नरक चतुर्दर्शी

क्या है नरक चतुर्दशीः-

नरक चतुर्दशी को नरक चौदस या नर्का पूजा के नाम से भी जाना जाता है, पुरानी मान्यताओं के अनुसार कहा यह जाता है कि कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी के दिन प्रातः काल तेल लगाकर अपामार्ग (चिचड़ी) की पत्तियां जल में डालकर स्नान करने से नरक से मुक्ति मिलती है, इस दिन शाम को दीपदान की प्रथा होती है जो यमराज के लिए किया जाता है, नरक चतुर्दशी को ही छोटी दीपावली कहते है।

क्यो मनाई जाती है नरक चतुर्दशीः-

विष्णु और श्रीमद् भागवत पुराण के अनुसार नरकासुर नाम का एक राक्षस अपनी, असुरी शक्ति से देवी-देवताओं और मनुष्यों को परेशान कर दिया था, उस असुर ने साधू-संत और 16 हजार स्त्रियों को भी बंदी बनाया था, उसके अत्यचार से अत्यधिक बढ़ जाने पर देवता और ऋषि-मुनि भगवान श्री कृष्ण के पास आए और उनसे बोले कि आप (भगवान श्रीकृष्ण) नरकासुर का वध करके सभी की रक्षा करें, भगवान श्री कृष्ण ने देवताओं को नरकासुर से रक्षा करने का विश्वास दिलाया परन्तु नरकासुर को एक स्त्री के हाथों मरने का श्राप मिला था इसलिए भगवान कृष्ण ने अपनी पत्नी सत्यभामा को सारथी बनना पड़ा और उनकी सहायता से ही नरकासुर का वध हुआ, उस दिन कार्तिक मास का कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी थी, नरकासुर के वध के पश्चात कृष्ण ने कन्याओं को बंधन-मुक्त करवाया, मुक्ति के बाद कन्याओं ने भगवान कृष्ण से गुहार लगाई कि समाज उन्हें स्वीकार नही करेगा इसके लिए आप कोई उपाय निकाले हमको हमारा सम्मान वापस दिलाएं। समाज मे उन कन्याओं को सम्मान दिलाने के लिए भगवान कृष्ण ने सत्यभामा के सहयोग से 16 हजार कन्याओ को मुक्ति और नरकासुर के वध के उपलक्ष्य में घर-घर दीपदान की परम्परा की शुरुआत हुई।

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एक अन्य कथाः-

रन्ति देव नामक एक पुण्यात्मा और धर्मात्मा राजा थे, उन्होंने अपने जीवन में अनजाने में भी कोई पाप नही किया था, परन्तु जब मृत्यु का समय आया तो उनके सामने यमदूत आकर खड़े हो गए, यमदूत को सामने देखकर राजा आश्चर्य से बोले मैनें तो कभी कोई पाप-कर्म नही किया परन्तु आप लोग मुझे लेने आ गये , आपके आने का अर्थ है कि मुझे नर्क जाना है, कृपा करके आप बताए कि मुझे किस अपराध के कारण नरक जाना पड़ रहा है, राजा की बात सुनने के बाद यमदूत ने कहा एक बार आपके द्वार से एक भूखा ब्राह्मण लौट गया यह उसी पाप का फल है। दुतों की बात सुनकर राजा ने उनसे एक वर्ष की मोहल्लत माँगी और उन्होंने दी, इसके बाद राजा अपनी परेशानियों को लेकर ऋषियों के पास गए और उन्हें सब वृतान्त सुनाकर इस पाप से मुक्ति का उपाय पूछा, ऋषि ने राजा को कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष के चतुर्दशी का व्रत करने को बोला और यह भी बोला कि राजा कों ब्राह्मणों को भोजन भी करवाना चाहिए और उनसे अपने अपराधों को लिए क्षमा-याचना भी मांगना चाहिए। राजा ने ऋषियों के कहे अनुसार ही किया इस प्रकार राजा पाप से मुक्त हो गए और उनको विष्णु लोक मे स्थान प्राप्त हुआ, उसी दिन से कार्तिक चतुर्दशी के व्रत का प्रचलन चला आ रहा है।

नरक चतुर्दशी में क्या करें क्या नहीः-

☸ नरक चतुर्दशी के दिन जिसके पिता जीवित है, उन्हें तिल से यम देव का तर्पण नही करना चाहिए।
☸ नरक चतुर्दशी के दिन तेल का दान नही करना चाहिए, ऐसा करने से माँ लक्ष्मी आपके घर से नाराज होकर चली जाएंगी।
☸नरक चतुर्दशी के दिन प्रातः काल तेल लगाकर अपामार्ग (चिचड़ी) की पत्तियां जल में डालकर स्नान करने से नरक से मुक्ति मिलती है।
☸ नरक चतुर्दशी के दिन घर की साफ-सफाई करनी चाहिए, मान्यता है कि साफ और पवित्र स्थान पर ही माँ लक्ष्मी का वास होता है।
☸घर पर टूटे-फूटे समान को नरक का प्रतीक माना जाता है इसलिए नरक चतुर्दशी के दिन घर से बेकार समान को बाहर कर देना चाहिए।

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नरक चतुर्दशी का महत्वः-

इस दिन के महत्व के बारे मे बताया जाता है कि इस दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर तेल लगाकर पानी मे चिरचिरी के पत्ते डालकर उससे स्नान करने के बाद विष्णु मन्दिर और कृष्ण मन्दिर में भगवान का दर्शन करना चाहिए, इससे पाप कटता है और सौन्दर्य की प्राप्ति होती है, कई जगह कई घरो में घर के बुजुर्ग एक दिया जला कर पूरे घर मे घूमाता है और फिर उसे लेकर घर से कही दूर रख आता है, घर के अन्य सदस्य अन्दर रहते है और दिये को नही देखते है, यह दिया यम का दिया कहलाता है, माना जाता है कि दिये को पूरे घर मे घूमा कर बाहर ले जाने से सभी बुराईयां और बुरी शक्तियां घर से बाहर चली जाती है।

नरक चतुर्दशी पूजा विधिः-

☸ नरक चतुर्दशी के दिन 06 देव की पूजा करें, वें 06 देव क्रमशः है, यमराज, श्री कृष्ण, माँ काली, भगवान शिव, हनुमान और वामन देव।
☸ घर के ईशान कोण में ही पूजा करें, पूजन के समय पंचदेव (सूर्य देव, श्री गणेश, दुर्गा माँ, शिव जी और विष्णु जी ) की स्थापना अवश्य करें।
☸ तत्पश्चात सभी देवताओ के सामने धूप, दीप आदि जलाए और उनके मस्तक पर हल्दी, कुमकुम, चन्दन और चावल लगाएं फिर उन्हें फूलों की माला आदि चढाएं।
☸ पूजा करने के बाद उनकी आरती करें और अन्त में भगवान को भोग चढाएं।
☸ मुख्य पूजा के बाद मुख्य द्वार या घर के आंगन में प्रदोष काल मे दीपक जलाएं, एक दिया यम के नाम भी जलाएं।

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नरक चतुर्दशी 2022 शुभ तिथि एवं मुहूर्तः-

शुभ तिथिः- 24 अक्टूबर 2022
अभयांग स्नान मुहूर्तः- प्रातः 05 बजकर 06 मिनट से प्रातः 06 बजकर 27 मिनट तक
कुल अवधिः– 01 घण्टा 22 मिनट

 

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