किसी भी काम को शुभ मुहूर्त में करने की परम्परा कई वर्षों से चली आ रही है और कहा जाता है कि शुभ मुहूर्त में किया गया काम कभी असफल नही होता है। जातक शुभ मुहूर्त को देखते हुए जो भी काम करते हैं उनमें उनको लाभ मिलता हैं। तो आज हम जानेंगे की वह कौन सा वार, तिथि, माह, वर्ष लग्न मुहूर्त शुभ है जिसमे शुभ कार्यों का आरम्भ किया जाता है।
शुभ मुहूर्त क्या होता है
प्रायः हमे यही सुनने को मिलता है कि कोई भी काम शुभ मुहूर्त को ध्यान में रखकर करें परन्तु क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर यह शुभ मुहूर्त क्या है तो आज शुभ मुहुर्त क्या है इसको समझेंगे।
मुहुर्त दो प्रकार का होता है पहला शुभ मुहूर्त, दूसरा अशुभ मुहूर्त। इसके साथ ही शुभ को ग्राह्य एवं अशुभ को अग्राह्य समय भी कहते हैं। शुभ मुहूर्त में रुद्र, श्वेत मित्र, सारभट्ट, सावित्र, वैराज, विश्वातसु, अभिजीत, रोहिण, बल, विजय, र्नेत, वरुण सौम्य और भग, ये 15 मुहूर्त है। रवि के दिन 14 वां सोमवार के दिन 12 वां मंगलवार के दिन 10वां, बुधवार के दिन 8 वां, गुरुवार के दिन 6 वां, शुक्रवार के दिन, चौथा, और शनिवार के दिन दूसरा मुहूर्त कुलिक शुभ कार्यों में वर्जित माना जाता है।
श्रेष्ठ दिन: दिन और रात में दिल को श्रेष्ठ कहा गया है।
श्रेष्ठ मुहूर्त: दिवा और रात्रि को मिलाकर 30 मुहूर्तों में सबसे सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त ब्रह्म मुहूर्त को ही माना गया है।
मुहूर्तों के नाम: एक मुहूर्त 2 घडी अर्थात 48 मिनट के बराबर होता है।
24 घण्टे में 1440 मिनट होता है। इस प्रकार 2 घड़ी अर्थात 48 मिनट से 1440 मिनट में भाग दिया जाए तो 30 मुहूर्तों की प्राप्ति होती है। मुहूर्त प्रातः 6 बजे से प्रारम्भ होता है। रूद्र, आहि, मित्र, पितृ, वसु, वाराह, विश्वेदेवा, विधि, सतमुखी, पुरुहूत, वाहिनी, नक्तनकरा, वरुण, अर्थमा, भग, गिरीश, अजपाद, अहिर, बुहन्य, पुष्य, अश्विनी, यम, अग्नि, विधातृ, कण्ड, अदिति, जीप, अमृत, विष्णु, युमिगद्युति, ब्रह्मा और समुद्रम।
कौन सा श्रेष्ठ वार:- सभी सात वारों में रविवार, मंगलवार और गुरूवार श्रेष्ठ माना जाता है।
श्रेष्ठ चौघड़िया:- सबसे, शुभ चौघड़िया वे होती है जिनका स्वामी गुरु होता है। अमृत का चन्द्रमा एवं लाभ का बुध भी श्रेष्ठ चौघड़ियाें के श्रृंखला में रखा गया है।
श्रेष्ठ पक्षः- कृष्ण पक्ष एवं शुक्ल पक्षों के दो मास में शुक्ल पक्ष श्रेष्ठ है।
श्रेष्ठ माह:- महीनों में चैत्र, वैशाख, कार्तिक, ज्येष्ठ, श्रावण मार्गशीर्ष, माघ, फाल्गुन सबसे शुभ माह माने जाते हैं। इन महीनों मे से भी चैत्र और कार्तिक सर्व श्रेष्ठ महीना है।
शुभ ऋतुः- छह ऋतुओं शरद ऋतु को सबसे शुभ ऋतु माना जाता है।
शुभ संक्रान्तिः सूर्य का एक राशि से दूसरे राशि में गोचर करना संक्रान्ति कहलाता है। एक वर्ष में कुल 12 संक्रान्ति मनाई जाती है जिसमें मकर संक्रान्ति सबसे शुभ मानी जाती है।
शुभ एकादशीः- सामान्य तौर पर एक माह में दो एकादशियाँ मनाई जाती है इस प्रकार एक वर्ष में कुल 24 एकादशियाँ मनाई जाती हैं परन्तु अधिकमास हो तो एकादशियों की संख्या 24 से बढ़कर 26 हो जाती है। शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष दोनों ही पक्षों की एकादशियां बहुत महत्वपूर्ण होती है। आपको बता दें कि इसमें से कार्तिक मास की देव प्रबोधिनी एकादशी सबसे श्रेष्ठ हैं।
शुभ अयानः- सूर्य संक्राति के दौरान ही दक्षिणायन एवं उत्तराणायन की स्थिति बनती है। अतः उत्तराणायन शुभ होता है।
शुभ नक्षत्रः- ज्योतिष शास्त्र में कुल 27 नक्षत्रों का उल्लेख मिलता है जिसमे कार्तिक मास में पड़ने वाला पुष्य नक्षत्र सबसे श्रेष्ठ होता है। इसके अलावा अश्विनी, रोहिणी, मृगशिरा, उत्तराफाल्गुनी, हस्त, चित्रा, स्वाती, अनुराधा, उत्तराषाढा, श्रावण, धनिष्ठा, शतभिषा, उत्तरा भाद्रपद, रेवती नक्षत्र शुभ माने गये हैं।