष्णु के अवतार कल्कि समस्त संसार से मात्र 3 दिनों में ही पापियों का सर्वनाश करके पुनः धर्म की स्थापना करेंगे। जब कलयुग से सारे पापियों का सर्वनाश हो जायेगा उसके बाद नया युग सतयुग के निर्माण के समय कलयुग के प्रभावों को समाप्त करने के लिए लगातार इस पृथ्वी पर 12 वर्षों तक मूसलाधार वर्षा एवं वज्रपात होगी जिससे समस्त पृथ्वी जलमग्न हो जायेगी तब फिर एक बार 12 सूर्य उदय होंगे और जलमग्न हुई पृथ्वी का सारा जल सोख लेंगे। तब फिर इस पृथ्वी पर नई भूमि और नये युग का निर्माण होगा, जो सतयुग के नाम से जाना जायेगा। कुछ पुराणों के अनुसार ऐसा बताया गया है। कलयुग के अंत में सूर्य जीवन देने की जगह जीवन लेना प्रारम्भ कर देंगे तथा भगवान के भक्तों का मजाक बनाया जायेगा। भक्तों को प्रताड़ित किया जायेगा एवं गुरुओं का कोई आदर नही करेगा। महिला का महिला से पुरुष का पुरुष से प्रेम सम्बन्ध होगा। जंगली जानवरो का आतंक होगा वह जंगलो से शहर में घुसेंगे। विचित्र तरह की बीमारियां होगी जिनका कोई इलाज नही होगा। उड़ीसा का राजा बालक बुद्धि का होगा अर्थात वह बड़ा होगा आयु में किन्तु उसकी बुद्धि बच्चों जैसी होगी। पूरी के राजा गजवीर महाराज जी होंगे जिनका कोई पुत्र नही होगा। पूरी जगन्नाथ धाम पर लगा छत्र कई बार नीचे गिरेगा। उस स्तम्भ पर लगा विष्णु चक्र टेढ़ा हो जायेगा।

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संसार का अंत होगा तो क्या होगा परिणाम

कलयुग के अंत में कल्कि जी का जन्म होगा उनके माता-पिता का नाम तथा उनके जन्म के विषम में विस्तृत जानकारी ग्रंथ में लिखी गई है। कलयुग के अंत में श्री हनुमान, परशुराम जी, कृपाचार्य जी, अश्रस्थाना और अन्य कई योद्धा कल्कि जी के साथ युद्ध करेंगे तथा जब प्रलय आयेगा तब आसमान में 12 सूर्य दिखेंगे। सरकार जनता पर नये कर लगायेगी जगन्नाथ पूरी के देवो और मूर्तियों को अलग जगह छाटिया बाट पर रखा जायेगा। सात दिनों तक सूर्य नही निकलेगा बहुत बड़ा सुनामी आयेगा पृथ्वी पूरी तरह से हिलेगी। भूकम्प तथा आपदाओं से शहरों और गावों की जनसंख्या कम हो जायेगी। समुंद्र आगे की तरफ बढ़ता जायेगा।

भविष्य मालिका ग्रंथ के अनुसार, राजनीतिक पटल पर उथल-पुथल

इस समय में जब कलयुग का विनाश होगा तब कई युद्ध होंगे, दुनिया के कई शहर डूब जायेंगे भारत पर हमले होंगे भविष्य मालिका ग्रंथ के अनुसार आखिरी प्रधानमंत्री के कोई संतान नही होगी। भगवान कल्कि के 74 हजार भक्त पूरे संसार से उनकी मदद करेंगे और धर्म के रास्ते पर चलेंगे। भगवान कल्कि के 74 हजार भक्त पूरे संसार से उनकी मदद करेंगे।

कलयुग में मां भगवती और भगवान शिव की आराधना होगी सर्वोपरि

कलयुग में शिव और मां भगवती की आराधना को कलयुग में सर्वोपरि बताया गया है किसी भी प्रकार का रोग हो यश हो कृति हो मान हो सम्मान हो सब कुछ भगवान शिव शंकर से होकर गुजरता है। ज्ञान, विज्ञान सबका मार्ग भगवान शिव ही है वेंद ही शिव है शिव ही वेद है जीवन में मनुष्य को यदि भौतिक सुख-साधनों के मार्ग तथा साथ ही साथ धर्म को जानता है तो शिव की शरण में जाना ही पड़ेगा। इस कलयुग में भगवान शिव के साथ-साथ जगत की जननी मां भगवती की भी आराधना करना अति आवश्यक है। मां भगवती प्रकृति है तथा जगत की जन्मदात्री है आदि स्वरुप मां भगवती की आराधना से मनुष्य को आंतरिक ऊर्जा की प्राप्ति होती है तथा मनुष्य को बुराई से लड़ने की प्रेरणा भी मां भगवती से ही मिलती है।

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पुराणों द्वारा कुछ ऐसे बतायें गये चिन्ह जिससे पता चलता है कि सृष्टि का अंत समीप है
कर्म-धर्म का तराजू

इसके अनुसार हर युग में धर्म और कर्म की पवित्रता कम होती जाती है तथा मनुष्य स्वयं ही अपने विनाश का कारण बनता है इस समय काल में भी स्थितियां ऐसी ही बनी हुई है इसमें अत्याचार बड़ा हुआ है। हिन्दू धर्म के अनुसार कुछ चीजें पहले से ही तय कर ली गई है जैसे भगवान विष्णु सृष्टि के आरम्भ के लिए उत्तर दायित्व निभाते है और भगवान शंकर धरती पर अधिक अत्याचार बढ़ने पर प्रलय एवं विनाशकारी रुप धारण कर सृष्टि को समाप्त करने का उत्तर दायित्व निभाते हे।

पुराण

ब्रह्म पुराण, विष्णु पुराण, भविष्य मालिका ग्रंथ की भविष्यवाणियों से लेकर गरुण पुराण में कर्म और उनके परिणाम तक पहुंचने के सारे सत्य हमारे समक्ष बताया गया है।

कलयुग, समय चक्र

पुराणों मे बताया गया है की कलयुग सबसे अंतिम युग है इसलिए हमें सभी कर्मों के फल इसी युग में भुगतने होंगे। जब कलयुग की समाप्ति होगी तो कुछ चौका देने वाली घटनाएं पृथ्वी पर निश्चित रुप से होंगी, बिना मौसम की वर्षा आधी-तूफान, जल, संकट इत्यादि। इसके अनुसार जैसे-जैसे कलयुग अंत की ओर बढ़ेगा, मनुष्य का जीवन काल छोटा होता जायेगा। 12 वर्ष तक की आयु रह जायेगी और शरीर 4 इंच सिकुड़ जायेगा।

कल्कि का होगा अवतार

24 वें अवतार के विषय में पुराणों मे बताया गया है कि भगवान विष्णु का यह अवतार कलयुग और सतयुग की संधि मे होगा यानि की जब कलयुग खत्म होगा और सतयुग का प्रारम्भ हो रहा होगा तब पुराणों के अनुसार भगवान विष्णु का अवतार सावन महीने के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि को होगा। इसलिए हर साल इस तिथि पर कल्कि जयंती भी मनाई जायेगी। भगवान कल्कि के जन्म के समय गुरु, सूर्य और चन्द्रमा एक साथ पुष्य नक्षत्र में होंगे और भगवान के जन्म के साथ ही सतयुग की शुरुआत होगी। भगवान कृष्ण के बैकुण्ठ वापस जाने के बाद कलयुग शुरु हुआ था। श्रीमद् भागवत गीता के अनुसार भगवान विष्णु का कल्कि अवतार 64 कला सम्पन्न एवं 24 वां अवतार होगा।

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