वैदिक ज्योतिष शास्त्रों में 12 राशियों और 27 नक्षत्रों की संज्ञा दी गई हैं और प्रत्येक राशि में 2 या 3 नक्षत्र आते हैं। सभी नक्षत्र-चार चरणों में बाटें गयें हैं । साथ ही प्रत्येक चरण में नाम के 4 अक्षर सम्मिलित किये गए हैं। जातक की कुण्डली का प्रथम भाव लग्न कहलाता है तथा लग्न में उपस्थित अंक का स्वामी लग्नेश को बताता है। कुण्डली में चन्द्रमा जिस राशि में एवं नक्षत्र में होता है उसी अक्षर के अनुसार नाम रखना शुभ माना जाता है। जिस भाव में चन्द्रमा की उपस्थिति होती है वह जातक की राशि कहलाती है। सामान्य तौर पर लोगों के नाम चंद्रराशि के अनुसार ही रखे जाते हैं
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