तीन लोक और चौदह भुवन

हिंदू पुराणों में वर्णित दिव्य और पाताल लोकों का विस्तृत विवरण

हिंदू पुराणों में ब्रह्माण्ड को तीन प्रमुख लोकों और चौदह भुवनों में विभाजित किया गया है। ये लोक और भुवन न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि इनका सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व भी है। यहां हम इन लोकों और भुवनों का विस्तृत विवरण प्रस्तुत कर रहे हैं:

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तीन लोकों का वर्णन

  1. पाताल लोक (अधोलोक):

पाताल लोक को अधोलोक भी कहा जाता है और यह सात प्रकार के पातालों में विभाजित है। यहां दैत्य, दानव, यक्ष और नागों की जातियां निवास करती हैं। विष्णु पुराण के अनुसार पाताल लोक के राजा बलि को भगवान विष्णु ने अमरत्व का वरदान दिया था। यह लोक पृथ्वी के नीचे स्थित है और इसका वैभव अत्यंत दिव्य माना गया है।

  1. भूलोक (मध्यलोक):

भूलोक या मध्यलोक वह स्थान है जिसे हम पृथ्वी के रूप में जानते हैं। यह वही जगह है जहां मनुष्य, जीव-जंतु और अन्य प्राणी निवास करते हैं। यह लोक भौतिक संसार का हिस्सा है, जिसमें जीवन, मृत्यु और पुनर्जन्म के चक्र चलते रहते हैं।

  1. स्वर्गलोक (उच्चलोक):

स्वर्गलोक या उच्चलोक वह दिव्य स्थान है जहां देवताओं का निवास है। यहां इंद्र देव, सूर्य देव, पवन देव, चंद्र देव, अग्नि देव और जल के देवता वरुण का वास होता है। साथ ही स्वर्गलोक में अप्सराएं और देवताओं के गुरु बृहस्पति भी निवास करते हैं। स्वर्गलोक को सुख और समृद्धि का स्थान माना जाता है।

चौदह भुवनों का विवरण

इन तीन लोकों को चौदह भुवनों में विभाजित किया गया है, जिन्हें निम्नलिखित रूप में जाना जाता है:

  1. सत्लोक
  2. तपोलोक
  3. जनलोक
  4. महलोक
  5. ध्रुवलोक
  6. सिद्धलोक
  7. पृथ्वीलोक
  8. अतललोक
  9. वितललोक
  10. सुतललोक
  11. तलातललोक
  12. महातललोक
  13. रसातललोक
  14. पाताललोक

तीन लोक और चौदह भुवन का श्लोक

तीन लोक चौदह भुवन, प्रेम कहूँ ध्रुव नाहिं।

जगमग रह्यो जराव सौ, श्री वृन्दावन माहिं।।

श्री ध्रुवदास इस श्लोक में कहते हैं कि तीन लोक और चौदह भुवनों में सहज प्रेम के दर्शन कहीं नहीं होते। यह प्रेम एकमात्र श्री वृन्दावन में कंचन में जड़ी मणि की भांति जगमगाता है।

सप्त पाताल (अधोलोक) का वर्णन

हिंदू धर्म के अनुसार इस ब्रह्माण्ड में 14 भुवन या लोक हैं—7 ऊर्ध्वलोक और 7 अधोलोक। इन अधोलोकों को विलस्वर्ग भी कहा जाता है, जो भूमि के नीचे स्थित हैं। ये सभी पाताल लोक अत्यधिक दिव्य और सुखमय माने गए हैं। इन पातालों में रहने वाले जीव आनंद और विलासिता में लीन रहते हैं।

सप्त पाताल के स्तर:

  1. अतललोक: इस लोक में मयासुर के पुत्र वल स्वामी का निवास है।
  2. वितललोक: यहां हाटकेश्वर शंकर और भवानी का युग्म भाव से निवास होता है।
  3. सुतललोक: सुप्रसिद्ध राजा बली का स्थान है, जिन्हें भगवान विष्णु ने अमरत्व का वरदान दिया था।
  4. तलातललोक: यह मयासुर का राज्य है।
  5. महातललोक: इस लोक में क्रोधवश नामक सर्पों का समुदाय निवास करता है।
  6. रसातललोक: यहां दैत्य और दानवों का निवास है।
  7. पाताललोक: इस लोक में नागों के अधिपति निवास करते हैं और इसे प्राण अग्निमय माना गया है।

सप्त स्वर्ग (ऊर्ध्वलोक) का विवरण

ऊर्ध्वलोक में स्थित सात स्वर्ग निम्नलिखित हैं:

  1. भूर्लोक
  2. भुवर्लोक
  3. स्वर्लोक (माहेन्द्र स्वर्ग)
  4. महालोक (प्राजापत्य स्वर्ग)
  5. जनलोक
  6. तपोलोक
  7. सत्यलोक (ब्रह्म स्वर्ग)

इन स्वर्गों को ब्रह्माण्ड के दिव्य स्थान माना गया है, जहां देवता और उच्च आध्यात्मिक शक्तियां निवास करती हैं।

निष्कर्ष

तीन लोक और चौदह भुवनों का यह वर्णन हिंदू धर्म की गहरी धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा है। ये लोक और भुवन हमें ब्रह्माण्ड की विशालता और उसकी रहस्यमयता की ओर इशारा करते हैं। पुराणों में वर्णित ये स्थान न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक हैं, बल्कि जीवन के आध्यात्मिक और भौतिक दोनों पहलुओं की गहरी समझ भी प्रदान करते हैं।

 

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