गोवर्धन पूजा
दिवाली के अगले दिन कार्तिक शुक्ल पक्ष का पहला दिन होता है।
कुछ स्थानों में इसे अन्नकूट (अनाज का ढ़ेर), पड़वा, गोवर्धन पूजा, बाली प्रतिपदा, बाली पद्यामी और कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा के रूप में भी मनाया जाता है।
अन्नकूट या गोवर्धन पूजा भगवान कृष्ण के अवतार के बाद द्वापर युग से प्रारम्भ हुई है।
इसमें घर के आंगन में गाय के गोबर से गोवर्धन नाथ जी की अल्पना बनाकर उनका पूजन करते हैं।
उसके बाद गिरिराज भगवान (पर्वत) को प्रसन्न करने के लिए उन्हें अन्नकूट का भोग लगाया जाता है।
इस दिन मंदिरों में भी अन्नकूट का आयोजन किया जाता है।
क्यों की जाती है गोवर्धन पूजा
पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान कृष्ण ने इंद्र के प्रकोप से होने वाली लगातार बारिश और बाढ़ से पीड़ित खेतों और गायों को बचाने के लिए गोवर्धन पर्वत उठाया था।
उसके बाद से ही गोवर्धन पूजा का पर्व मनाया जाता है।
स्वयं भगवान श्री कृष्ण ने गोकुल के लोगों को गोवर्धन पूजा के लिए प्रेरित किया था और देवराज इंद्र के अहंकार का नाश किया था।
गोवर्धन पूजा पर न करें ये गलतियां
गोवर्धन पूजा और अन्नकूट का आयोजन बंद कमरे में न करें।
गायों की पूजा करते हुए भगवान कृष्ण की पूजा करना न भूलें।
परिवार के सभी लोग अलग-अलग होकर पूजा न करें।
पूजन में सम्मिलित लोग काले रंग के कपड़े न पहनें।
हल्के पीले या नारंगी रंग के वस्त्र पहनें।
गोवर्धन पूजा के दिन गाय या जीवों की सेवा करें।
आज के दिन गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा करना न भूलें।
गोवर्धन पूजा विधि
ब्रह्ममुहूर्त में उठकर पवित्र स्नान करें।
मंदिर की सफाई करें।
अपने घर के मंदिर में दीया जलाएं।
गाय के गोबर से गोवर्धन बनाएं और विधि अनुसार पूजा करें।
साथ ही इस दिन भोग बनाकर गोवर्धन मूर्ति को प्रसाद के रूप में चढ़ाएं।
गोवर्धन मूर्ति की परिक्रमा करें।
अंत में गोवर्धन आरती के साथ पूजा का समापन करें।
गोवर्धन पूजा मंगलवार, नवम्बर 14, 2023 को
गोवर्धन पूजा प्रातःकाल मुहूर्त – 06:43 – 08:53
अवधि – 02 घण्टे 10 मिनट्स
प्रतिपदा तिथि प्रारम्भ – नवम्बर 13, 2023 को रात्रि 02:56
प्रतिपदा तिथि समाप्त – नवम्बर 14, 2023 को रात्रि 02:36