नवरात्रि 2024: चौथे दिन मां कूष्मांडा (Maa Kushmanda) की आरती कैसे करें?
नवरात्रि का पर्व भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण और प्रिय पर्व है। यह पर्व न केवल आध्यात्मिकता की प्रतीक है, बल्कि यह भक्ति और आस्था का भी प्रतीक है। इस पावन अवसर पर भक्तजन मां दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों की आराधना करते हैं। नवरात्रि के चौथे दिन मां कूष्मांडा (Maa Kushmanda) देवी की पूजा का विशेष महत्व है। आइए इस दिन की पूजा विधि मां की महिमा, आरती, मंत्र, भोग और पीले रंग का महत्व समझते हैं।
मां कूष्मांडा (Maa Kushmanda) का महत्व
मां कूष्मांडा (Maa Kushmanda) देवी को देवी दुर्गा का चौथा रूप माना जाता है। देवी भागवत पुराण और अन्य ग्रंथों में उनके बारे में विस्तार से वर्णन किया गया है। मां कूष्मांडा का नाम ‘कुष्मांडा’ इसलिए पड़ा क्योंकि उन्होंने अपनी हल्की मुस्कान से सृष्टि की रचना की थी। मान्यता के अनुसार, जब सृष्टि का आरंभ हुआ, तब चारों ओर अंधकार था। इस अंधकार को दूर करने के लिए मां ने अपनी हंसी से पूरे ब्रह्मांड को रच दिया।
मां कूष्मांडा (Maa Kushmanda) का स्वरूप अत्यंत दिव्य और अलौकिक है। वे शेर की सवारी करती हैं और उनकी आठ भुजाएं होती हैं, जिनमें विभिन्न दिव्य अस्त्र होते हैं। मां के इस रूप की आराधना करने से भक्तों को सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
मां कूष्मांडा (Maa Kushmanda) की आराधना के लाभ
मां कूष्मांडा (Maa Kushmanda) की पूजा का विशेष लाभ यह है कि यह भक्तों के सभी प्रयासों में सफलता प्रदान करती है। जब भक्त सच्चे मन से मां की आराधना करते हैं, तो उन्हें सभी इच्छाएं पूरी होती हैं। विशेष रूप से, जिन विद्यार्थियों को शिक्षा में कठिनाई हो रही है, उन्हें मां कूष्मांडा की आराधना अवश्य करनी चाहिए। यह पूजा उनके बुद्धि के विकास में मदद करती है और शिक्षा में सफलता प्रदान करती है।
मां कूष्मांडा (Maa Kushmanda) का स्वरूप
मां कूष्मांडा (Maa Kushmanda) का स्वरूप अद्भुत और मंत्रमुग्ध कर देने वाला है। उनके चारों ओर तेजस्विता और शक्ति का आभामंडल होता है। उनके हाथों में कमंडल, कलश, कमल और सुदर्शन चक्र होता है, जो उनके दिव्य रूप को और भी विशेष बनाता है। माना जाता है कि मां का यह रूप भक्तों को जीवन शक्ति और सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करता है।
पूजा सामग्री और विधि
भोग:
मां कूष्मांडा (Maa Kushmanda) की पूजा में विशेष रूप से पीले रंग का भोग अर्पित करना चाहिए।
पेठा: मां को केसर वाला पेठा अर्पित करना चाहिए।
मालपुआ: यह भोग भी मां को प्रिय है।
बताशे: इनका भी विशेष महत्व है और इन्हें अर्पित करना चाहिए।
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मां कूष्मांडा (Maa Kushmanda) की पूजा
मां कूष्मांडा (Maa Kushmanda) की पूजा नवरात्रि के चौथे दिन अत्यंत श्रद्धा और भक्ति के साथ की जाती है। इस दिन मां की विशेष कृपा पाने के लिए निम्नलिखित पूजा विधि का पालन करें:
🔆 सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और पवित्र वस्त्र धारण करें।
🔆पूजा स्थल को गंगाजल से पवित्र करें।
🔆 लकड़ी की चौकी पर एक पीला कपड़ा बिछाएं।
🔆 मां कूष्मांडा की मूर्ति को स्थापित करें।
🔆 मां को पीले रंग के वस्त्र पहनाएं।
🔆 मां को पीला चंदन लगाएं।
🔆 कुमकुम, मौली और अक्षत चढ़ाएं।
🔆 एक पान के पत्ते पर थोड़ा सा केसर रखें।
🔆 ॐ बृं बृहस्पते नम: मंत्र का जाप करते हुए देवी को अर्पित करें।
🔆 ॐ कुष्माण्डायै नम: मंत्र की एक माला जाप करें।
🔆 दुर्गा सप्तशती या सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ करें।
🔆 मां को लाल रंग के फूल, गुड़हल या गुलाब अर्पित करें।
🔆 सिंदूर, धूप, दीप और नैवेद्य चढ़ाएं।
🔆 मां को भोग लगाएं।
🔆 क्षमा याचना करें।
🔆 ध्यान लगाकर दुर्गा सप्तशती और दुर्गा चालीसा का पाठ करें।
🔆 घी के दीप या कपूर से मां कूष्मांडा की आरती करें।
पूजा मंत्र
मंत्रों का महत्व पूजा में अत्यधिक होता है।
बीज मंत्र:- ऐं ह्री देव्यै नम: यह मंत्र मां की दिव्यता और शक्ति को ध्यान में रखकर बोला जाता है।
पूजा मंत्र:- ऊं कुष्माण्डायै नम: यह मंत्र मां कूष्मांडा की आराधना में विशेष रूप से उच्चारण किया जाता है।
ध्यान मंत्र:
वन्दे वांछित कामर्थे चन्द्रार्घकृत शेखराम्।
सिंहरूढ़ा अष्टभुजा कूष्माण्डा यशस्वनीम्॥
यह मंत्र ध्यान के समय उच्चारण करने से मानसिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है।
मां कूष्मांडा (Maa Kushmanda) की आरती
मां कूष्मांडा की आरती का विशेष महत्व है। इसे भक्ति भाव से गाना चाहिए। आरती का एक उदाहरण निम्नलिखित है:
कूष्मांडा जय जग सुखदानी।
मुझ पर दया करो महारानी॥
पिगंला ज्वालामुखी निराली।
शाकंबरी माँ भोली भाली॥
लाखों नाम निराले तेरे।
भक्त कई मतवाले तेरे॥
भीमा पर्वत पर है डेरा।
स्वीकारो प्रणाम ये मेरा॥
सबकी सुनती हो जगदंबे।
सुख पहुँचती हो माँ अंबे॥
तेरे दर्शन का मैं प्यासा।
पूर्ण कर दो मेरी आशा॥
माँ के मन में ममता भारी।
क्यों ना सुनेगी अरज हमारी॥
तेरे दर पर किया है डेरा।
दूर करो माँ संकट मेरा॥
मेरे कारज पूरे कर दो।
मेरे तुम भंडारे भर दो॥
तेरा दास तुझे ही ध्याए।
भक्त तेरे दर शीश झुकाए॥
पीले रंग का महत्व
नवरात्रि के चौथे दिन मां कूष्मांडा (Maa Kushmanda) की पूजा में पीले रंग का विशेष महत्व होता है। मां को पीले रंग के फूल, फल और मिठाइयाँ अर्पित की जाती हैं। पीला रंग सुख, समृद्धि और खुशी का प्रतीक है। यह रंग भक्तों को सकारात्मकता और ऊर्जा का अनुभव कराता है।
नवरात्रि का यह चौथा दिन मां कूष्मांडा (Maa Kushmanda) के प्रति श्रद्धा और भक्ति प्रकट करने का एक सुनहरा अवसर है। उनकी आराधना से भक्तों को सभी संकटों से मुक्ति, सुख-समृद्धि और सफलता की प्राप्ति होती है। इस नवरात्रि मां कूष्मांडा (Maa Kushmanda) की आराधना करके उनके आशीर्वाद से जीवन में सुख और सौभाग्य का संचार करें। मां कूष्मांडा (Maa Kushmanda) की कृपा से हर मनोकामना पूर्ण हो, यही हमारी प्रार्थना है।
इस नवरात्रि के पावन पर्व पर मां कूष्मांडा (Maa Kushmanda) की उपासना करते समय इस लेख में दी गई विधियों, मंत्रों और आरती का ध्यान रखें। मां का आशीर्वाद सदैव आप पर बना रहे, यही हमारी कामना है।