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देवगुरु हो गये उदित, इन 4 लग्न वाले जातकों का समय पहले से होगा ठीक | Devguru has become Udit, the time of these 4 ascendant people will be fine from before Benefit |

देवगुरु हो गये उदित, इन 4 लग्न वाले जातकों का समय पहले से होगा ठीक | Devguru has become Udit, the time of these 4 ascendant people will be fine from before Benefit |

देवगुरु हो गये उदित, इन 4 लग्न वाले जातकों का समय पहले से होगा ठीक | Devguru has become Udit, the time of these 4 ascendant people will be fine from before Benefit |

बात करें अगर हम देवगुरु बृहस्पति की तो 27 अप्रैल को रात्रि 2 बजकर 3 मिनट के आसपास ये उदित होने वाले हैं और इनके उदित होने के कारण बहुत सी राशियों पर इनके सकारात्मक परिणाम मिलेंगे। जब देवगुरु बृहस्पति लगभग 32 दिनों से अस्त अवस्था में थे 14 अप्रैल को खरमास खत्म होने के समय मे भी यह अस्त अवस्था में ही अपना प्रभाव दे रहे थे। आपको यह बात पता होगी की देवगुरु बृहस्पति के अस्त होने की अवस्था में किसी भी प्रकार के मांगलिक कार्य नही होते हैं इसके अलावा जब सूर्य बृहस्पति की राशि में प्रवेश करते हैं तब भी कोई शुभ कार्य नहीं किया जा सकता है। बृहस्पति के अस्त होने की अवस्था में बहुत से लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा होगा। अतः अस्त अवस्था जैसी खराब परिस्थितियों में भी क्या सकारात्मक परिणाम देवगुरु बृहस्पति देंगे यह देखते हैं। ज्योतिषीय रूप से देखा जाए तो देवगुरु बृहस्पति को द्वितीय, पंचम, नवम, दशम् और एकादश भाव मिला हुआ है। तो आइए देवगुरु बृहस्पति की अस्त से लेकर उदित अवस्था तक के परिणाम मेष से लेकर मीन लग्न वाले जातकों के लिए कैसे होंगे इसकी जानकारी ज्योतिषाचार्य के. एम. सिन्हा जी के द्वारा किये गये विश्लेषण से समझते हैं।

मेष लग्न

मेष लग्न के जातकों की बात करें तो मेष लग्न में जो बृहस्पति देव हैं उनको विभाग मिला हुआ है कुण्डली के नवम् और द्वादश भाव का और यह लग्न में ही उदय करने वाले हैं जिसके कारण विदेशों से लाभ मिलेगा। विदेशों में लम्बे समय से रुके हुए कार्य के पूरे होने की संभावना होगी। भाग्य का साथ मिलेगा। धार्मिक क्षेत्रों की तरफ मन ज्यादा लगेगा साथ ही धार्मिक कार्यों में रुचि बढ़ेगी। बृहस्पति देव की स्थिति भले ही अच्छी नहीं है, जो यहाँ राहु से भी पीड़ित हैं, गुरु चांडाल दोष बनाये हैं साथ में शनि की नीच दृष्टि भी उन पर पड़ रही है परन्तु कुण्डली में दिशाबली होने के कारण मेष लग्न के जातकों को लम्बे समय से जो तनाव चल रहा था वह तनाव धीरे-धीरे कम होगा।

वृषभ लग्न

वृषभ लग्न वाले जातकों की बात करें तो वृषभ लग्न में देवगुरु बृहस्पति लग्न के ही शत्रु माने जाते हैं साथ ही इन्हें कुण्डली के एकादश और अष्टम् भाव का स्वामी माना गया है। ऐसे में अकस्मात खर्च की अधिकता बढ़ेगी। घर के किसी मांगलिक कार्यों में आपका धन खर्च हो सकता है। धार्मिक यात्राओं मे आपके पैसे खर्च हो सकते हैं। कुल मिलाकर वृषभ लग्न वाले जातकों के लिए देवगुरु बृहस्पति का उदय खर्च को बढ़ाने के लिए परिपूर्ण रहेगा। आय के साधनों में रुकावट आ सकती है। आय का स्त्रोत बृहस्पति के उदित होने से अच्छा नहीं रहेगा। इस समय आपके गुप्त शत्रुओं के बढ़ जाने से वाद-विवाद बना रहेगा।

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मिथुन लग्न

मिथुन लग्न वाले जातकों की बात करें तो मिथुन लग्न में बृहस्पति को कुण्डली के दशम् और सप्तम भाव का स्वामी माना गया है जो कि व्यवसाय और जीवनसाथी का भाव होता है। बृहस्पति देव का उदय आपके एकादश भाव में हो रहा है तो ऐसी स्थिति में कार्य-व्यवसाय में फँसा हुआ किसी प्रकार का पैसा वापस मिल सकता है। बड़े भाई-बहनों को जो कठिनाइयाँ हो रही थी उनकी कठिनाइयाँ खत्म होंगी उनके लिए यह अच्छा समय रहेगा। दैनिक रोजगार में भी उन्नति मिलेगी जीवनसाथी के साथ चल रहे मतभेद दूर होंगे। साझेदारी में किये गये काम में किसी प्रकार के हो रहे वाद विवाद से छुटकारा मिलेगा।

कर्क लग्न

कर्क लग्न वाले जातकों की बात करें तो कर्क लग्न में देव गुरु बृहस्पति आपके योगकारक होते हैं। इस समय बृहस्पति देव को नवम भाव का स्वामी माना गया है। कुण्डली का नवम भाव पिता, धर्म और रोग-ऋण-शत्रु के मालिक होते है। देवगुरु बृहस्पति आपके कर्मस्थान पर उदित हो रहे हैं। जिसके कारण आपको भाग्य का सुख मिलेगा साथ ही आपके कई कार्य पूरे होने की संभावना होगी। धर्म के प्रति झुकाव ज्यादा बढ़ेगा। नये कार्यों की शुरुआत के लिए समय अच्छा है। क्योंकि बृहस्पति देव अश्विनी नक्षत्र में उदित हो रहे है इसलिए यह समय काफी अच्छा है। मधुमेह से पीड़ित जातकों के लिए यह समय अच्छा नहीं है। इस समय अपनी किसी महत्वपूर्ण बातों को गुप्त रखना चाहिए किसी दूसरे से अपनी बात साझा नही करनी चाहिए। किसी कानूनी मामलों के लिए यह समय अच्छा है।

सिंह लग्न

सिंह लग्न वाले जातकों की बात करें तो इस लग्न में जो देवगुरु बृहस्पति है उन्हें जो स्वामी माना गया है पहला आपकी कुण्डली का अष्टम भाव दूसरा पंचम त्रिकोण भाव का, पंचम त्रिकोण आपकी स्वयं संतान का भाव होता है यह आपके मस्तिष्क, उदर, प्रेम प्रसंग और शिक्षा का भाव होता है तो विद्यार्थी जातकों के लिए अश्विनी नक्षत्र में गुरु का उदित पहले की अपेक्षा थोड़ा अच्छा प्रभाव देगा। बृहस्पति देव आपके भाग्य भाव में जाकर उदित हो रहे हैं जिसके कारण यह समय आपके लिए काफी अनुकूल रहेगा, साथ ही आपको इसके अच्छे परिणाम भी देखने को मिलेंगे। इसके अलावा प्रेम-प्रसंग में चल रहा वाद-विवाद दूर होगा।

कन्या लग्न

कन्या लग्न वाले जातकों की बात करें तो कन्या लग्न में देवगुरु बृहस्पति को सप्तम् और चतुर्थ स्थान का स्वामी माना गया है जो कि सुख सम्पत्ति, दैनिक रोजगार जीवनसाथी और पार्टनरशिप का भाव है। कुण्डली मे देवगुुरु बृहस्पति अष्टम भाव में उदित होते दिखाई देंगे, अष्टम में उदित होना इनका अच्छा नहीं माना जाता है। क्योंकि सम्पत्ति से सम्बन्धित कार्यों में यह रुकावट उत्पन्न करेंगे। विवाह के कार्यों में अड़चन डालेंगे साथ ही परिवार में भी वाद-विवाद होने की संभावना होगी। पीली वस्तुओं का दान करना आपके लिए लाभदायक रहेगा।

तुला लग्न

तुला लग्न वाले जातक की बात करें तो तुला लग्न में देवगुरु बृहस्पति को रोग-ऋण- शत्रु साथ में पराक्रम का स्वामी माना गया है तो इस स्थिति में जब देवगुरु बृहस्पति अश्विनी नक्षत्र में उदित हो रहे हैं तो इनके उदित होने के परिणाम स्वरूप कानूनी मामलों में असफलता हाथ लगेगी। छोटे भाई-बहनों को कष्ट हो सकता है। श्वास नली और अस्थमा से सम्बन्धित क्षेत्रों में थोड़ी परेशानी बढ़ेगी। आपके लग्न से सप्तम भाव में देवगुरु बृहस्पति के उदित होने के कारण संतान पक्ष से अच्छी खबर मिल सकती है परन्तु मारक ग्रह होने के कारण परिणाम हर समय नकारात्मक ही रहेंगे।

वृश्चिक लग्न

वृश्चिक लग्न वाले जातकों की बात करें तो वृश्चिक लग्न में देवगुरु बृहस्पति को कुण्डली का द्वितीय और पंचम भाव का स्वामी माना गया है। दोनों ही भाव आपको अच्छे मिले हैं। इसके अलावा देवगुरु बृहस्पति का उदय आपकी कुण्डली के छठवें भाव में हो रहा है जिसके कारण गले में परेशानी उत्पन्न करेंगे संतान के साथ लम्बी दूरी की यात्रा हो सकती है। धार्मिक यात्राओं पर जा सकते हैं। संतान के स्वास्थ्य भी कुछ गिरावट हो सकती है। वाहन चलाते समय सावधानी बरतें साथ ही अपनी वाणी को संयमित रखें अन्यथा परिवार से वाद-विवाद होने या परिवार से दूर जाने की संभावना बन सकती है।

धनु लग्न

धनु लग्न वाले जातकों की बात करें तो क्योंकि आपका लग्नेश देवगुरु बृहस्पति है और यह आपकी कुण्डली के पंचम भाव में उदित हो रहे हैं जिसके कारण बहुत सारी परेशानियाँ अब खत्म होती दिखाई देंगी। ऐसा इसलिए क्योंकि देवगुरु बृहस्पति लग्न और सुख के मालिक है इस समय उदर से सम्बन्धित परेशानियाँ रहेंगी परन्तु उसमें आपको कुछ हद तक आराम मिलेगा। संतान को परेशानी हो सकती है। मानसिक तनाव के कारण क्रोध बढ़ सकता है। परन्तु पहले की अपेक्षा आपको बेहतर परिणाम मिलेंगे।

मकर लग्न

मकर लग्न वाले जातकों की बात करें तो इस लग्न में देवगुरु बृहस्पति को कुण्डली के द्वादश भाव और पराक्रम भाव का स्वामी माना गया है। आपकी कुण्डली में देवगुरु बृहस्पति आपके चतुर्थ भाव में उदित हो रहे है। जिसके कारण अपने नेम फेेम के कारण आप धन अर्जित करने में सफल होंगे। विदेशों से जो काम नहीं बन पा रहें थे वह काम भी आपके बनने लगेंगे। गले में किसी प्रकार की बढ़ रही परेशानी पहले से कम होती हुई दिखाई देगी परन्तु यह परेशानी आपकी कुछ समय के लिए ही कम होंगी 10 मई से 1 जुलाई के बीच में आपकी परेशानियाँ बढ़ सकती है।

कुंभ लग्न

कुंभ लग्न वाले जातकों की बात करें तो कुंभ लग्न में देवगुरु बृहस्पति आपके लग्न से तृतीय भाव में उदित हो रहे हैं साथ ही वही पर शनि की नीच दृष्टि भी पड़ेगी और बृहस्पति देव को एकादश और धन का स्थान दिया गया है। उदित होने के दौरान आय के साधन में वृद्धि करेंगे, इनकम को बढ़ायेंगे और साथ में संचित धन को बढ़ाने की भी कोशिश करेंगे। पहले की अपेक्षा आपको शुभ प्रभाव दिखाई देंगे। परिवार में लम्बे समय से चल रहे वाद-विवाद दूर होंगे।

मीन लग्न

मीन लग्न वाले जातकों की बात करें तो देवगुरु बृहस्पति को आपकी कुण्डली में दशम् और लग्न भाव का स्वामी माना है। साथ में परिवार के स्थान पर शनि की नीच दृष्टि और गुरु चाण्डाल दोष बनना वास्तव में बृहस्पति देव के उदित होते ही गुरु चाण्डाल दोष के प्रभाव कम होंगे तो ऐसी स्थिति में कार्य-व्यवसाय में अच्छे परिणाम मिलेंगे। मानसिक परेशानियाँ जो चल रही थी वह सारी परेशानियाँ खत्म होती दिखाई देंगी।

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